हैदराबाद । भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मुप्पावरपु वेंकैया नायडू, को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान करनेे की घोषणा की गई।
आंध्र प्रदेश के रहने वाले 74 वर्षीय वेंकैया नायडू को सार्वजनिक मामलों में असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक से सम्मानित किया गया है।
2017 से 2022 तक उपराष्ट्रपति पद पर रहे नायडू स्वर्ण भारत ट्रस्ट के माध्यम से लोगों की सेवा करते रहे।
आरएसएस-बीजेपी की विचारधारा से ओत-प्रोत तेज-तर्रार और प्रभावी संचारक, नायडू पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री बने और अंततः भारत के उपराष्ट्रपति बने।
दक्षिण तटीय आंध्र के नेल्लोर जिले के रहने वाले नायडू कम उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे। वह एक छात्र नेता भी थे और बाद में उन्होंने किसानों के हितों की वकालत की।
1 जुलाई, 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में जन्मे नायडू वी.आर. कॉलेज, नेल्लोर. 1973-74 में छात्र संघ के अध्यक्ष थे। वह आंध्र विश्वविद्यालय कॉलेजों के छात्र संघ के अध्यक्ष थे।
नायडू ने कानून की पढ़ाई की और जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में शामिल हुए। उन्होंने 1974 में लोकनायक जय प्रकाश छात्र संघर्ष समिति का गठन किया था।
वह 1977 से 1980 तक आंध्र प्रदेश में जनता पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष रहे।
आपातकाल (1975-77) के दौरान नायडू को जेल में डाल दिया गया था। अपनी गिरफ्तारी तक वह भूमिगत रहे और आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के शैक्षणिक संस्थानों में सरकार विरोधी साहित्य वितरित करते रहे। उन पर संजय गांधी की एक बैठक में खलल डालने का आरोप लगाया गया था और एक जेल से दूसरे जेल में ले जाने के दौरान उन्हें हथकड़ी लगा दी गई थी।
1977 के आम चुनाव की पूर्व संध्या पर जब जनता पार्टी का गठन हुआ, तो वह जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने।
जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ते हुए, वह 1978 में नेल्लोर जिले के उदयगिरि से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
तीन साल के कार्यकाल के बाद, वह 1980 में भाजपा में शामिल हो गए। नायडू 1983 में राज्य विधानसभा के लिए फिर से चुने गए और 1980-85 तक सदन में तीन सदस्यीय भाजपा समूह के फ्लोर लीडर रहे।
वह भाजपा की युवा शाखा के उपाध्यक्ष भी बने। वह आंध्र प्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता, राज्य महासचिव और राज्य इकाई प्रमुख थे।
नायडू 1993-2000 तक बीजेपी के महासचिव और इस बीच उसके प्रवक्ता रहे।
बाद में वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा नेता के रूप में उभरे और पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता के रूप में कार्य किया, लेकिन वह लोकसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो सके। उन्होंने तीन बार चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे।
उन्होंने भाजपा में प्रमुख संगठनात्मक कार्यभार भी संभाला और 2002 में इसके अध्यक्ष बने।
वह 1998 से 2016 तक कर्नाटक से राज्यसभा में लगातार तीन कार्यकाल के लिए चुने गए। उसके बाद उन्हें चौथी बार राजस्थान से चुना गया। वह अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री थे, पार्टी के वरिष्ठ नेता एल.के. आडवाणी उनके प्रेरणास्रोत थे।
उपराष्ट्रपति चुने जाने के पहले नायडू मोदी सरकार में सूचना और प्रसारण, शहरी विकास और आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री थे। वह मोदी सरकार में पहले दो साल तक संसदीय कार्य मंत्री भी रहे।
–आईएएनएस