उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) ने एमएलसी चुनावों में देवरिया-कुशीनगर सीट से अपने उम्मीदवार के रूप में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफ़ील खान को मैदान में उतरा है.डॉ०खान को सत्तारुण भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुखर विरोधी मन जाता है.
उनका नाम पहली बार 2017 में चर्चा में आया, जब कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से बाबा राघव दास (बीआरडी) अस्पताल (गोरखपुर) में करीब 60 बच्चों की मौत हो गई. डॉ० खान को पहले मीडिया ने एक नायक के रूप में पेश किया जिसने व्यक्तिगत प्रयास से बच्चो की जन बचने का प्रयास किया. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन को बच्चों की मौत का आरोपी मानते हुए निलंबित कर दिया. जिसके बाद डॉ० खान को जेल भेज दिया गया.
हालाँकि आपको बता दें कि नवंबर 2001 में डॉ. खान ने वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि बच्चों की (बीआरडी) अस्पताल मौत इसलिए हुई थी, क्योंकि राज्य सरकार ‘ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता के बकाया का भुगतान करने में विफल रही’ थी.
डॉ०खान ज़मानत पर रिहा हुए. लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बहार एक कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उनको दोबारा जेल भेज दिया गया. फ़िलहाल वह ज़मानत पर रिहा हुए हैं .बीआरडी अस्पताल में अपनी बहाली की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं .
सपा के टिकट पर एमएलसी का चुनाव लड़ने जा रहे डॉ०खान को कांग्रेस का भी करीबी माना जाता है . कहा जाता है कि नागरिकता संशोधन कानून के मामले में जेल से रिहा होने के बाद डॉ० खान को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने राजस्थान में स्थानांतरित कर दिया था .
डॉ ० खान की उम्मीदवारी की पुष्टि सपा के ने सोशल मीडिया (ट्विटर) पर की है. उन्होंने ने पूर्व मुख्यमंत्री सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हाल में ही मुलाकात की और फिर दोनों की साथ में एक तस्वीर सोशल मीडिया पर ट्वीट की।लखनऊ में मंगलवार को हुई मुलाक़ात के दौरान डॉ ० खान ने सपा अध्यक्ष को अपनी किताब ‘द गोरखपुर हास्पिटल ट्रेजडी भेंट की’। वह संभव: बुधवार को नामांकन करेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर 2001 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ खान की सेवाओं को समाप्त कर दिया था.
उल्लेखनीय है कि विधान परिषद में स्थानीय निकाय कोटे के 36 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इसके साथ ही विधान परिषद की गणित बदल गई है। इस समय परिषद में भाजपा के 35, सपा के 17, बसपा के 4, अपना दल (सोनेलाल), कांग्रेस, और निषाद पार्टी एक-एक सदस्य हैं।
अगले महीने 9 अप्रैल को हो रहे चुनाव के नतीजे विधान परिषद में बहुमत की तस्वीर तय करेगे. हालांकि मन जाता है कि जिसकी प्रदेश में सत्ता होती है उस पार्टी के उम्मीदवारों की जीत की संभावना बढ़ जाती है। पिछले तीन दशकों के विधान परिषद चुनाव के नतीजे कुछ कुछ ऐसी ही रही है। बता दें कि निकाय में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, पार्षद, विधायक और सांसद वोटर होते हैं।
बता दें कि सपा की उम्मीदवारों की सूची में लखनऊ उन्नाव सीट से सुनील यादव साजन, फैजाबाद अम्बेडकर नगर से हीरालाल यादव, मथुरा-एटा-कासगंज से उदयवीर सिंह फिर चुनाव लड़ेंगे। जौनपुर से डॉ. मनोज यादव, श्रावस्ती-बहराइच से अमर सिंह, आजमगढ़ से राकेश गुड्डू, बस्ती-गोरखपुर से संतोष यादव सनी व बाराबंकी से राजेश यादव को भी दोबारा मौका मिलने जा रहा है। बलिया से रविशंकर पप्पू की जगह अरविंद गिरी को चुनाव लड़ाया जाएगा। रविशंकर पप्पू भाजपा में जा चुके हैं। रायबरेली से वीरेंद्र यादव को मौका मिल सकता है।