नई दिल्ली । राजस्थान में अनुसूचित जनजाति समुदाय अलग-अलग मोर्चों पर संघर्ष की राह पर है। राजस्थान में आदिवासियों की इस राजनीतिक पेतरेंबाज़ी से सत्ताधारी कांग्रेस और प्रतिपक्ष भाजपा दोनों परेशानी में है।
दक्षिणी राजस्थान में आदिवासियों का एक बड़ा वर्ग गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी अंचलों को मिला कर एक नए ‘भील प्रदेश’ के सूत्रपात की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वहीं गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी ) अपने पेर पसार कर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को कड़ी चुनौती दे रही है। बीटीपी ने पिछलें विधानसभा, लोकसभा, स्थानीय निकाय और छात्र संघों के चुनावों में इन दोनों प्रमुख दलों के परम्परागत वोट बैंक पर गहरी सेंध लगाई है। बीटीपी के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस और बीजेपी दोनों अंदर-अंदर से बहुत भयभीत है।
इधर कांग्रेस में डूंगरपुर के विधायक और प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा ने राज्य विधानसभा में
यह सनसनीपूर्ण बयान देकर खलबली मचा दी कि आदिवासी हिन्दू नहीं है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का पंथ, आस्थाएँ,मान्यताएं,परम्पराएं,रीति-रिवाज आदि बहुत अलग हैं।
इसी प्रकार भाजपा के वरिष्ठ सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने जयपुर के आसपास के दुर्ग और किलो पर स्थित मन्दिरों में आदिवासी झण्डे और तिरंगा फहराने का सिलसिला शुरू कर अपनी पार्टी और प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस को परेशानियों में डाल दिया है। मीणा इस काम में कांग्रेस के वोट बैंक मुस्लिम समुदाय का भी साथ ले रहें है।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंगलवार को अपने समर्थकों और आमजन के साथ जयपुर के खोहगंग पहुंचकर तिरंगा झंडा फहरा ही दिया। इस दौरान मीणा और मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। तिरंगा फहराने से पहले डॉ. मीणा ने एक सभा को भी संबोधित किया और मीणा-मुस्लिम एकता ज़िंदाबाद के नारे लगवाए।
गौरतलब है कि खोहगंग से पहले डॉ. मीणा पुलिस के तमाम सुरक्षा इंतज़ामों को धत्ता बता कर जयपुर के ही आमागढ़ में मीना समाज का झंडा फहरा चुके हैं। आमागढ़ के बाद सांसद ने खोहगंग में 21 अगस्त को पहुंचकर तिरंगा झंडा फहराने का ऐलान किया था, लेकिन उन्होंने 17 अगस्त को ही खोहगंग पहुंचकर झंडा फहरा दिया।
इससे पहले सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की 21 अगस्त को प्रस्तावित तिरंगा यात्रा को लेकर जयपुर जिला प्रशासन की ओर से 90 फ़ीसदी मांगों पर सहमति जता दी गई। इसमें प्रशासन ने तिरंगा झंडा फहराने की अनुमति भी दे दी।
इस प्रकार राजस्थान में आदिवासी समुदायों द्वारा अलग-अलग मोर्चों पर अलग-अलग अभियान चलाने से सभी सांसत में है। हालाँकि कांग्रेस और भाजपा दोनों कहते है कि वे छत्तीसों कोमों को साथ लेकर चलने वाली पार्टियाँ है लेकिन उनके अपने क्षत्रपों द्वारा चलाए जा रहें इन अभियानों एवं अलग ही धारा में चलने के अलावा बीटीपी जैसी पार्टियों के अभ्युदय से दोनों दल एक अलग ही मुश्कील और असमंजस की स्थिति में फँस गए है तथा उनके लिए भावी राजनीतिक आँकलन किसी टेडी खीर के समान लग रहें है।