नई दिल्ली: देश की पहली वीरांगना रानी वेलु नचियार की आज (3 जनवरी) को जयंती है। रानी नचियार साल 1780- 1790 के समय में शिवगंगा रियासत की रानी थी। वह भारत में अंग्रेज़ी औपनिवेशिक शक्ति (ईस्ट इंडिया कंपनी)के खिलाफ लड़ने वाली पहली वीरांगना थी। उन्हें तमिलनाडु में वीरमंगई नाम से भी जाना जाता हैं।
वेलु नाचियार का जन्म 3 जनवरी, 1730 में रामनाथपुरम के राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता राजा चेलामुत्तु विजयारगुंडा सेतुपति तथा मां रानी सक्कांदिमुथल नाचियार थीं। माता-पिता की इकलौती संतान वेलु जन्म से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी थीं। राजा ने उनका लालन-पालन बेटे की तरह किया था। बचपन में वेलु को पढ़ने-लिखने के अलावा हथियार चलाने का भी शौक था। सो कुछ ही अवधि में उन्होंने तलवारबाजी, तीरंदाजी, घुड़सवारी, वलारी (हंसिया फैंकने), सिलंबम ( लाठी चलाने) तथा भाला फेंकने जैसी युद्ध कलाओं में महारत हासिल कर ली थी। किशोरावस्था पार करते-करते वह तमिल, फ्रांसिसी, उर्दू, मलयालम, तेलुगू और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान अर्जित कर चुकी थीं। कम उम्र में ही महान तमिल ग्रंथों का अध्ययन कर उन्होंने खुद को अपने पिता का योग्य उत्तराधिकारी सिद्ध कर दिया था। वेलु की प्रतिभा और लगन देख उसके माता-पिता भी बेटा न होने की चिंता को भूल चुके थे।
साल 1780 में मैसूर के सुल्तान, हैदर अली की सहायता से बनाई गयी सेना के साथ उन्होंने अंग्रेजो से लोहा लिया। नचियार ने अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के शिकंजे से अपने राज्य को बहुत ही पराक्रम से निकला था। रानी वेलु नचियार वह पहली महिला क्रन्तिकारी रानी थी जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी। उसके बाद उन्होंने अंग्रेज़ी शक्तियों से लड़ने के लिए व अपनी पुत्री की याद में एक सशक्त महिला सेना तैयार की थी जिसका निधन अंग्रेजो से लड़ाई के दौरान हो गया था। ऐसा माना जाता हैं क मानव बम का उपयोग सबसे पहले उन्होंने ही किया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रानी वेलु नाच्चियार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।
एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा हैः
वीरांगना रानी वेलु नाच्चियार का उनकी जयंती पर स्मरण कर रहा हूं। उनका अदम्य साहस आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष करने की उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता अद्भुत थी। वे नारी शक्ति की हमारी भावना का जीता-जागता स्वरूप हैं।
———– इंडिया न्यूज स्ट्रीम