तीस साल बाद जीती कानूनी लड़ाई दूरदर्शन पत्रकार ने; अदालत ने अवमानना के मामले में मंत्रालय पर एक लाख का जुर्माना लगाया

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नई दिल्ली: उल्च्चतम न्यायालय ने दूरदर्शन के जाने माने पत्रकार सुधांशु रंजन के पदोंनति सम्बन्धी मुकदमे में अदालत की अवमानना के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय के दोषी अधिकारी के खिलाफ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

न्यायमूर्ति न्यायधीश श्री धनंजय चंद्रचूड़ और एम आर शाह की पीठ ने 16 अगस्त को श्री सुधांशु रंजन बनाम सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे के मामले में यह जुर्माना लगाया है और श्री रंजन को पदोंनति के बाद बकाया राशि देने का निर्देश दियाहै।

करींब तीन दशक तक चली तक क़ानूनी लड़ाई के बाद जब मामला देश की शीर्ष अदालत के पास गया तब उच्चत्तम न्यायालय ने 2018 में श्री सुधांशु रंजन और अन्य पत्रकारों के मामले में उनके पक्ष में फैसला दिया था लेकिन जब अदालत के फैसले के बाद भी सरकार ने जब उसे लागू नही किया तब श्री रंजन ने अदलत की अवमानना के लिए याचिका दायर की।
गौरतलब है कि

1988 में 51 टीवी पत्रकार दूरदर्शन में सीनियर क्लास एक और क्लास एक स्केल श्रेणी में नियुक्त हुए।उनकी नियुक्ति लिखित परीक्षा औरमौखिक परीक्षा के आधार पर हुई लेकिन जब1990 में भारतीय सूचनासेवा शुरू हुई तो उन्हें उसमे शामिल नहीं किया गया जबकि उनकी नियुक्ति पी सी जोशी समिति की सिफारिशों पर हुई थी ताकि दूदर्शन को विश्व स्तरीय बनाया जाए।

इनमे कुछ पत्रकार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और सरकार ने उनके प्रमोशन के लिए एक अलग चैनल बनाने का वचन दिया। लेकिन सरकार ने वादा नहीं निभाया तो कुछ पत्रकार हैदराबद में कैट में चले गए।

कैट ने 2000 में इन पत्रकारों को भारतीय सूचना सेवा में शामिल करने का निर्देश दिया लेकिन सरकार इसके खिलाफ आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय में गयी लेकिन अदालत ने पत्रकारों के पक्ष में फैसला सुनाया।केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। 26 सितम्बर2018 को उच्चतम न्यायलय ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायलय और कैट का फैसला बरकरार रखते हुए पत्रकारों के पक्ष में निर्णय सुनाया । लेकिन सरकार ने फैसले को लागू नहीं किया और उसने मामले की समीक्षा के लिए विधि मंत्रालय को भेज दिया। विधि मंत्रालय ने सरकार के समीक्षा प्रस्ताव को दो बार अमान्य कर दिया। तब श्री सुधांशु रंजन ने अदालत की अवमानना का मामला उच्चत्तम न्यायलय में दायर किया।

सरकार ने अदालत में कहा कि 3 माह में फैसला लागू होगा 29 नवम्बर को 2019 को अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि 3 माह में लागू करें ।. 27 फरवरी 2020. को यह अवधि बीत गयी लेकिन प्रमोशन नहीं मिला ।मार्च 2020 में सरकार ने जूनियर प्रशासनिक अधिकारी का प्रमोशन दिया और इसे एक अप्रैल 2007से लागू किया।लेकिन सीनियर प्रशासनिक अधिकारी के रूप में प्रमोशन के आदेश जारी नही हुआ।

श्री रंजन ने 10 जुलाई 2021 को फिर उच्चत्तम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो मंत्रालय ने 26 जुलाई को सीनियर प्रशानिक अधिकारी स्तर के प्रमोशन के आदेश निकाला लेकिन 12 अप्रैल 2013 से।
अंत मे 16 अगस्त को उच्चत्तम न्यायलय ने श्री रंजन के पक्ष में फैसला सुनाया और 30 साल के बाद न्याय मिला।

–इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम

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