क्या राजस्थान में मंत्रिपरिषद का विस्तार पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रख होगा?
नई दिल्ली। राजस्थान में गहलोत मंत्रिपरिषद के विस्तार और प्रदेश संगठन में व्यापक बदलाव की अटकलों के मध्य कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा अगले वर्ष लोकसभा के सन 2024 में उत्तरप्रदेश सहित कुछ राज्यों में होने वाले सत्ता के सेमी फाईनल चुनावों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की हालिया घोषणा के नए फॉर्मूला के मद्दे नज़र राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन के सम्भावित बदलाव में भी महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सकता हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस हाई कमान और गांधी परिवार के सबसे अधिक वफ़ादार नेता माने जाते है। वे ऐसी घोषणाओं को हाथी हाथ लागू करने में प्रायः सबसे आगे रहते है।ऐसे में यह सम्भावना है कि प्रदेश में गहलोत की नई केबिनेट में पहलें की तुलना में अधिक महिलाओं के चेहरे देखने को मिल सकते है।
मुख्यमंत्री गहलोत अपने मंत्रिपरिषद में महिलाओं को व्यापक भागीदारी दे सकते हैं जिसमें तीन-चार महिला विधायकों को कैबिनेट विस्तार में जगह दी जा सकती है और दो-तीन महिला विधायकों को अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों में राजनीतिक संदेश देने के लिए संसदीय सचिव भी बनाया जा सकता है।प्रियंका गांधी की यूपी में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा का असर राजस्थान में भी देखा जा सकता है।
गहलोत मंत्रिपरिषद में अभी 21 मंत्री है और 200 सदस्यों वाली विधानसभा में पन्द्रह प्रतिशत के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित कुल तीस मंत्री बनाए जा सकते है। इस प्रकार अभी नौ मंत्रियों और मंत्रियों को शामिल करने की गुंजाईश है। वर्तमान में गहलोत सहित उनके मंत्रीमंडल के कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभागों की दोहरी ज़िम्मेदारियाँ है। केबिनेट विस्तार में इन मंत्रियों के काम के भार को कम कर नए मंत्रियों को ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती हैं।
कांग्रेस हाई कमान ने गहलोत मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों डॉ रघु शर्मा और हरीश चौधरी को गुजरात एवं पंजाब के प्रभारी का दायित्व सौंपा हैं। वहीं डॉ बी डी कल्ला और प्रमोद भाया जैन आदि को भी आज़ादी के अमृत महोत्सव समिति में शामिल किया गया है। साथ ही कुछ अन्य को भी संगठन की जिम्मदारियां दी जा सकती हैं।इसके अलावा विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव होना है और संसदीय सचिव बनाने की गुंजाईश भी मौजूद है।
ऐसे में बताया जा रहा है कि ‘नई गहलोत कैबिनेट’ के लिए दिल्ली और जयपुर में एक फॉर्मूले पर काम किया जा रहा है, जिसके तहत गहलोत मंत्रिपरिषद के विस्तार में 12 से 15 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता हैं। हालांकि यह विस्तार कब होगा, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है,लेकिन पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यकीन है कि इस महीने के अंत तक अन्यथा निश्चित रूप से गहलोत सरकार की तीसरी वर्षगांठ तक ऐसा हो सकता है।
बताया जा रहा है कि मंत्रिपरिषद के विस्तार,संगठन में फेरबदल और निगम बोर्ड आदि में राजनीतिक नियुक्तियों के सम्बन्ध में विचार विमर्श करने के लिए गहलोत शीघ्र ही दिल्ली का दौरा भी करेंगे। जानकार सूत्रों के अनुसार नए मंत्रियों की नियुक्ति आदि के लिए हाई कमान द्वारा गहलोत को पूरी छूट दी जायेगी।
बताते है कि जिन मंत्रियों को संगठन में पद दिए गए है उन मंत्रियों की दोहरी जिम्मेदारियों को दूर करने के लिए पायलट कैंप के चार और सीपी जोशी खेमे के दो विधायकों को मंत्री पद मिल सकता है। इनमें से मुख्यमंत्री गृह और वित्त विभाग मन्त्रालय किसी को देंगे अथवा नहीं यह देखना होगा !
सूत्र यह भी बताते हैकि पहली बार विधायक बने नेताओं को मन्त्री नहीं बनाया जायेगा लेकिन पूर्व में सांसद रह चुके पहली बार के विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए और समर्थित निर्दलीय विधायकों में संयम लोढ़ा, महादेव सिंह खंडेला, बाबू लाल नागर और राजेंद्र सिंह गुढ़ा को मन्त्री बनाया जा सकता है। शेष अन्य विधायकों को संसदीय सचिव बना समायोजित किया जा सकता हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत 16 अक्टूबर को दिल्ली में राहुल गांधी के आवास पर राजस्थान को लेकर हुई बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन से कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों आदि पर विस्तार से चर्चा हुई बताते है।
रेगिस्तान प्रधान पश्चिम राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क़रीब पंद्रह महीनों के पश्चात अपने गृह नगर जोधपुर की यात्रा पर है। इस मध्य मीडिया में यह खबरें भी आ रही है कि गहलोत शीघ्र ही दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और हाई कमान के नेताओं से मुलाक़ात कर राजस्थान के बहु प्रतीक्षित मंत्रिपरिषद का विस्तार करेंगे।
इंडिया न्यूज स्ट्रीम