संयुक्त राष्ट्र । भारत ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी यह दावा करके आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से छूट का दावा नहीं कर सकते कि वे नागरिक हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, “हमें स्पष्ट कर देना चाहिए: नागरिकों की सुरक्षा का हवाला दे संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादियों को बचाने के तर्क के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए बार-बार नागरिक कवर का इस्तेमाल किया है।”
नागरिकों के लिए उभरते खतरों और उनकी सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद की बहस में बोलते हुए राजदूत हरीश ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नागरिकों को निशाना बनाया गया था। उन्होंने आतंकवादियों और पाकिस्तानी सरकार और सेना के बीच खुले गठजोड़ की ओर ध्यान आकर्षित किया।
हरीश ने कहा, “एक ऐसा देश जो आतंकवादियों और नागरिकों के बीच कोई अंतर नहीं करता, उसे नागरिकों की सुरक्षा के बारे में बोलना शोभा नहीं देता है।”
उन्होंने कहा, “हमने हाल ही में वरिष्ठ सरकारी, पुलिस और सैन्य अधिकारियों को ऑपरेशन सिंदूर द्वारा लक्षित प्रसिद्ध आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि देते देखा।”
लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह और मेजर जनरल राव इमरान और पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक उस्मान अनवर सहित पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारी ऑपरेशन सिंदूर हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों में शामिल थे, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक वरिष्ठ नेता हाफिज अब्दुर रऊफ भी शामिल था, जिसे अमेरिकी सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है।
राजदूत हरीश ने कहा, “पाकिस्तान ने आतंकवादियों पर हमलों का जवाब जानबूझकर भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी करके दिया, जिसमें 20 से अधिक नागरिक मारे गए।”
उन्होंने कहा, “गुरुद्वारों, मंदिरों और कॉन्वेंटों सहित पूजा स्थलों और चिकित्सा केंद्र को जानबूझकर निशाना बनाया गया।”
उन्होंने कहा, “इस तरह के व्यवहार के बाद इस संस्था में उपदेश देना घोर पाखंड है।” “दुर्भाग्य से, सशस्त्र संघर्ष के दौरान महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों को सैन्य अभियानों और आतंकवादी गतिविधियों के लिए मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सुरक्षा परिषद के उन प्रासंगिक प्रस्तावों के कार्यान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाने का संकल्प ले, जिन्हें पहले अपनाया जा चुका है।”
भारत ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकों और मानवीय कार्यकर्ताओं पर कोई भी हमला अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित मौजूदा कानूनी ढांचे की अनदेखी नहीं की जा सकती।
–आईएएनएस