नई दिल्ली: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत हत्या थी या आत्महत्या, इस गुत्थी को सुलझाने के लिए सीबीआई ने अब कमर कस ली है। महंत नरेंद्र गिरि की कथित मौत मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है और एजेंसी ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है। सीबीआई द्वारा गठित यह टीम प्रयागराज के लिए रवाना भी हो चुकी है।
वीरवार को दिन भर सीबीआई के प्रयागराज पहुंचने की चर्चा होती रही, हालांकि देर रात तक टीम पहुंच नहीं सकी थी। शुक्रवार को टीम के आने की बात कही जा रही है, हालांकि अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि एसएसपी की ओर से गठित 18 सदस्यीय एसआईटी मामले की छानबीन में जुटी हुई है।
बता दें कि सोमवार को महंथ नरेंद्र गिरी मृत पाए गए थे, मगर उन्होंने आत्महत्या की थी या हत्या हुई थी, अब तक इस राज से पर्दा नहीं उठ पाया है। हालांकि, पुलिस ने इस संबंध में कई गिरफ्तारियां भी की हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या मामले में पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तारकिया है। संदीप तिवारी को बुधवार की शाम गिरफ्तार किया गया था। उससे पहले महंत नरेंद्र गिरि के मामले में दो अन्य आरोपियों आनंद गिरि और आद्या प्रसाद तिवारी को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया और बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने इन दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
महंत को वाई-श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, लेकिन जिस समय उसने कथित तौर पर अपना जीवन समाप्त किया, उस समय कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। पुलिस को सूचना देने से पहले ही जब रस्सी काटी गई और संत के शव को नीचे उतारा गया तो सुरक्षाकर्मी भी मौजूद नहीं थे।
इन कर्मियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अधिकारियों ने विभागीय जांच भी शुरू कर दी है।
महंत गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए आनंद गिरि पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि संत की मौत के लिए अजय सिंह और अभिषेक मिश्रा सहित उनके सुरक्षाकर्मी जिम्मेदार हैं।
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने पुष्टि की कि 9-10 पुलिस कर्मी, जो नरेंद्र गिरि की सुरक्षा का हिस्सा थे, उनसे पूछताछ हो रही है।
सीबीआई ने जो जानकारी के तौर सवाल यूपी पुलिस से पूछे—-
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सूचना और एफआईआर में अंतर क्यों? अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत के बाद आधिकारिक सूचना दी गई कि दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे शिष्यों ने फांसी का फंदा काट कर शव नीचे उतारा, जबकि उनके शिष्य अमर गिरि ने एफआईआर दर्ज कराई है कि धक्का देकर दरवाजा खोला गया ।
2-
भारी शरीर गठिया का रोग, फिर महंत नरेंद्र गिरि कैसे चढ़े? उनके लिए यह आसान नहीं था कि बेड पर स्टूल रखकर चढ़ जाएं । बिना किसी की मदद के उन्होंने पंखे से फांसी का फंदा लगाया । कैसे, अकेले ही सब कुछ किया और फांसी के फंदे पर झूलकर जान दे दी?
3-
पुलिस के आने से पहले शव क्यों उतारा गया? सबसे अहम सवाल यह है कि कमरे के अंदर संदिग्ध परिस्थिति में नरेंद्र गिरि की मौत हो गई । ऐसे में बिना पुलिस को बताए उनके शव को नीचे क्यों उतारा गया? फोन से संपर्क न होने पर उनके शिष्य परेशान थे । ऐसे में पुलिस के पहुंचने का इंतजार क्यों नहीं किया गया?
4-
सुसाइड नोट को वसीयत की तरह क्यों लिखा गया? सुसाइड नोट को टुकड़ों में लिखा गया है ।एक तरफ नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए आनंद गिरि, मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे को मौत के लिए जिम्मेदार बताया है । वहीं दूसरी ओर मठ की संपत्ति के लिए वसीयतनामा लिखा है । उनका नाम कई बार इस्तेमाल किया गया है ।
5-
आत्महत्या उस कमरे में क्यों, जहां महंत कम रहते थे? नरेंद्र गिरि अपने विश्राम कक्ष में आराम करते थे । अतिथि गृह में वह तभी जाते थे जब कोई व्यक्ति बाहर से मिलने आता था । ऐसे में यह अहम सवाल है कि उन्होंने अपने एकांत कमरे को छोड़ कर बाहर बने अतिथि गृह में फांसी क्यों लगाई?
6-
कमरे के पास का सीसीटीवी कैमरा खराब क्यों? मठ बाघंबरी गद्दी परिसर की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाती है । नरेंद्र गिरि के एक करीबी ने आरोप लगाया कि उनके कमरे के पास लगा सीसीटीवी खराब क्यों था? क्या इसे साजिश के तहत खराब किया गया ।
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पहले भी कई आरोप लगे फिर इस आरोप पर ऐसा कदम क्यों? नरेंद्र गिरि पर कई बार संगीन आरोप लगे । प्रॉपर्टी के विवाद में पूर्व विधायक ने आरोप लगाया । नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि ने दो शिष्यों की हत्या का आरोप लगाया । इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि एक फर्जी आरोप में उन्होंने अपनी जान दे दी?
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लिखने में हिचकते थे तो इतना बड़ा नोट कैसे लिखा? नरेंद्र गिरि से जुड़े संतों ने आरोप लगाया है कि वह अपना हस्ताक्षर करने में भी दस मिनट का समय लगाते थे । कोई भी काम होता था तो शिष्य ही लिखते थे । आखिर में वह हस्ताक्षर कर देते थे । ऐसे में सवाल उठना स्वभाविक है कि उन्होंने कब और कहां बैठकर 12 पेज लिख डाले?
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कौन कह रहा था कि वीडियो वायरल होगा, उसका जिक्र क्यों नहीं? नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में लिखा है कि हरिद्वार के एक व्यक्ति ने बताया कि आनंद गिरि उनकी फोटो एक महिला के साथ गलत काम करते हुए बनाकर वायरल करने जा रहा है । सवाल यह है कि उस व्यक्ति का नाम सामने क्यों नहीं आया?
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सुसाइड नोट से इतर एफआईआर क्यों कराई गई? नरेंद्र गिरि की मौत के बाद ही सुसाइड नोट मिल गया । सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस अफसरों ने अपना बयान जारी किया । इसके बाद आधी रात को सुसाइड नोट से इतर जार्जटाउन थाने में सिर्फ आनंद गिरि के खिलाफ ही क्यों मुकदमा दर्ज कराया गया?
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नरेंद्र गिरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी घटना के वक्त कहां थे । सभी के फोन के डिटेल्स और किसकी क्या लोकेशन थी? इसका भी जवाब लिया ।
12-
सीबीआई ने पूछा पिछले एक हफ्ते में कौन-कौन पुलिसकर्मी उनके साथ थे । किन-किन लोगों ने उनसे मुलाकात की मुलाकात के दौरान जो पुलिसकर्मी मौजूद थे क्या बातें हुई?
—– इंडिया न्यूज स्ट्रीम