नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य एजेंसियां एक स्वदेशी काउंटर-ड्रोन तकनीक विकसित करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं, जो जल्द ही उपलब्ध होगी। गृह मंत्री का यह बयान पिछले महीने जम्मू वायुसेना अड्डे पर ड्रोन हमले के कुछ दिनों बाद सामने आया है। 27 जून को पाकिस्तान से लगी सीमा से करीब 14 किलोमीटर दूर स्थित उच्च सुरक्षा हवाई अड्डे पर रात दो बजे से थोड़ा पहले हुए विस्फोटों में भारतीय वायुसेना के दो जवान घायल हो गए थे, जिन्हें मामूली चोटें आईं थी।
सूत्रों के अनुसार, ड्रोन को बार-बार क्षेत्र में सैन्य प्रतिष्ठानों पर मंडराते हुए देखा गया है और 2019 से पाकिस्तान के साथ सीमा पर 250 से अधिक ड्रोन देखे गए हैं।
यह देखते हुए कि सुरंगों और ड्रोन के माध्यम से ड्रग्स, हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी एक बड़ी चुनौती है, शाह ने कहा कि इन चुनौतियों से जल्द से जल्द निपटना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
शाह ने कहा, ड्रोन के बढ़ते खतरे के खिलाफ हमारी मुहिम आज बहुत महत्वपूर्ण है और इसे कम करने के लिए डीआरडीओ और अन्य एजेंसियां स्वदेशी तकनीक पर काम कर रही हैं और जल्द ही ड्रोन विरोधी स्वदेशी प्रणाली के साथ सीमाओं पर तैनाती बढ़ेगी।
गृह मंत्री शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 18वें अलंकरण समारोह के दौरान यह टिप्पणी की। इस दौरान उन्होंने अदम्य साहस, शौर्य और उत्कृष्ट सेवा के लिए बल के बहादुर अधिकारियों और कर्मचारियों को अलंकरण प्रदान किए।
उन्होंने भविष्य में सीमापार से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और रोबोटिक्स तकनीक के इस्तेमाल के खतरे के प्रति भी आगाह किया और इसके खिलाफ एक दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत पर बल दिया। शाह ने कहा कि सुरक्षा बलों ने नक्सलविरोधी अभियान में भी बहुत अच्छा काम किया है।
शाह ने अलंकरण समारोह में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को याद दिलाया कि दुश्मनों और आतंकवादियों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स तकनीक के इस्तेमाल के खतरे से निपटने में भारत की मदद करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से नई तकनीक खोजना उनकी जिम्मेदारी है।
खुफिया ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार, अनुसंधान और विश्लेषण विंग के प्रमुख सामंत गोयल, बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना और अन्य केंद्रीय पुलिस बलों के प्रमुख समारोह में शामिल हुए।
पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान द्वारा सीमा पार हथियार गिराने के लिए ड्रोन का उपयोग करने की खबरें आई हैं।
पहली घटना अगस्त 2019 में पंजाब में हुई थी जब अमृतसर के एक गांव में दुर्घटनाग्रस्त ड्रोन मिला था।
सितंबर में, सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों ने कथित तौर पर खुलासा किया कि पंजाब में आठ ड्रोन उड़ानों में ड्रग्स और हथियार गिराए गए थे।
जम्मू के कठुआ जिले में पिछले साल 20 जून को बीएसएफ ने एक संदिग्ध जासूसी ड्रोन को मार गिराया था। अगले ही महीने, जम्मू में सीमा पार से सुरंगों का एक नेटवर्क सामने आया।
कार्यक्रम में बोलते हुए, गृह मंत्री ने यह भी कहा कि सीमा सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है और भारत के सामने कई चुनौतियां हैं।
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि मोदी सरकार से पहले देश की स्वतंत्र रक्षा नीति ही नहीं थी और जो भी नीति थी वो देश की विदेश नीति से प्रभावित थी। मोदी सरकार आने के बाद रक्षा नीति स्वतंत्र हुई। उन्होंने कहा कि अच्छी रक्षा नीति के बिना ना तो देश का विकास हो सकता है और ना ही लोकतंत्र पनप सकता है। शाह ने सुरक्षा बलों से ऐसे प्रयास करने का अनुरोध किया जिनसे सीमावर्ती इलाकों के गांवों से पलायन रुके क्योंकि ये हमारी जिम्मेदारी है कि वहां से पलायन रुके और विकास की सारी योजनाएं पहुंचें।
उन्होंने सीमा सुरक्षा बल की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपके नाम मात्र से ही दुश्मनों का दिल दहल जाता है और इसी कारण देश लोकतंत्र के अपनाए हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि दुनिया के ऩक्शे पर भारत अपना स्थान मजबूत कर रहा है उसमें आप सभी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण और अग्रिम पंक्ति में है।
उन्होंने कहा कि बीएसएफ और अन्य अर्धसैनिक बलों के कारण भारत का विश्व मानचित्र पर गौरव का स्थान है।
गृह मंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल और देश के अन्य अर्धसैनिक बलों के कारण ही भारत विश्व के नक्शे पर अपनी गौरवमयी उपस्थिति दर्ज करा पा रहा है।
शाह ने गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और अजय कुमार मिश्रा और गृह सचिव अजय भल्ला के साथ मृत बीएसएफ कर्मियों के परिजनों को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए मरणोपरांत पदक से सम्मानित किया।
बीएसएफ की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, बीएसएफ के 27 जवानों को वीरता के लिए 14 पुलिस पदक और मेधावी सेवाओं के लिए 13 पुलिस पदकों सहित सम्मानित किया जा रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि बीएसएफ ने एक उच्च बलिदान की परंपरा को स्थापित किया है। उन्होंन कहा कि सीमा सुरक्षा बल की स्थापना के 6 साल बाद ही जब उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में सभी तरह के मानवाधिकारों का हनन हो रहा था, अकल्पनीय यातनाएं दी जाती थीं, और जब स्थिति असहनीय हो गई तब उस स्थिति में भारत ने निर्णय किया और बीएसएफ के जवानों ने एक अहम भूमिका निभाई और आज बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर अस्तित्व में है।
शाह ने कहा कि चाहे युद्ध काल हो या शांति काल हो, बीएसएफ के जवानों ने हमेशा अपने कर्तव्य को निभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और इसी का परिणाम है कि सीमा सुरक्षा बल को अनेकों वीरता पुरस्कारों से अलंकृत किया गया है।
–आईएएनएस