नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की यथास्थिति को बरकरार रखने की समयसीमा बढ़ाई, जिसने प्रशासकों की एक समिति (सीओए) को उसका प्रभार लेने से रोक दिया। न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी ने नोटिस में कहा, “अगले आदेश तक यथास्थिति जारी रहेगी, चार सप्ताह के बाद सूची बनाएं। पीठ ने आईओए की याचिका पर केंद्र से जवाब भी मांगा।”
पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने सीओए को आईओए का प्रभार लेने से रोक दिया था, क्योंकि उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त के अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील और भारत संघ की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका उल्लेख किया, यह कहते हुए कि वर्तमान में कोर्ट द्वारा पारित आदेश के आधार पर इस बात की पूरी संभावना है कि भारतीय एथलीट ओलंपिक सहित अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने का मौका खो सकते हैं।”
मेहता ने कहा था कि यदि हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने की अनुमति दी जाती है तो यह देश के हित में नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमें सूचित किया गया है कि भारतीय ओलंपिक संघ का प्रभार अब तक प्रशासकों की समिति को नहीं सौंपा गया है। मामले में उठाए गए गंभीर चिंताओं को देखते हुए, हम पार्टियों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हैं।”
हाईकोर्ट ने खेल निकायों के ‘इको सिस्टम’ में सुधार करने और उन्हें संरचनात्मक रूप से सुधारने के लिए कहा है और आईओए के मामलों को सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के अनुरूप प्रशासकों की एक समिति के हाथों में सौंप दिया।
इसने केंद्र को भारतीय ओलंपिक संघ या किसी भी राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ) को मान्यता या कोई सुविधा नहीं देने का निर्देश दिया, यदि वे खेल संहिता का पालन करने से इनकार करते हैं।
होईकोर्ट के आदेश के अनुसार प्रशासकों की समिति, न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ. एस.वाई. कुरैशी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, विकास स्वरूप, पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय को आईओए के दिन-प्रतिदिन के शासन का संचालन करना था।
–आईएएनएस