ढाका । बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने कहा कि यूरोपीय संसद की मानवाधिकार उपसमिति की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब कड़ी मेहनत से हासिल किए गए लोकतंत्र और लोगों के मौलिक मानवाधिकारों पर लगातार गंभीर हमले हो रहे हैं।
ये टिप्पणियां यूरोपीय संघ के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की 16 से 18 सितंबर तक बांग्लादेश की यात्रा के दौरान कही गईं, जिसका उद्देश्य देश में सुधारों और मानवाधिकारों की स्थिति का विश्लेषण करना है।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में अर्कादियस मुलार्ज़िक (ईसीआर, पीएल), उर्मास पैएट (रिन्यू यूरोप, एस्टोनिया), मुनीर सतौरी (ग्रीन्स/ईएफए, एफआर), मानवाधिकार उपसमिति की अध्यक्ष इसाबेल विसेलर-लीमा (ईपीपी, लक्जमबर्ग), और कैटरीना विएरा (द ग्रीन्स/ईएफए, नीदरलैंड) शामिल हैं।
अवामी लीग ने कहा, “यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल सरकारी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के माध्यम से ‘सुशासन को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने में अंतरिम सरकार के कार्यों के बारे में अधिक जानने’ के लिए कर रहा है।”
कटाक्ष करते हुए आगे कहा, “आम बांग्लादेशियों के साथ कोई भी बातचीत प्रतिनिधिमंडल को इस धारणा से तुरंत मुक्त कर देगी कि सुशासन और मानवाधिकारों को फलने-फूलने दिया गया है या वो उससे कहीं आगे बढ़ गया है।”
यूनुस शासन की आलोचना करते हुए, अवामी लीग ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में अब एक “अनिर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष” का शासन है, जिसने बार-बार चुनावों में देरी की है और देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इसमें आगे कहा गया है कि लाखों बांग्लादेशी नागरिकों को प्रभावी रूप से मताधिकार से वंचित कर दिया गया है, जबकि अवामी लीग के समर्थकों, मीडिया के सदस्यों और न्यायपालिका को मनमाने ढंग से मनगढ़ंत आरोपों में हिरासत में लिया गया है या केवल उनकी राजनीतिक निष्ठा के कारण उनकी नौकरी छीन ली गई है।
चिंता जताते हुए, अवामी लीग ने कहा कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत, बांग्लादेश एक ऐसे देश में बदल गया है जहां अल्पसंख्यक, महिलाएं और लड़कियां राजनीतिक या धार्मिक रूप से प्रेरित हिंसा से भयभीत हैं।
अवामी लीग ने यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल से यूनुस शासन के तहत व्याप्त उत्पीड़न, अराजकता और सत्तावादी कृत्यों पर ध्यान देने का आग्रह किया।
पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक अंतरिम सरकार राजनीतिक विरोधियों को गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखेगी और धार्मिक व जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक हमलों को बर्दाश्त करेगी, तब तक न तो आर्थिक विकास और न ही नागरिक समाज की वापसी हो सकती है।
–आईएएनएस