नई दिल्ली: एम्स, कोविड की संभावित तीसरी लहर से लड़ने के लिए देश को तैयार करने वास्ते डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग कर रहा है।
कोरोना महामारी के दौरान राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लगभग 8 लाख रोगियों का ओपीडी में इलाज किया गया और 1.25 लाख से अधिक रोगियों को आपातकाल में देखा गया तथा 50,000 से अधिक सर्जरी की गईं और 80,000से अधिक रोगियों को भर्ती किया गया।
यह जानकारी एम्स केनिदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एम्स के 66 वें स्थापना दिवस पर दिया। समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मण्डविया थे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीन पवार इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थी।
श्री गुलेरिया ने बताया कि केवल एनसीआई झज्जर में, 8000 से अधिक कोविड रोगियों का उपचार किया गया और एम्बुलेंसों द्वारा लगभग 20000 फेरे लगाए गए। उन्होंने बताया कि एम्स द्वारा कोविड महामारी के दौरान 750 शोधपत्र प्रकाशित किए गए।
समारोह में श्री मांडविया और सुश्री पवार ने “डिजिटल स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा” विषयक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।
श्री गुलेरिया ने बताया कि एम्स ट्रॉमा केंद्र को केवल कोविड-19 रोगियों का उपचार करने हेतु परिवर्तित किया गया था तथा बर्न्स एवं प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक को शामिल करके बिस्तरों की संख्या से बढ़ाकर कर दी गई, जिसमें 101 आईसीयू बेड भी शामिल थे। पहली तथा दूसरी लहर के चरम पर 100% बेड भरे रहे। इसमें महामारी की शुरुआत के बाद से लगभग 400 सर्जरी तथा 1200 डायलिसिस सहित 7500 से अधिक कोविड रोगियों का उपचार किया गया।
एम्स अनुसंधान, शिक्षाविदों और गुणवतापूर्ण परिसर जीवन पर अधिक ध्यान देने के साथ एक विश्व स्तरीय चिकित्सा विश्वविद्यालय के रूप में खुद को फिर से स्थापित करने के लिए तैयार है।
पिछले 6 महीनों में 500 घंटे से अधिक समय के लिए व्यापक परामर्श बैठकें आयोजित की गई हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक का कार्य पूरा कर लिया गया है और जुलाई, 2021 में इसे आंशिक रूप से क्रियाशीन कर दिया गया है। सर्जिकल ब्लॉक का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है और विभिन्न मंजूरी के लिए परीक्षण प्रक्रियाधीन है और जिसके शीघ्र ही क्रियाशील होने की संभावना है। जराचिकित्सा ब्लॉक का निर्माण कार्य लगभग 92% पूरा हो चुका है और सितंबर, 2021 तक इसके कार्यशील होने की संभावना है। प्राइवेट वार्ड का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है और इसे जल्द से जल्द रोगी उपचार के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा।
समारोह में श्री मनसुख मांडविया और डॉ. भारती प्रवीन पवार ने 31 छात्रों को पदक और पुस्तक पुरस्कार तथा प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने के लिए विकृतिविज्ञान, बाल रोग, जठरांत्ररोग विज्ञान और त्वचारोग विज्ञान विभाग को 4 सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार प्रदान किए। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि महोदय और विशिष्ट अतिथि महोदया ने शैक्षिक एम्स नियम पुस्तिका का विमोचन भी किया।
मुख्य अतिथि ने स्व-चालित शुष्क रसायन प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। यह प्रयोगशाला 2-3 घंटे में रिपोर्ट की उपलब्धता के साथ रोगी उपचार के लिए 24X7 नैदानिक सेवाएं सुनिश्चित करेगी।
श्री मनसुख मांडविया ने कहा कि एम्स में प्रवेश पाना हर मेडिकल छात्र का सपना होता है। उन्होंने युवा पीढ़ी को ऐसे विचारों पर मंथन करने और बारीकी से सोचने का आह्वान किया जो भारत में चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ करने और भारत को शीर्ष वैज्ञानिक देशों में स्थान दिलाने में सहायक होंगे।इस अवसर पर, जिपमेर (JIPMER), पुडुचेरी के निदेशक, डॉ. राकेश अग्रवाल द्वारा “जन स्वास्थ्य नीति मार्गदर्शन में स्वास्थ्य अर्थशास्त्र का उपयोग” विषय पर तृतीय ‘एम्स स्वर्ण जयंती व्याख्यान’ दिया गया।
श्री मनसुख मांडविया और डॉ. भारती प्रवीन पवार ने कन्वर्जेंस ब्लॉक में स्थित ‘स्किल ई-लर्निंग और टेलीमेडिसिन सुविधा’ का भी दौरा किया।
इंडिया न्यूज स्ट्रीम