ढाका । बांग्लादेश में जब से यूनुस की अंतरिम सरकार ने कमान संभाली है, देश में हिंसा, अराजकता और लक्षित हत्याओं की घटना में बढ़ोतरी देखी गई है। हाल ही में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों की हत्या के तीन मामले सामने आए। हालात को देखते हुए बांग्लादेश के एक बड़े मानवाधिकार संगठन ने देश भर में बड़े पैमाने पर हो रहे अधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंता जाहिर की।
इसके साथ ही संगठन ने भीड़ की हिंसा, न्यायेतर हत्याएं, कस्टडी में मौत, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, राजनीतिक हिंसा में हत्या और प्रेस की आजादी का दमन का मुद्दा भी उठाया। संगठन के बयान के मुताबिक, इनमें से कई घटनाओं में, कानून लागू करने वाली एजेंसियां कार्रवाई करने में नाकाम रहीं। इसके साथ ही संगठन ने इस बात पर भी जोर डाला है कि अपराधियों को सजा दिलाने की ज्यादा कोशिश नहीं हुईं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में देश भर की अलग-अलग जेलों में कम से कम 107 लोगों की मौत हुई। इनमें 69 कैदी और 38 कैदी शामिल थे। देश भर की जेलों में, ढाका सेंट्रल जेल में सबसे ज्यादा 38 मौतें हुईं, उसके बाद गाजीपुर में सात मौतें हुईं। वहीं बाकी मौतें देश भर की दूसरी जेलों में हुईं।
इसके अलावा, एएसके की सूचना सुरक्षा इकाई की मॉनिटरिंग के मुताबिक, 2025 में कम से कम 38 लोग न्यायेतर हत्याओं में मारे गए।
अधिकार संस्था ने कहा कि ये मौतें कानून लागू करने वाली एजेंसियों की कस्टडी में, टॉर्चर के तहत, कथित ‘शूटआउट’ या ‘गनफाइट’ के नाम पर हुईं। इस तरह की घटनाएं वर्तमान स्थिति में मानवाधिकार के संकट को दिखाती हैं।
एएसके ने बताया कि जनवरी और दिसंबर 2025 के बीच बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा की कम से कम 401 घटनाएं हुईं। इनमें 102 लोगों की जान गई और 4,744 लोग घायल हुए।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस दौरान कम से कम 381 पत्रकारों को टॉर्चर और परेशानी का सामना करना पड़ा। कम से कम 23 पत्रकारों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने टारगेट किया और 20 को जान से मारने की धमकी मिली।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बताते हुए एएसके ने जनवरी और दिसंबर 2025 के बीच हुई कई हिंसक घटनाओं का जिक्र किया। इन घटनाओं में हमले, धमकी, लूटपाट, आगजनी और मूर्तियों को तोड़ना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले इस साल हिंदुओं को टारगेट करके कम से कम 42 हमले हुए, जिसके चलते 33 घरों को नुकसान पहुंचा, 36 घरों में आग लगा दी गई, चार मंदिरों पर हमले हुए, 64 मूर्तियों को तोड़ा गया और नौ जमीन हड़पने की घटनाएं हुईं।
मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश बढ़ते मानवाधिकार के उल्लंघन और अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय पर लगातार हमलों की चपेट में है।
–आईएएनएस











