नई दिल्ली: वैज्ञानिक मच्छरों से होने वाली बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए मच्छरों को अनुवांशिक संसोधन करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। आनुवंशिक संशोधनों के माध्यम से मच्छरों के विकास को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका में एक अध्ययन ने आशाजनक परिणाम दिखाया है।
यूनाइटेड किंगडम स्थित बायोटेक्नोलॉजी फर्म ऑक्सिटेक फारेस्ट एडीज इजिप्टी मच्छरों की आबादी को कम करने के लिए प्रयोग कर रही है जो चिकनगुनिया, डेंगू, जीका और पीले बुखार जैसे वायरस के लिए एक वेक्टर है।
नेचर जर्नल में छपी डाउन टू अर्थ के एक लेख ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसा जीन तैयार किया है जो मादा संतान को खत्म कर देगा।
बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ऑक्सिटेक ने अरबों जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर विकसित किए हैं जो बीमारी पैदा करने वाले मच्छरों को इंसान से दूर रखने में कारगर साबित होंगे।
वैज्ञानिकों का कहना है कि आनुवांशिक रूप से परिवर्तित नर मच्छर, जो काटते नहीं हैं, वो मादा के साथ मेट करेंगे और इस दौरान उनमें से प्रोटीन निकलेगा, वह आनुवंशिक तौर पर परिवर्तित है। वो प्रोटीन मादा मच्छर को उसके काटने की उम्र से पहले ही मार देगा।
यह एक पारंपरिक कीटनाशक व किसी तरह का रसायन नहीं है जो प्रकृति की को हानि पहुंचायें ।यह नई उभरती हुई तकनीक है जिसे बेहतर विनियमन की आवश्यकता है। ब्राजील, पनामा, केमैन आइलैंड्स और मलेशिया में मच्छरों का पहले ही परीक्षण किया जा चुका था, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐसा कोई प्रयोग नहीं किया गया था।
ऑक्सिटेक के अनुसार, इसका उद्देश्य डेंगू, जीका, पीला बुखार और चिकनगुनिया जैसी हानिकारक बीमारियों पर लगाम लगाना है। कंपनी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि कैलिफोर्निया में 2013 में पहली बार इन मच्छरों का पता चलने के बाद से यह मच्छर तेजी से पूरे राज्य में 20 से अधिक काउंटियों में फैल गया है, जिससे जोखिम बढ़ गया था।
कंपनी ने कहा है कि ये सुरक्षित, टिकाऊ और लक्षित जैविक कीट नियंत्रण तकनीक, मधुमक्खियों और तितलियों जैसे फायदा देने वाले कीड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। यह विधि रोग फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छर को नियंत्रित करने के लिए सिद्ध हुई है जिसने फ्लोरिडा, कैलिफोर्निया और अन्य अमेरिकी राज्यों में तेजी से इंसानों पर आक्रमण किया था।
————-इंडिया न्यूज स्ट्रीम