यूपी चुनाव के नतीजे मुकेश सहनी और उनकी पार्टी वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. भाजपा खेमे से जो संकेत मिल रहे हैं उसे देखते हुए तो कहा जा सकता है कि मुकेश सहनी के अच्छे दिन खत्म होने वाले हैं. यूपी चुनाव के दौरान मुकेश सहनी ने बगावती तेवर अपना रखा था और योगी व भाजपा के खिलाफ खुल कर बोल रहे थे. वीआईपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लोगों से अपील की थी कि भाजपा को वोट न दें. अखबारों में विज्ञापन देकर मुकेश सहनी ने कमल छाप पर वोट न डालने की अपील की थी. कई अखबारों में यह विज्ञापन छपा था जिसमें मुकेश सहनी ने कहा था कि हम निषादों की ताकत दिखा देंगे और कमल को खिलने नहीं देंगे. लेकिन यूपी में कमल खिल गया. सहनी निषादों की ताकत नहीं दिखा पाए और अब कहा जा रहा है कि बिहार में उनके अच्छे दिन खत्म हो गए हैं. भाजपा मुकेश सहनी को लेकर कड़े फैसले ले सकती है. उन्हें मंत्री परिषद से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी के मुखर विरोध और बार-बार हमले से भाजपा परेशान थी. भाजपा नेताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक हम चुप थे. केंद्रीय नेतृत्व इस पूरे मामले को बहुत करीब से देख रहा है. समय आने पर इसका उचित जवाब दिया जाएगा. भाजपा का मानना है कि मुकेश साहनी का व्यवहार गठबंधन धर्म के खिलाफ था. भाजपा का मानना है कि विकासशील इंसान पार्टी एनडीए का हिस्सा है. कोई भी घटक गठबंधन के खिलाफ काम करता है तो फिर इस पर बात भी होगी और कार्रवाई भी.
मुकेश साहनी के रवैया को लेकर भारतीय जनता पार्टी के पास दो विकल्प हैं. पहला यह कि उन्हें यूपी चुनाव के बाद मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा या फिर विधान पार्षद के रूप में अगली बार उन्हें मौका नहीं दिया जाए. उनका कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है. भाजपा नेता ने कहा कि मुकेश सहनी ने अपने पार्टी के तीन एमएलए का भरोसा खो दिया है. इसलिए भाजपा नेतृत्व पर दबाव डालने के लिए तथ्यहीन बयान देते रहे.
भाजपा का साफ कहना है कि मुकेश सहनी को भाजपा ने उनकी हैसियत से ज्यादा दिया. वीआईपी नेता इसे पचा नहीं पा रहे हैं. इससे पहले मुकेश सहनी ने यूपी चुनाव के दौरान यह कहा था कि निषाद समाज को आरक्षण दिलाना उनका उद्देश्य है और इसके लिए भाजपा को सत्ता से बेदखल करना जरूरी है. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. कुछ दिन पहले एनडीए की एक बैठक में वीआईपी नेता ने मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट पर पार्टी की दावेदारी मजबूत बताते हुआ कहा था कि भाजपा वीआईपी को बोचहां सीट से बेदखल करना चाहती है. बाद में मुकेश सहनी उस बैठक से वॉकआउट कर गए थे. उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश भी की थी. वैसे अब भाजपा मुकेश सहनी को बहुत तरीजह देने के मूड में नहीं है.
सियासी पंडितों का मानना है कि मुकेश सहनी की परेशानी इसलिए बढ़ गई है क्योंकि उनका एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो रहा है. भाजपा ने यूपी में तवज्जो नहीं दी. बिहार में भी एमएलसी चुनाव में कोई सीट नहीं दी. बोचहां भी उनके खाते में नहीं जा रहा है. फिर जिस वादे के साथ वे सरकार में आए, वह मल्लाह आरक्षण भी अभी तक मिला नहीं है. इस लिए वे आहत हैं और एनडीए के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. इससे भाजपा शीर्ष नेतृत्व नाराज है. ऐसा कहा जा रहा है कि सहनी की जगह वीआईपी की ही विधायक स्वर्णा सिंह या मिश्री लाल को मंत्री बनाए जाने की तैयारी चल रही है. भाजपा इस रणनीति पर काम कर रही है.
बिहार में एमएलसी का चुनाव है. अगले महीने वोट डाले जाएंगे. चुनाव के बाद बिहार मंत्री परिषद में फेरबदल होने तय माना जा रहा है. भाजपा कोटे से मंत्री बने कइयों की छुट्टी होनी है. इनमें मुकेश सहनी भी शामिल हैं. तब तक इंतजार करें.