नई दिल्ली । भारत और अमेरिका के बीच काउंटर टेररिज्म (सीटी) पर इंडिया-अमेरिका जॉइंट वर्किंग ग्रुप (जेडब्ल्यूजी) की 21वीं बैठक और 7वां डेजिग्नेशन डायलॉग (सूचीकरण संवाद) का आयोजन हुआ। बैठक का आयोजन नई दिल्ली में 3 दिसंबर 2025 को किया गया था।
विदेश मंत्रालय की ओर से साझा जानकारी के अनुसार इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (काउंटर टेररिज्म) डॉ. विनोद बहाडे और अमेरिका की तरफ से यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट में काउंटर टेररिज्म ब्यूरो में वरिष्ठ अधिकारी सुश्री मोनिका जैकबसेन ने किया।
बैठक में आतंकवाद से निपटने में आपसी सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया, जो भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की भावना और चौड़ाई को दिखाता है। दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद की साफ तौर पर निंदा की।
उन्होंने आतंकवादी मकसदों के लिए अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी), ड्रोन और एआई के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम, जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले और 10 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के लाल किले के पास हुई हाल की भयानक आतंकवादी घटना की कड़ी निंदा की। इसके साथ ही इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
दोनों पक्षों ने कई तरह के पुराने और नए खतरों और चुनौतियों की समीक्षा की, जैसे कि आतंकवादियों की भर्ती, आतंकवादी मकसदों के लिए तकनीक का गलत इस्तेमाल, और आतंकवाद की फंडिंग।
दोनों पक्षों ने चुनौतियों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की, जिसमें प्रशिक्षण, साइबर सिक्योरिटी, बेस्ट प्रैक्टिस का आदान-प्रदान, और लगातार कोशिशों के जरिए जानकारी साझा करना शामिल है।
भारत और अमेरिका के प्रतिनिधियों ने कानून लागू करने और न्यायिक सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की। इसके तहत जानकारी साझा करना और आपसी कानूनी मदद के अनुरोधों पर सहयोग शामिल है।
दोनों देशों का मानना है कि आतंकवाद का सामना करने के लिए लगातार और बड़े पैमाने पर मिलकर कार्रवाई करने की जरूरत है। दोनों पक्षों ने यूएन, क्वाड और वित्तीय कार्रवाई कार्यदल/ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) सहित आतंकवाद का मुकाबला करने के क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
इसके अलावा, दोनों पक्षों ने आईएसआईएस और अल-कायदा से जुड़े संगठनों और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद और उनके प्रॉक्सी ग्रुप्स, समर्थकों, फंड करने वालों और कारोबारियों को यूएन 1267 सैंक्शन्स रिजीम के तहत सूचीबद्ध करने की मांग की, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके सदस्यों पर वैश्विक संपत्ति फ्रीज, ट्रैवल बैन और आर्म्स एम्बार्गो लगे।
काउंटरटेररिज्म पर भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तालमेल को दिखाते हुए, भारतीय पक्ष ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), को फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन (एफटीओ) और स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (एसडीजीटी) दोनों के तौर पर सूचीबद्ध करने के लिए अमेरिकी विभाग को धन्यवाद किया।
–आईएएनएस











