तालिबान ने पाकिस्तानी चौकियों पर एक साथ कैसे किया हमला, कहां से आई इतनी बड़ी सैन्य ताकत

नई दिल्ली । अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर है। हाल ही में तालिबान लड़ाकों ने पाकिस्तान की कई सीमा चौकियों पर एक साथ हमला कर दिया था। बताया जा रहा है कि ये हमले पाकिस्तान की हालिया एयर स्ट्राइक के जवाब में किए गए।

तालिबान ने दावा किया कि इस हमले में पाकिस्तान के कई सैनिकों को मार गिराया और चौकियों पर कब्जा कर लिया। दूसरी ओर, पाकिस्तान का कहना है कि उसने जवाबी कार्रवाई में तालिबान लड़ाकों को ढेर किया।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि तालिबान के पास इतनी बड़ी सैन्य ताकत आई कहां से, जो एक साथ इतने मोर्चों पर हमला कर सके?

दरअसल, ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, अफगानिस्तान (अब तालिबान शासन के नियंत्रण में) की सैन्य शक्ति दुनिया में 118वें स्थान पर है। 1990 के दशक में धार्मिक छात्रों के एक छोटे समूह के रूप में शुरू हुआ तालिबान, 2021 में काबुल पर कब्जा करने के बाद अब एक संगठित फौज का रूप ले चुका है।

कुछ रिपोर्ट के अनुसार तालिबान शासित अफगानिस्तान के पास 1.10 से 1.50 लाख सक्रिय सैनिक, करीब 1 लाख रिजर्व फोर्स, लगभग 14,000 करोड़ रुपए का सैन्य बजट, हल्के हथियार, रॉकेट, तोपें और अमेरिकी हथियारों का कुछ स्टॉक हैं। हवाई जहाज या नौसेना की कमी इनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। वहीं गुरिल्ला युद्ध में इनकी विशेषता है।

तालिबान के पास आधुनिक हथियारों की कमी है, लेकिन उनकी सबसे बड़ी ताकत गुरिल्ला वॉरफेयर है। इसके जरिए वे छोटे समूहों में छिपकर हमला करते हैं। पहाड़ी इलाकों और कठिन भूगोल का फायदा उठाकर वे किसी भी शत्रु को चौंका सकते हैं। इस तरह, ये सेना भले ही आकार में पाकिस्तान की सेना से छोटी है, लेकिन स्थानीय भौगोलिक जानकारी और गुरिल्ला युद्धकौशल के दम पर मुश्किल चुनौती पेश करती है।

रिपोर्टेस के मुताबिक, अक्टूबर 2025 के हमलों में तालिबान ने कुणार-बाजौर, हेलमंद और पक्तिया इलाकों में कई चौकियों पर एक साथ हमला किया। रात के अंधेरे में तालिबान के लड़ाकों के छोटे-छोटे दस्ते पाकिस्तानी चौकियों में घुस गए और भारी गोलीबारी की।

ये हमले 9 अक्टूबर को पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमलों के जवाब में किए गए, जिसमें पाकिस्तान ने काबुल और खोस्त के इलाकों को निशाना बनाया था। तालिबान ने इसे ‘बदले की कार्रवाई’ बताते हुए सीमा पर तोपों से हमला शुरू कर दिया।

बॉर्डर के पास रहने वाला पश्तून समुदाय भी तालिबान को रसद और मदद उपलब्ध कराता है। उनकी रिजर्व फोर्स जरूरत पड़ते ही तेजी से जुट जाती है।

पाकिस्तान की सेना ग्लोबल फायरपावर 2025 में 12वें स्थान पर है, जबकि अफगानिस्तान बहुत पीछे है। इसके बावजूद, सीमा पर जारी झड़पों ने दोनों देशों के बीच तनाव खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है। यह संघर्ष डुरंड लाइन पर हो रहा है, जो दोनों देशों के बीच विवादित सीमा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात काबू में नहीं आए, तो यह संघर्ष पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

डूरंड लाइन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लगभग 2,640 किलोमीटर लंबी एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इसे 1893 में ब्रिटिश भारत के विदेश सचिव सर मोर्टिमर डूरंड और अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खान के बीच एक समझौते के तहत स्थापित किया गया था।

–आईएएनएस

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