नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय ख्याति की लेखिका तसलीमा नसरीन ने आज शाम अपनी पुस्तक “शब्द वेधी /शब्द भेदी” के लोकार्पण समारोह में यह जानकारी देकर श्रोताओं को चौंका दिया कि फेसबुक ने उनको इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ लिखने पर बैन कर दिया
प्रतिष्टित साहित्यिक पत्रिका” हंस” द्वारा आयोजित समारोह में सुश्री नसरीन ने पीड़ा भरे स्वर में यह जानकारी दी।उन्होंने बड़े क्षोभ के साथ कहा ,”मैं 27 सालों से निर्वासित जीवन गुजार रही हूँ।न मेरा कोई देश है,न मेरा कोई घर। न बंगला देश लौट सकती हूं और न ही पश्चिम बंगाल में रह सकती हूं ।अब तो “प्रेम” ही मेरा “घर” है।जहां प्रेम मिलता है वहीं मेरा घर हो जाता है।
उन्होंने कहा कि मुझे अमरीका की भी नागरिकता मिली है लेकिन दुनिया घूमने के बाद भारत में ही लौटकर रहती हूं क्योंकि यहां मुझे प्रेम मिलता है और यहां मेरी भाषा है और अपनी भाषा ही मेरा घर है।
उन्होंने कहा कि वह साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ती रही हैं । इस्लामिक जेहाद के खिलाफलड़ना मुश्किल है।पिछले दिनों बंग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के खिलाफ लिखा तो कल रात मुझे फेसबुक ने ब्लॉक कर दिया।”
उन्होंने कहा,”मुझे मीडिया वाले छापने से डरते हैं इसलिए सोशल मीडिया पर लिखती हूं लेकिन वहां भी अब प्रतिबंध।मैंने ट्वीटर पर लिखा है इसके विरोध में।उन्होंने कहा कि कोई भी लोकतंत्र अभिव्यक्ति की आज़ादी के बिना मजबूत नहीं हो सकता है। मानवाधिकार और धर्मनिरपेक्षता संकट में है लेकिन वह सत्य के लिए जीवन भर लड़ती रहेंगी।
उन्होंने ” हंस” के संपादक स्वर्गीय राजेन्द्र यादव की तारीफ करते हुए कहा कि जब मीडिया मुझे छापने का साहस नही कर रहा था तब यादव जी ने हंस में मुझसे स्तम्भ लिखवाया और आज मुझे उन लेखों के संचयन की पुस्तक हिंदी में देखकर खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि वह हिंदी पढ़ नही बोल सकती पर समझती हूं।
इन लेखों का अनुवाद श्रीमती अमृता वेरा ने किया है और उसका संपादन पत्रकार रंगसमीक्षक संगम पांडेय ने किया है।गत दस वर्ष से यह स्तम्भ हंस में छप रहा है।
समारोह में हंस की पुरस्कृत कहानियों के अंग्रेजी अनुवाद के दो खण्डों का भी लोकार्पण किया गया ।