नई दिल्ली । दुनिया में कई स्थानों पर जारी उथल-पुथल ने भारतीय रक्षा इको-सिस्टम के लिए अपनी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने का अवसर प्रस्तुत किया है। इससे भारत आयातक से आगे बढ़कर युद्ध सामग्री के साथ-साथ गोला-बारूद का निर्यातक बन सकता है।
इन बातों का जिक्र चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने गुरुवार को नई दिल्ली में फिक्की द्वारा आयोजित रक्षा से जुड़े एक विशेष सम्मेलन में किया।
सीडीएस ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल परिवर्तन की स्थिति में है। हम बड़े वैश्विक व्यवधानों के युग से गुजर रहे हैं। दुनिया की अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता (वीयूसीए) की अनिश्चितताओं के बीच, वैश्विक हथियार उद्योग, बढ़ती मांग और आपूर्ति के अंतर की एक विकट समस्या से जूझ रहा है।
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह राष्ट्र के लिए रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए कैसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने विशेष रूप से गोला-बारूद निर्माण के संबंध में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ अभियान को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों द्वारा की गई विभिन्न नीतिगत बदलावों, सुधारों और पहलों का उल्लेख किया।
नागरिक-सैन्य जुड़ाव के महत्व को रेखांकित करते हुए, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने देश की आत्मनिर्भरता अभियान को बढ़ावा देने के लिए सेवाओं, रक्षा उद्योगों और शिक्षा जगत सहित वैज्ञानिकों को एक साथ आने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में टैंक और एएफवी, तोपखाने, वायु रक्षा, हवाई और नौसेना के लिए गोला-बारूद की आवश्यकताओं, मानवरहित प्लेटफॉर्मों के लिए गोला-बारूद और भविष्य के हथियारों के साथ-साथ छोटे हथियारों पर चर्चा के सत्र आयोजित किया गए। इस दौरान सीडीएस ने युद्ध सामग्री में आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
–आईएएनएस