किसानों के मुददों को लेकर जुझती रही भाजपा सरकार के लिए इनके सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद कृषि मंत्री होने के नाते सूर्य प्रताप शाही की जवाबदेही भी बनती है। भाजपा के कददावर नेता सूर्य प्रताप शाही अपने विधान सभा क्षेत्र पथरदेवा के मतदाताओं के बीच इन सवालों को लेकर घिरे नजर आ रहे हैं। इस बीच कृषि मंत्री के सामने एक नई मुसीबत भी आ गई है। राज्य के 45 मौजूदा विधायकों के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे मुकदमों की सुनवाई में आरोप तय हो चुका है। जिसमें कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी हैं। अगर कोर्ट का फैसला इनके खिलाफ आ गया तो चुनाव लड़ने से वंचित भी हो सकते हैं।
यूपी में भाजपा के संगठन की राजनीति के केंद्र में हमेशा सूर्य प्रताप शाही रहे हैं। सूर्य प्रताप शाही भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता हैं। वे 1989 में राम जन्मभूमि आंदोलन के सक्रिय चेहरा रहे। इस आंदोलन के बाद से ही पार्टी संगठन से लेकर आरएसएस में इनकी पकड़ बढ़ी। ये पहली बार 1985 में विधायक बने। इसके बाद 1997 से 2002 तक उत्तर प्रदेश में आबकारी एवं मद्य निषेध मंत्री रहे। कहा जाता है कि इन्होंने शराब सिंडीकेटों की कड़ी तोड़ने का कामा किया।इसके अलावा श्री शाही प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं। 2005 मई से 2010 तक पार्टी के उपाध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी भी निभाए। एक बार फिर 2017 के विधानसभा चुनाव जीत कर आए और योगी सरकार में मंत्री बने। इन्हें सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी मिली।
किसानों के सवालों ने बढ़ाई है भाजपा की परेशानी
तीन कृषि कानून के विरोध में एक वर्ष तक चले किसान आंदोलन ने राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक की परेशानी बढ़ाती रही। सरकार बार-बार यह दलील देती रही कि कुछ लोग किसानों को बरगला रहे हैं। यह कानून किसानों के हित में है। इस दौरान यूपी में किसानों को समझाने की जिम्मेदारी कृषि मंत्री होने के नाते सूर्य प्रताप शाही पर बढ़ गई।लेकिन सच्चाई यह रही कि तमाम कोशिश के बाद भी सरकार अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पा पाई। आखिरकार सरकार को ही कानून वापस लेना पड़ा। लिहाजा कृषि मंत्री के रूप में सरकार के एजेंडे को हल करने में इन्हें सफलता नहीं मिली। दूसरी तरफ देखें तो इस समय धान खरीद का समय चल रहा है। सरकार ने धान की एमएसपी 1970 रूपये तय किए हैं। लेकिन अधिकांश किसान केंद्रों पर खरीद में मनमानी के चलते बिचौलिये के हाथों बेचने को मजबूर हैं। किसान 1200 से लेकर 1400 कुंतल के दर से धान बेचने को विवश हैं।जिसको लेकर इनमें सरकार के प्रति गहरी नाराजगी है।
पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी भाजपा
विधान सभा चुनाव के छह माह पूर्व संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी। लेकिन राजनीतिक विरोधियों को कहना है कि उन्हें सफलता नहीं मिली। ब्लाक प्रमुख का चुनाव पूरी तरह सदस्यों के खरीद परोख्त पर आधारित हो जाने के चलते इसमें भाजपा को अवश्य सफलता मिली, जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर नजर दौड़ाएं तो क्षेत्र की आठ सीटों में से मात्र एक सीट पर भाजपा के प्रत्याशी ने जीत हासिल किया। जबकि सपा का दावा है कि आठ सीटों में से पांच पर उन्हें जीत मिली तथा दो अन्य लोगों ने जीत दर्ज कराई।ऐसे में भाजपा के लिए निराशा जनक प्रदर्शन विधान सभा चुनाव के आनेवाले नतीजे का आभाष करा रहा है।
कृषि विश्वविद्यालय स्थापना का वादा रह गया अधूरा
देवरिया जनपद मुख्यालय पर स्थित बाबा राघवदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय को कृषि विश्वविद्यालय बनाने की मांग चार दशक पुरानी है। यह विभिन्न चुनावों में प्रमुख एजेंडा रहा। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र देवरिया के सांसद रहते हुए इस मांग को पूरा करने की एक पहल की। इस दौरान कहा जाता है कि केंद्र ने इस सवाल को हल करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी। योगी सरकार बनने के बाद सूर्य प्रताप शाही को कृषि मंत्री की जिम्मेदारी मिली तो कुछ लोगों को उम्मीद जगी की सूर्य प्रताप शाही के प्रयास से शायद चार दशक पूरानी मांग इस बार पूरी हो जाएगी। लेकिन पांच वर्ष पूरे होने को है,लेकिन सवाल अब तक अधूरा ही है।
अपनी जीत को लगातार कभी बरकरार नहीं रख सके शाही
सूर्य प्रताप शाही कसया विधान सभा क्षेत्र से वर्ष 1985,1991,1996 में तीन बार चुनाव जीत कर भाजपा के तरफ से सदन में पहुंचे थे। खास बात यह है कि वर्ष 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को मिली सहानुभूति के बावजदू विधान सभा चुनाव में वे अपनी पार्टी को जीत दिलाए। इसके बाद विधान सभा सीटों के परिसीमन के बाद नवगठित पथरदेवा विधानसभा सीट से वर्ष 2017 में चुनाव जीते। इस चुनाव में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने 99812 मत पाकर जीत हासिल की थी। अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी व पूर्व मंत्री शाकिर अली को 42997 मतों से पराजित किया था। शाकिर अली को 56815 मत मिले थे। बसपा के प्रत्याशी नीरज 22790 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। 2012 में समाजवादी पार्टी के शाकिर अली ने 59905 मत प्राप्त करके भारतीय जनता पार्टी के सूर्य प्रताप शाही को हरा कर जीत हासिल की थी। तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के संजय सिंह 31202 मत प्राप्त कर रहे थे। पथरदेवा विधानसभा में कुल 316389 मतदाता हैं। सूर्य प्रताप शाही को 2002 के विधानसभा चुनाव से लगातार तीन बार हारते रहे। खास बात यह है कि यूपी की राजनीति के प्रमुख चंेहरा रहे श्री शाही कभी भी अपने जीत को लगातार बरकरार नहीं रख पाए। ऐसे में इस बार भी लोग यह कयास लगाने लगे हैं कि क्या इस बार जीत हासिल कर पाएंगे।
सपा से मुख्य मुकाबले के आसार
इस बार कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का मुख्य मुकाबला सपा सरकार में मंत्री रहे ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी से होने के आसार है। यह कहा जा रहा है कि सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी को चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दे दी है। पिछला चुनाव श्री त्रिपाठी कसया विधान सभा क्षेत्र से लड़े थे,जबकि पथरदेवा से सपा के शाकिर अली उम्मीदवार थे। जिनका निधन हो जाने के बाद एक बार फिर ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी को सपा चुनाव में यहां से उतार सकती है। पिछले दिनों ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी के रोड शो में कार्यकर्ताओं ने भी खुब उत्साह दिखाया।
कोर्ट का आया फैसला तो कृषि मंत्री की बढ़ सकती है मुश्किल
विभिन्न मुकदमों की सुनवाई के दौरान 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं।जिसमें इनके खिलाफ फैसला आ जाने की स्थिति में चुनाव लड़ने पर रोक लग सकता है। एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सबसे अधिक विधायकों की 32 संख्या भाजपा की है। इसके अलावा सपा के पांच, बसपा व अपना दल के 3-3 और कांग्रेस व तीन अन्य दल के एक-एक विधायक शामिल हैं। इनके खिलाफ आपराधिक मामलों के लंबित होने की औसत संख्या 13 वर्ष है। 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक वर्ष से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं। इसमें योगी सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही शामिल हैं।