राजस्थान विधानसभा के मानसूत्र में इस बार सत्ता पक्ष में आगे की पंक्ति में कुछ नए चेहरे नजर आने की उम्मीद हैं।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की मंज़ूरी के बाद विधानसभा का सत्र 19 सितम्बर से पहले कभी भी आहुत किया जा सकता हैं । इससे पहले मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की उम्मीद है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री अजय माकन प्रदेश के सभी विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से फीडबैक लेकर दिल्ली पहुँचे हैं। वे दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान कोअपनी रिपोर्ट सौपेंगे और उम्मीद है उसके साथ ही मंत्रिमंडल में फेरबदल की कवायद शुरू हो जाएगी। माना जा रहा है कि मंत्रिमण्डल का विस्तार अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में हो सकता है ।गहलोत मंत्रिपरिषद में 10 से 15 नए मंत्री बनाए जाने की संभावना हैं। साथ ही कुछ मंत्रियों के विभागों में भी व्यापक फेरबदल होगा। कांग्रेस समर्थित निर्दलियों और बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों में जो मन्त्री नहीं बन पायेंगे उन्हें संसदीय सचिव बना कर सन्तुष्ट किया जा सकता हैं।
पिछलें दिनों प्रदेश प्रभारी अजय माकन कुछ मंत्रियों को गहलोत मंत्रिपरिषद से हटा उन्हें संगठन के कामों में लगाने के संकेत दिए थे। खाली पड़े मंत्री पदों व हटाएं जाने वाले मंत्रियों के स्थान पर नए मंत्री बनाएं जाएंगे।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार विधानसभा का मानसूत्र सत्र बुलाने की तैयारी चल रही है। सरकारी विभागों ने विधानसभा सत्र को देखते हुए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। कुछ नए विधेयक भी विधानसभा में पेश करने की तैयारी है। बताते है कि संसदीय कार्य विभाग ने विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा है। अब मुख्यमंत्री के स्तर पर फैसला होने के बाद फाइल राजभवन को भेजी जाएगी, हालांकि अभी पुराने सत्र का भी सत्रावसान नहीं हुआ है।
इस बार के विधानसभा सत्र को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि सत्र से पहले गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल होने से बिधानसभा में नए मंत्रियों का आगमन होगा।
पायलट ग्रूप को कड़ा जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत कुछ चौंकाने वाले नाम भी सामने ला सकते है जिनमें विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी का नाम सबसे ऊपर है।
विधायकों की रायशुमारी में अजय माकन के सामने शान्ति धारीवाल, डॉ बी डी कल्ला,डॉ रघु शर्मा, प्रताप सिंह खाचरियाँवास आदि वरिष्ठ मंत्रियों के व्यवहार को लेकर और विधायकों के काम नही करने तथा कुछ मंत्रियों के ख़राब प्रदर्शन को लेकर शिकायतें की गई थी ऐसे में गहलोत अपने समर्थक जुझारू विधायकों को मंत्री बना आगे ला सकते है इनमें डॉ सी पी जोशी के साथ गहलोत के विश्वस्त और विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में है। इनके अलावा कांग्रेस हाई कमान की मुहर लगने पर जुझारू आदिवासी विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालविया, गहलोत के पक्के समर्थक निर्दलीय विधायक पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री महादेव सिंह खंडेला और संयम लोढ़ा, कांग्रेस विधायक मीठालाल जैन एर मंजु मेघवाल आदि के नाम चर्चा में है।कांग्रेस में प्रायः पहली बार विधायक बनने वालों को मन्त्री नहीं बनाने की परम्परा है लेकिन यदि इसमें शिथिलता मिलती है तों सवाई माधोपुर के युवा विधायक और पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री अबरार अहमद के पुत्र दानिश अबरार को विधानसभा में उनके बेहतर प्रदर्शन और क्षेत्र में सक्रियता के आधार पर मन्त्री बनाया जा सकता है।
राज्य मंत्री परिषद में शामिल होने के लिए प्रबल दावेदारों में कांग्रेस विधायकों में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक बृजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, दीपेंद्रसिंह शेखावत, मुरारी लाल मीणा, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह भरतपुर के नाम प्रमुख है।इनके अलावा बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र गुढ़ा और जोगेंद्र सिंह अवाना भी प्रबल दावेदार हैं।
इनके अलावा निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर, विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, आलोक बेनीवाल, अमीन कागजी, इंद्राज गुर्जर, प्रकाश सोलंकी, गोपाल मीणा, गंगा देवी ओर उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी के नाम भी चर्चाओं में शामिल है।
मुख्यमंत्री गहलोत के पास 18 से ज्यादा विभाग
गहलोत मंत्रिपरिषद का विस्तार इसलिए भी अपरिहार्य हो गया है कि कोविड काल खण्ड के चलते दो साल के बाद भी विस्तार नहीं हो पाया है।मौजूदा वक्त में मुख्यमंत्री गहलोत के पास 18 से ज्यादा विभाग हैं. पहले उनके पास वित्त, गृह, कार्मिक जैसे अहम विभागों के साथ 9 विभाग थे. फिर सियासी घमासाना के दौरान सचिन पायलट, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह को मंत्री पद से हटाया गया. वहीं लंबी बीमारी के बाद पिछलें दिनों केबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हो गया। इस कारण पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास, पीडब्ल्यूडी, खाद्घ- आपूर्ति, पर्यटन, सामाजिक न्याय- अधिकारिता, आपदा प्रबंधन- सहायता जैसे अहम विभाग भी मुख्यमंत्री देख रहे हैं। गहलोत के अलावा कुछ और मंत्रियों के पास भी एक से अधिक मंत्रालयों का कार्य भार है। विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भी ख़ाली है। विधानसभा की दो सीटें वल्लभ नगर (उदयपुर) और धरियावद(प्रतापगढ़) सदस्य विधायकों के निधन से रिक्त है।
पायलट गुट मंत्रिमंडल, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठनात्मक नियुक्तियों में अच्छी खासी भागीदारी चाहता है। पायलट ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन से हुई चर्चा में अपने खेमे के विधायकों को मंत्री बनाने सहित पिछले साल तय हुए सभी मुद्दों पर शीघ्र क्रियान्वयन की मांग दोहराई है। पायलट ने इन दिनों अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। पायलट का अभी में ही डेरा जमाए हुए है। इसके पहले पायलट ने अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक का दो दिवसीय दौरा किया।पायलट राजस्थान में टोंक से विधायक है।
पायलट ने माकन से दिल्ली में मुलाकात की हैं, इसलिए वे माकन की विधायकों से जयपुर में हुयी व्यक्तिगत मुलाकात में शामिल नहीं हुए।
पायलट कांग्रेस हाई कमान के समक्ष पिछले साल बगावत के बाद उनकी घर वापसी के वक्त गठित अहमद पटेल के सी वेणुगोपाल और अजय माकन की तीन सदस्यीय समन्वय कमेटी के सामने हुई बातों और वादों को शीघ्र पूरा करने की मांग कर रहे हैं। उस वक्त तय हुए मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं।अब सारा संघर्ष उन्हीं मुद्दों के ईर्द गिर्द हो रहा है।उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी यहीं मांग दोहराई है।
मंत्रिमंडल विस्तार के कयासों के बीच मंत्रायलिक भवन में गहमागहमी बढ गई है। मौजूदा स्थिति में मंत्रायलिक भवन मे कई कमरों में काम तेज गति से चल रहा है। नए मंत्रियों के लिए कमरे तैयार किए जा रहे हैं । इस दौरान मंत्रियों के स्टाफ से बातचीत में पता चला कि मंत्रायलिक भवन में 12 कमरों की सफाई हो चुकी है और फर्नीचर व अन्य साज सज्जा के सामान का आर्डर दिया जा चुका है। एक दो दिन में फर्नीचर लगना शुरू हो जाएगा।
रमेश मीणा को खादय व नागरिक आपूर्ति मंत्री पद से हटे एक वर्ष पूरा हो गया। उनके पुराने कार्यालय का स्टॉफ सुस्ती में नजर आया। वहां बैंच पर सुस्ता रहा एक कर्मचारी बोला, नया मंत्री आने पर फिर पहले जैसी गहमागहमी शुरू होगी।
कुल मिला कर राजस्थान में मंत्रिमण्डल फेरबदल की बहु प्रतीक्षित घड़ी आ गई हैं। बस ! तारीख का ऐलान होना बाकी हैं।