पाकिस्तान के खिलाफ भारत की वैश्विक पहुंच मजबूत कूटनीति का प्रतीक : आनंद शर्मा

नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के उस फैसले को ‘अच्छी पहल’ बताया, जिसमें आतंकवाद पर भारत का रुख दुनिया के सामने रखने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजा गया है। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उठाया गया है।

आनंद शर्मा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में इस पहल को भारतीय कूटनीति में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने वैश्विक मंच पर एकजुट राष्ट्रीय रुख पेश करने के महत्व पर जोर दिया। शर्मा ने कहा कि आतंकवाद की चुनौती के बीच देश की एकता जगजाहिर करने के लिए यह एक सराहनीय कदम है। सभी राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडल, एक स्वर में बोलते हुए, हमारी राष्ट्रीय सहमति को मजबूत करने और वैश्विक गलत सूचनाओं का मुकाबला करने में मदद करते हैं।

शर्मा दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, कतर और इथियोपिया का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं और कांग्रेस द्वारा सुझाए गए नामों में एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें सरकार ने किसी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया है। वह शशि थरूर के बाद इस पहल का समर्थन करने वाले दूसरे कांग्रेस नेता हैं। हालांकि, कांग्रेस के कुछ वर्गों ने इस प्रयास की आलोचना करते हुए इसे ‘ध्यान भटकाने वाली रणनीति’ बताया है।

पूरा साक्षात्कार इस प्रकार है…

सवाल: आप पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन और भारत की जीरो टॉलरेंस नीति के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जानकारी देने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। आप इस कदम को किस तरह देखते हैं?

जवाब: भारत सीमा पार आतंकवाद के रूप में एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूहों ने पाकिस्तान की सेना और आईएसआई से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त करके हमारे लोगों को बार-बार निशाना बनाया है। संसद पर हमले से लेकर 26/11 के मुंबई हमलों, पुलवामा और अब पहलगाम तक, अत्याचारों की सूची लंबी है। इस बार भी, निर्दोष लोगों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। हमारे सशस्त्र बलों ने सेना और वायु सेना को शामिल करते हुए समन्वित अभियानों के माध्यम से निर्णायक रूप से जवाब दिया। प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में हम अन्य देशों के नेताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों से मिलेंगे और आतंकवाद के खतरे को समझाएंगे जो न केवल भारत या दक्षिण एशिया के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। हमारा उद्देश्य जमीनी हकीकत को पेश करना और आतंकी नेटवर्क के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई का आग्रह करना है।

सवाल: सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के केंद्र के फैसले पर आपके क्या विचार हैं?

जवाब: यह सरकार की सोची-समझी पहल है और भारत की कूटनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है। दुनिया को यह देखना चाहिए कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। हम सिर्फ अपना दुख व्यक्त नहीं करने जा रहे हैं, बल्कि आतंकवाद से निपटने के लिए समन्वित वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर देंगे। पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को सरकारी संरक्षण मिलना जारी है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित किए जाने के बावजूद, ये समूह खुद को नया नाम देते हैं और अपनी गतिविधियां जारी रखते हैं। चाहे वह जैश हो, लश्कर हो या कोई और नाम, वही लोग हमलों की साजिश रचते रहते हैं। दुनिया को दृढ़ता और एकजुटता से जवाब देना चाहिए। यह प्रतिनिधिमंडल उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सवाल: कुछ नेताओं ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल उठाए हैं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

जवाब: किसी भी लोकतंत्र में सवाल स्वाभाविक और जरूरी होते हैं। मीडिया आउटलेट, राजनेता और नागरिक सरकार की कार्रवाइयों पर बहस करेंगे। यह अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन सहित सभी लोकतंत्रों में होता है। जब भी ऐसी बड़ी घटनाएं होती हैं, तो हमेशा जांच होती है। हालांकि, पहलगाम हमले पर सरकार की प्रतिक्रिया को भारी समर्थन मिला। कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों ने सर्वदलीय बैठक में भाग लिया और पूरा समर्थन दिया। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने तीन अलग-अलग प्रस्ताव पारित किए, जिनमें स्पष्ट रूप से की गई कार्रवाई का समर्थन किया गया और हमारे सशस्त्र बलों की प्रशंसा की गई। हमारी तत्काल प्राथमिकता अंतर्राष्ट्रीय सहमति बनाना, खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विश्व मंच पर पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराना होना चाहिए।

सवाल: कांग्रेस ने आतंकी हमले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसके परिणामस्वरूप सीमा पार तनाव पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। इस पर आपकी क्या राय है?

जवाब: संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करना कोई अपराध नहीं है। यह एक वैध लोकतांत्रिक मांग है। सत्र बुलाना या न बुलाना सरकार पर निर्भर करता है। विपक्ष को मांग करने का अधिकार है और सरकार को निर्णय लेने का अधिकार है। इसे असामान्य बात मानकर सनसनीखेज नहीं बनाया जाना चाहिए। 1962, 1965 और 1971 के युद्धों जैसे पहले के संघर्षों के दौरान संसद ने विस्तृत चर्चा की थी। यह हमारी लोकतांत्रिक परंपरा का हिस्सा है।

सवाल: क्या आप मानते हैं कि भारत ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया?

जवाब: हमारी प्रतिक्रिया में सीधे तौर पर आतंकवादी संगठनों को निशाना बनाया गया, वही संगठन जो पाकिस्तान की सेना और खुफिया तंत्र द्वारा संरक्षित हैं। हां, एक कड़ा और उचित जवाब दिया गया। लेकिन, यह पर्याप्त नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान का असली चेहरा देखना चाहिए। दबाव बनाया जाना चाहिए ताकि वह आतंकवाद का निर्यात बंद कर दे।

सवाल: राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कुछ कांग्रेस नेताओं ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कुछ पहलुओं की आलोचना की है, खासकर संघर्ष विराम की घोषणा के बाद। आपका क्या कहना है?

जवाब: लोकतंत्र में आलोचना स्वाभाविक है और इसे संदर्भ में देखा जाना चाहिए। 1962 में चीन के साथ युद्ध या कारगिल संघर्ष के दौरान भी राजनीतिक बहस हुई थी। लेकिन, जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आई तो देश हमेशा एकजुट रहा। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सर्वदलीय बैठक में भाग लिया और सरकार की प्रतिक्रिया का समर्थन किया। कांग्रेस कार्यसमिति ने सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए कई प्रस्ताव पारित किए। इस एकता को याद रखना चाहिए।

सवाल: क्या भारत ने भविष्य में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए स्पष्ट संदेश दिया है?

जवाब: यह तो समय ही बताएगा कि पाकिस्तान ने इस संदेश को कितना आत्मसात किया है। हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि भारत ने पूरी ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ जवाब दिया है। पूरे देश ने इस कार्रवाई का समर्थन किया। इससे एक मजबूत संदेश जाता है।

सवाल: कुछ नेताओं का तर्क है कि सरकार को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल रणनीति पर पहले संसद में चर्चा करनी चाहिए थी। आपका क्या विचार है?

जवाब: हर किसी को अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन राष्ट्रीय निर्णय हमेशा लंबी बहस के माध्यम से नहीं लिए जाते। यह एक समयोचित और आवश्यक कदम था। प्रतिनिधिमंडल में संसद सदस्य और वरिष्ठ राजनेता शामिल हैं। संसद के अगले सत्र में उनके निष्कर्षों और अनुभवों पर निश्चित रूप से चर्चा की जाएगी। लोकतंत्र इसी तरह काम करता है।

–आईएएनएस

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