नई दिल्ली: माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) है। इस वर्ष पंचमी तिथि 5 फरवरी को पड़ रही है। सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त पांच फरवरी को सुबह 6 बजकर 43 मिनट से 6 फरवरी सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक है। सरस्वती पूजा के दिन स्कूलों में खासकर सरस्वती पूजा का आयोजन होता है। जिन लोगों को शिक्षा, कला या संगीत के क्षेत्र में सफलता नहीं मिल रही है, उन लोगों को वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करनी चाहिए। मां शारदा को प्रसन्न करके वे सफलता प्राप्त कर सकते हैं. जिन पर मां सरस्वती का आशीर्वाद होता है, उनको यश एवं कीर्ति प्राप्त होती है।
मान्यता है कि इस दिन सबसे पहले पीतांबर धारण करके भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किया था. तब से बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का प्रचलन है. देवी सरस्वती की आराधना बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी जैसे अनेक नामों से होती है. वहीं ज्योतिष के अनुसार पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन और शुभता के कारक माने जाते हैं. गुरु ग्रह के प्रभाव से धन बढ़ता है, सुख, समृद्धि प्राप्त होती है।इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन सूर्य और बुध ग्रह, मकर राशि में एक साथ विद्यमान होंगे। जिस कारण बुद्धादित्य योग का निर्माण हो रहा है। चूंकि बुध ग्रह को वाणी और बुद्धि का ग्रह माना जाता है। इसलिए इस योग में ज्ञान, कला और बुद्धि की देवी मां सरस्वती का पूजन करना बेहद शुभ और फलदायक होगा।
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, 5 फरवरी को प्रातः 3.49 बजे से रविवार के दिन प्रातः 3.49 बजे तक रहेगी। इसी समय 4 फरवरी को 7:10 बजे से 5 फरवरी को शाम 5:40 तक सिद्धयोग रहेगा। फिर 5 फरवरी को शाम 5.41 बजे से अगले दिन 6 फरवरी को शाम 4:52 बजे तक साध्य योग रहेगा। इसके अलावा इस दिन दिन रवि योग का सुन्दर संयोग भी बन रहा है। ऐसे में ये त्रिवेणी योग छात्रों के लिए लिए विशेष शुभ सिद्ध होंगे।
हिंदू धर्म में पीला रंग बहुत शुभ माना जाता है, बसंत उत्सव मानने के लिए अपनी खुशी का इजहार करने के लिए बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल बनाये जाते है. हल्दी व चन्दन का तिलक लगाया जाता है. पीले लड्डू और केसरयुक्त खीर बना कर मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता ।
———-इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम