रूस और यूक्रेन के बीच वीरवार से जारी युद्ध अभी भी जारी है। अपनी सेना के दम पर रुस लगातार यूक्रेन के शहरों पर कब्जा करता जा रहा है। चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के बाद रूस अब यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे के बेहद करीब पहुंच चुका है।
रुस की राजधानी कीव से पश्चिम की तरफ जाने वाला हाईवे शुक्रवार को जाम हो गया। इस पांच लेन हाइवे पर हजारों की संख्या में कार, बस, जीप और ट्रक सहित अलग-अलग गाड़ियां फंसी हुई हैं। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ये जाम कब खुलेगा और वे यहां से निकल पाएंगे। दरअसल, इस हाईवे से लगने वाले शहर और गांवों में 30 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। ये लोग रूस की गोलीबारी से डरकर अब सीमा से सटे यूरोपीय देशों की तरफ भाग रहे हैं। अचानक मची इस भगदड़ से सड़कें जाम हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यूक्रेन छोड़कर भाग रहे लोग रोमानिया, मोल्दोवा, पोलैंड और हंगरी सहित कई पड़ोसी देशों में जाने की कोशिश कर रहे हैं।
वीरवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूसी सैन्य अभियान के बाद यूक्रेन संकट पर अमेरिका भारत के साथ विचार-विमर्श करेगा। भारत क्या यूक्रेन पर रूसी हमले के वक्त अमेरिका के साथ पूरी तरह से है सवाल का जवाब देते हुए बाइडन ने कहा था, ‘यूक्रेन संकट पर हम भारत के साथ विचार-विमर्श करने जा रहे हैं। हमने इसे पूरी तरह से सुलझाया नहीं है।’ इसके पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने वीरवार को ही यूक्रेन संकट पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की थी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात कर बातचीत के जरिये मसला सुलझाने की वकालत की थी।
यूक्रेन, अमेरिका का पड़ोसी देश नहीं है। यूक्रेन में अमेरिका का कोई सैन्य अड्डा नहीं है। यूक्रेन के पास तेल का भंडार नहीं है और यूक्रेन अमेरिका का प्रमुख ट्रेड पार्टनर नहीं है। इसके सबके साथ ही यूक्रेन नाटो सदस्य भी नहीं है। हालांकि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा हित से इतर जाकर सैन्य हस्तक्षेप करता रहा है लेकिन अफगानिस्तान से लौटने के बाद अमेरिका तुरंत युद्ध मामलों में पड़ने से बचना चाह रहा है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है। भारत कहता रहा है कि कूटनीतिक तरीके से ही इस मसले को हल किया जा सकता है। एक तरफ जहां अधिकतर देश यूक्रेन में रूसी हमले को उसकी संप्रभुता का उल्लंघन मानकर रूस की आलोचना कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत ने सुरक्षा परिषद में न तो रूस की आलोचना की है और न ही यूक्रेन के संप्रभुता की बात की है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीरवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर बातचीत भी की। इस दौरान उन्होंने भारत-रूस के संबंधों पर बातचीत की। उन्होंने पुतिन से कहा कि रूस और नेटो समूह के बीच मतभेदों को केवल बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है।
————- इंडिया न्यूज स्ट्रीम