भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया है। सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। आरबीआई ने रेपो रेट 4% पर बरकरार रखा है वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35% पर बना रहेगा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कमिटी ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थित रहेगी जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSFR) और बैंक रेट 4.25 फीसदी रहेगा। पॉलिसी का रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखा गया है। केंद्रीय बैंक ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले, रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को ब्याज दरों में बदलाव किया था।
आरबीआई की MPC मीटिंग 8 फरवरी 2022 को शुरू हुई थी जो गुरुवार को खत्म हुई। इसके पहले 8 दिसंबर 2021 को पॉलिसी मीटिंग के बाद भी ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कमिटी ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनिटरी कमिटी के लिए 6 में से 5 सदस्य पॉलिसी रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखने के पक्ष में थे।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि FY23 में रियल जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि FY23 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.8 फीसदी से घटकर 7 फीसदी रहने का अनुमान है। FY23 की तीसरी तिमाही में महंगाई दर 4 फीसदी रह सकती है वहीं FY23 में महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर के अनुसार बैंकों की बैलेंसशीट में मजबूती आई है. बैंकों को गवर्नेंस और रिस्क मैनेजमेंट मजबूत करने की जरूरत है। हालांकि कच्चे तेल में बढ़ोतरी से चिंता बरकरार है। सिस्टम में लिक्विडिटी का बड़ा सरप्लस बरकरार है। उन्होंने कहा कि देश की एक्सपोर्ट डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। क्षमता विस्तार से इन्वेस्टमेंट डिमांड बढ़ी है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके उलट होता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है।