देश के जाने माने ओलिम्पिक और पारा ओलम्पिक खिलाड़ी बच्चों में खेल भावना विकसित करने के लिए 75 स्कूलों में जाएंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शिक्षा पर्व पर अपने वीडियो भाषण में यह जानकारी दी।
शिक्षक पर्व के इस महत्वपूर्णऑनलाइन कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री श् धर्मेंद्र प्रधान जी, अन्नपूर्णा देवी जी ,डॉ. सुभास सरकार जी, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह जी, देश के अलग-अलग राज्यों के माननीय शिक्षा मंत्री गण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप को तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष डॉ. कस्तूरी रंगन उपस्तिथ थे।,
उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलम्पिक और पैरा-ओलम्पिक में हमारे खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। हमारे युवा इनसे कितना प्रेरित हुए हैं। मैंने अपने खिलाड़ियों से अनुरोध किया है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हर खिलाड़ी कम से कम 75 स्कूलों में जाये। मुझे खुशी है कि इन खिलाड़ियों ने मेरी बात को स्वीकार किया है। “श्री मोदी ने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे अपने इलाके में खिलाड़ियों से सम्पर्क भी करेंउन्होंने कहा,” मैं सभी माननीय शिक्षकगण से कहूंगा, आचार्यगण से कहूंगा कि आप अपने इलाके में इन खिलाड़ियों से संपर्क कीजिए। उनको अपने स्कूल में बुलाइये। बच्चों के साथ उनका संवाद करवाइये। देखिए इससे हमारे स्टूडेंट्स को कितनी प्रेरणा मिलेगी, कितने प्रतिभावान स्टूडेंट्स को खेलों में आगे जाने का हौसला मिलेगा।”
उन्होंने अपने भाषण के प्रारम्भ में कहा ,”सबसे पहले, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले हमारे शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो एक निष्ठ प्रयास किया है, योगदान दिया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है। इस कार्यक्रम में हमारे जो विद्यार्थी उपस्थित हैं, मैं उनके भी चेहरे स्क्रीन पर देख रहा हूँ। डेढ़-दो सालों में पहली बार ये अलग सी चमक आपके चेहरों पर दिख रही है। ये चमक संभवत: स्कूल्स खुलने की लगती है। लंबे समय बाद स्कूल जाना, दोस्तों से मिलना, क्लास में पढ़ाई करना, इसका आनंद ही कुछ और होता है। लेकिन उत्साह के साथ-साथ कोरोना नियमों का पालन भी हम सबको, आपको भी पूरी कड़ाई से करना है।”श्री मोदी ने कहा,” इस कोरोनाकाल में आप सभी दिखा चुके हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था का सामर्थ्य कितना ज्यादा है। चुनौतियाँ अनेक थीं, लेकिन आप सभी ने उन चुनौतियों का तेजी से समाधान भी किया। ऑनलाइन क्लासेस, ग्रुप वीडियो कॉल, ऑनलाइन प्रोजेक्ट्स, ऑनलाइन एक्जाम्स, पहले ऐसे शब्द भी बहुत लोगों ने सुने ही नहीं थे। लेकिन हमारे टीचर्स ने, पैरेंट्स ने, हमारे युवाओं ने इन्हें सहजता से दैनिक जीवन का हिस्सा बना दिया.”
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