बाराबंकी: आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए यह मौसम भी अस्थिरता वाला रहा। आलू का रेट 400 से लेकर ₹500 प्रति कुंटल तक हो गया है।आलू का भंडारण करने वाले कोल्ड स्टोर फुल हो गए हैं ।शेष आलू किसान अपनी बागों में ,घरों में और दुकानों में रखे हुए हैं और जो अब धीरे-धीरे सड़ने भी लगा है।
किसानों को खरीदारों का इंतजार है लेकिन उनको को कोई खरीददार नहीं मिल रहा है, वह अब मायूस हैं। इस बार फरवरी आख़िर और मार्च की शुरुआत में जब आलू की खुदाई शुरू हुई तो रेट ₹900 से लेकर 1200 ₹ प्रति कुंटल तक था।
किसान ने अपने आलू का भंडारण करना उचित समझा क्योंकि पिछले 2 वर्षों से आलू का बहुत अच्छा रेट रहा था। जिससे करीब एक माह तक कोल्ड स्टोरेज के सामने लंबी-लंबी लाइनें लगी रही और धीरे-धीरे सारे कोल्ड स्टोर भर गए। लेकिन उसके बाद धीरे धीरे आलू के भाव में गिरावट आती चली गई। किसानों के पास जो शेष आलू बचा है उसे लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
राजधानी लखनऊ के पड़ोसी ज़िले बाराबंकी में पिछले वर्ष 2020-21 में 18000 हेक्टेयर में आलू का उत्पादन किया गया था।जबकि वर्ष 2021-22 में 19189 हजार हेक्टेयर में आलू का उत्पादन किया गया है।पिछले वर्ष 3.45 लाख मेट्रिक टन उत्पादन जिले में हुआ था वहीं इस वर्ष 4 लाख मेट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ है।
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 2020-21 आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 2019-20 में 48.56 मिलियन टन की तुलना में 2020-21 में 53.56 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ जिसमें 10.55% वृद्धि का अनुमान है।
मंत्रालय के अनुसार लगातार देश में उद्यान विभाग की फसलों का क्षेत्रफल और उत्पादन बढ़ रहा है जिसमें आलू भी आता है
भारत में आलू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्यों में से एक है।यहाँ के बाराबंकी, कन्नौज ,फर्रुखाबाद, सीतापुर सहित करीब एक दर्जन जिलों में आलू का उत्पादन काफी मात्रा में होता है और आलू की खेती पर किसानों की जीविका निर्भर करती है।
इस वर्ष आलू की बुवाई के समय नवंबर-दिसंबर बरसात हो गई जिससे फर्रुखाबाद, कन्नौज जैसे जिलों में किसानों को आलू की दोबारा बुवाई करना पड़ा और उनकी लागत बढ़ गई। लेकिन जिस तरह से लगातार आलू का रेट नीचे गिर रहा है किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी है।
फर्रुखाबाद जिले सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम कमाला बाद के मोहित सिंह कहते हैं कि “इस बार हमारे जिले में ऐसा कोई कोल्ड स्टोर नहीं है जो अपनी क्षमता के अनुसार फुल ना हो और अभी भी बहुत से किसानों के पास आलू उनके घरों में है जो लगातार गर्मी बढ़ने से बेकार होने लगा है।” “आलू का रेट नीचे गिर रहा है ₹ 400 से लेकर ₹450 प्रति कुंटल तक हमारे यहां आलू बिक रहा है।”
मोहित का कहना है इस तरह और इस समय आलू का रेट गिरना निश्चित तौर पर किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।आलू अब स्टोर के बाहर रह गया है वह दो-तीन महीने के बाद बर्बाद हो जाएगा।हालाँकि जो आलू स्टोर में रखा हुआ है उसके रेट सही मिलने की थोड़ी उम्मीद है।
-बाराबंकी जिला के जिला उद्यान अधिकारी महेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि असल में इस बार बरसात होने के कारण आलू की बुवाई थोड़ा लेट हुई थी, जिस वजह से आलू की फसल भी थोड़ा लेट तैयार हुई।जो कच्चा आलू किसान बेच लेते थे वह भी नहीं बेच पाए हैं। एक साथ आलू का उत्पादन करने वाले जो प्रमुख जिले हैं उनमें आलू की खुदाई शुरू हुई जिस वजह से आलू के रेट में गिरावट देखी जा रही है।
उद्यान अधिकारी फिलहाल अभी तक सरकार के द्वारा कोई ऐसी घोषणा नहीं हुई है की आलू की खरीदारी सरकार द्वारा की जाएगी। लेकिन अगर भविष्य में कुछ ऐसा होता है तो जरूर जानकारी दी जाएगी।
बाराबंकी जिले के देवा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम मंडोरा के रहने वाले प्रदीप कुमार करीब 8 दिन से आलू स्टोर के सामने ट्रैक्टर ट्राली पर आलू लेकर खड़े रहे ताकि आलू स्टोर में रख जाएगा।लेकिन 8 दिन बाद भी जब आलू का भंडारण नहीं हुआ तो निराश होकर घर चले गये।
प्रदीप कुमार बताते हैं कि स्टोर मालिक कहते हैं की स्टोर फ़ुल हो गए हैं आप इसे घर ले जाओ और इस वक्त आलू के जो खरीदार हैं वो भी ढूंढे नहीं मिल रही है
देवा ब्लॉक के ही मालिका सराय निवासी राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि 25 मार्च से हम स्टोर के सामने आलू लेकर खड़े हैं धीरे-धीरे हमारे ट्रैक्टर ट्राली में आलू सड़ कर बर्बाद होने लगा है।
प्रसाद ने कहा कि “आलू का भंडारण नहीं हो सका है पहले तो हम किसान दिन-रात खेतों में मेहनत करके फसल का उत्पादन करें फिर उसे सुरक्षित करने के लिए दिन-रात भंडारण गृह के सामने खड़े रहें। आलू का रेट भी लगातार गिर रहा है इस आस में हम स्टोर में आए थे कि अगर हमारा आलू का भंडारण हो जाएगा।
प्रसाद के अनुसार हमारे पास 80 से 90पैकेट आलू का उत्पादन हुआ था अगर सही रेट मिल जाता तो ₹40 से ₹50 हज़ार तक का आलू हो जाता। लेकिन जिस हिसाब से लगातार आलू का रेट गिर रहा है ₹ 15 से ₹20 भी मिलना मुश्किल हो गया है।
मौजूदा हालत यह हैं जितने का आलू नहीं है उतने तो रुपया हमें ट्रैक्टर ट्राली के भाड़े के देने पड़ जाएंगे।