नागपुर । महाराष्ट्र में नकली दवाओं और खांसी की सिरप की रोकथाम के लिए सरकार ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इस जानकारी का खुलासा महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) मंत्री नरहरी जिर्वाल ने बुधवार को राज्य विधानसभा में किया।
भाजपा विधायक अमित सताम और अन्य के सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने बताया कि एफडीए ने विशेष अभियान शुरू किया है। खांसी की सिरप और अन्य दवाओं के नमूने राज्य सरकार के अस्पतालों और ड्रग टेस्टिंग लैब में भेजे गए, जहां उनकी जांच और विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट मिलने के बाद कई अनियमितताओं का पता चला।
इस अभियान में 176 रिटेलर्स और 39 होलसेलर्स के लाइसेंस रद्द कर दिए गए। इसके अलावा, 136 रिटेलर्स और 93 होलसेलर्स का निरीक्षण किया गया और कारण-बताओ नोटिस जारी कर कई लाइसेंस रद्द किए गए। अक्टूबर 2024 में एफडीए के अभियान के दौरान कई दवा दुकानों और कंपनियों से नकली खांसी की सिरप बरामद की गई थी।
मंत्री ने बताया कि डॉक्टरों, क्लिनिकल संस्थाओं और फार्मासिस्टों को निर्देश दिया गया कि वे प्रोप्रानोलोल युक्त दवाएं न लिखें और न बेचें। मुंबई, ठाणे, पुणे, औरंगाबाद और नागपुर में 10 स्थानों पर कुल 36 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 34 नमूने घटिया पाए गए। इनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तपेदिक, हृदय रोग और रक्त शुद्धिकरण से जुड़ी दवाएं शामिल थीं।
मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र में एक विशेष ब्रांड की बच्चों की खांसी की सिरप के 6 नमूने निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। कुछ दवाओं के घटक बदल दिए गए थे या उन्हें मिश्रित करके नए नाम (पैंक्रियाटइन/पैंक्रियाटिन) से बाजार में बेचा गया। इसके अलावा, कुछ नकली/घटिया दवाएं सरकारी अस्पतालों तक अनधिकृत कंपनियों द्वारा भेजी गईं।
मंत्री ने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर के 176 पद (19.4 प्रतिशत) खाली होने के कारण कई जिलों में नियमित ड्रग टेस्टिंग और नियंत्रण प्रभावित हुआ। महाराष्ट्र में मुंबई, नागपुर और पुणे में तीन लैब हैं, जिन्हें अपग्रेड करने का काम चल रहा है। सरकार ने एमपीएसी के जरिए 109 ड्रग इंस्पेक्टरों की भर्ती करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उपलब्ध मानव संसाधनों के जरिए एफडीए नियमित ड्रग टेस्टिंग और नियंत्रण कर रहा है। आवश्यकतानुसार नमूने लैब में भेजे जाते हैं और अनधिकृत/नकली दवाओं के खिलाफ अदालत में कार्रवाई की जाती है।
–आईएएनएस











