मुंबई, 3 जून। जाने-माने कवि, गीतकार और पटकथा लेखक प्रसून जोशी ने कहा है कि फिल्म बनाना ‘हिम्मतवाला’ का काम नहीं होना चाहिए, बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति का काम होना चाहिए जिसमें प्रतिभा हो।
पद्म पुरस्कार से सम्मानित श्री जोशी ने आज यहां 17वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ 2022) की एक मास्टर क्लास में कहा, “हम विविधता के बारे में बात करते हैं, लेकिन विविधता कैसे आएगी जब तक कि फिल्म निर्माण का लोकतंत्रीकरण नहीं होता। यदि चुनिंदा लोगों का ही चुना हुआ झुंड फिल्में बनाता रहा, तो हमें समान सीधी कथाओं वाली फिल्में ही मिलती रहेंगी।”
उन्होंने कहा कि हमें असली फिल्में तभी मिलेंगी जब विविध पृष्ठभूमि से आने वाले लोग फिल्में बनाना शुरू करेंगे और इसी तरह हमारा सिनेमा समृद्ध हो सकता है।
“तारे जमीन पर “के चर्चित गीतकार श्री जोशी ने कहा कि फिल्म निर्माण का केंद्र बिंदु विचार होना चाहिए, कहानी कहने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि प्रक्रिया पर। उन्होंने कहा कि कहानियां कल्पना से आती हैं। ‘गांधी’ तथा ‘गांधी माई फादर’ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कथा इस बात से आती है कि आप उसे कैसे देखते हैं।
“एक ही कहानी को एक नई दृष्टि के साथ देखने पर उसे अलग तरह से कहा जा सकता है।” ‘रंग दे बसंती’ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें क्रांतिकारियों की विषय-वस्तु को एक नए दृष्टिकोण से देखा गया है।
‘हजार बार यहां से ज़माना गुज़रा है, नई नई सी ही कुछ तेरी रह गुजर फिर भी।’ भले ही कहानी पहले भी एक हजार बार कही जा चुकी हो फिर भी इसे अनोखे तरीके से हजार बार फिर कहा जा सकता है, क्योंकि हर आदमी एक अनकही कहानी, अधूरा सपना, अनुभव के खजाने के अलावा कुछ नहीं है।
प्रसून जोशी ने कहा कि, हर कोई अपने नजरिए से हमेशा एक सुंदर कहानी जाह सकता है। उन्होंने कहा कि हम भारत के इतिहास और इसकी समृद्ध संस्कृति से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
श्री जोशी ने कहा, “परम सत्य को समझना बहुत कठिन है, जिसे अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह से समझते हैं। हर किसी के पास एक अद्वितीय और प्रामाणिक दृष्टिकोण होता है। “आप हर जगह नहीं हो सकते हैं, इसलिए आपको अपने वास्तविक नजरिए से विषय को देखना चाहिए। इससे कहानी दिलचस्प और आकर्षक बनेगी।”
लेखक ने ‘भाग मिल्खा भाग’ के निर्माण से जुड़ी एक दिलचस्प घटना सुनाई। जब वे फिल्म के लिए मिल्खा सिंह से जानकारिया ले रहे थे तब कई सवालों के जवाब के बाद उस धावक के कहा “आप केवल मेरे जीवन के बारे में पूछ रहे हैं, और खेल के बारे में कुछ नहीं?”
सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और लेखक अनंत विजय ने किया।