नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेंशन विभाग को एक नया स्वरूप दिया। इसे अब केवल पेंशन वितरित करने तक ही सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि बहुत से मानवीय सुधार भी किए गए हैं। केंद्र सरकार ने पेंशन प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास किया है, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद से पेंशन विभाग में कई महत्वपूर्ण बदलाव और सुधार किए गए हैं। इन सुधारों का उद्देश्य पेंशन वितरण को सरल और सुलभ बनाना था, ताकि पेंशनर्स को समय पर और बिना किसी परेशानी के पेंशन मिल सके।”
उन्होंने आगे कहा, “पहला बड़ा सुधार यह था कि पेंशनरों को जीवित रहने का प्रमाण देने के लिए हर साल बैंक में (प्रमाणपत्र) जमा करना पड़ता था। यह प्रावधान विशेष रूप से उन पेंशनर्स के लिए कठिनाई उत्पन्न करता था, जो वृद्धावस्था में होने के कारण स्वयं जाकर यह प्रमाणपत्र जमा नहीं कर सकते थे। कुछ पेंशनर्स तो ऐसे थे जो 90 वर्ष या उससे ऊपर के थे, और उनके लिए यह प्रक्रिया बहुत कठिन और परेशानी भरी थी।”
उन्होंने आगे कहा, “इन्हीं समस्याओं को देखते हुए मोदी सरकार ने तकनीकी सुधारों के माध्यम से इस प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास किया। सबसे पहले, डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की शुरुआत की। साल 2014-15 में इसकी शुरुआत हुई और यह योजना सफल रही। इसके बाद एक और बड़ा कदम उठाया गया। कई पेंशनर्स की उम्र बहुत बढ़ चुकी थी और उनकी उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) भी सही से नहीं आ पाते थे, जिससे बायोमेट्रिक सत्यापन में समस्या आती थी। इस समस्या का समाधान आधुनिक फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी से किया गया।”
उन्होंने कहा, “यह पहली बार था जब भारत सरकार के किसी विभाग ने फेस रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग किया और इसे पेंशन वितरण प्रक्रिया में शामिल किया। इसके तहत, पेंशनर्स को अपने मोबाइल फोन में कैमरे से खुद की तस्वीर खींचनी होती थी, और कुछ ही सेकंडों में आधार के माध्यम से उनका जीवन प्रमाणपत्र बैंक में उपलब्ध हो जाता था। इस पूरी प्रक्रिया में पेंशनर्स को सिर्फ 30-40 सेकंड का समय लगता था, और जीवन प्रमाणपत्र तुरंत बैंक तक पहुंच जाता था।”
उन्होंने आगे कहा, “इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, पेंशन वेलफेयर एसोसिएशन ने सहयोग किया और पेंशनर्स को तकनीकी उपायों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप, लाखों पेंशनर्स ने इस तकनीकी सुविधा का लाभ उठाया और डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रणाली को अपनाया। इस प्रक्रिया को बहुत सारे परिवारों में एक सामाजिक अभियान की तरह देखा गया, जहां तीसरी पीढ़ी के बच्चे अपनी दादा-दादी की तस्वीरें लेकर ऐप के माध्यम से उनकी मदद करते थे।”
उन्होंने कहा, “इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर चलाया गया, जिसमें देश भर के 700 से 750 शहरों में एक साथ अभियान चलाया गया था। यह अभियान नवंबर महीने में आयोजित किया गया था, और इस साल भी नवंबर में यह अभियान जारी रहेगा। इस बार सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि इस अभियान को और भी व्यापक स्तर पर चलाया जाए, ताकि अधिक से अधिक पेंशनर्स इसका लाभ उठा सकें।”
उन्होंने कहा, “इसके साथ ही देश ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। साल 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है, और 2040 तक भारतीय मूल का व्यक्ति चांद की सतह पर कदम रखेगा। इस समय भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में सबसे अग्रणी और प्रभावशाली बन चुका है। जहां पहले भारत दूसरे देशों से सीख कर आगे बढ़ता था, अब हम अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में दूसरों को दिशा देने का काम कर रहे हैं।”
–आईएएनएस