वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में कांग्रेस भाजपा सभी कामकाज प्लान अपनाने को हो रहें हैं मजबूर

कुमारी शैलजा के बाद डी के शिव कुमार चार्टर प्लेन से जयपुर पहुँचे

नई दिल्ली ।आज देश के वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में भाजपा और कांग्रेस सहित हर किसी को कामकाज-प्लान लागू करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हाल ही क़ोरोना की दूसरी लहर की वजह से जन मानस में धूमिल हुई अपनी छवि को सुधारने और पश्चिमी बंगाल में अपेक्षित परिणाम नही मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एनडीए-2 सरकार के बारह मंत्रियों के त्यागपत्र लेकर बहुप्रतिक्षित मंत्रिपरिषद का जंबो विस्तार किया है।

इसी प्रकार आज जब देश के अधिकांश प्रदेशों से कांग्रेस की सत्ता खिसक गई है और पिछले लोकसभा आम चुनावों में मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के कारण बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष का काम देखना पड़ रहा है। ऐसे वक्त में कमजोर होती जा रही कांग्रेस को मज़बूत बनाने और केन्द्र एवं राज्यों के नेताओं के अंतर्कलह को दूर करने के लिए कांग्रेस को भी एक बार फिर से कामराज-प्लान को लागू करने पर गम्भीरता से विचार करना पड़ रहा है।

क्या है कामराज प्लान?

कांग्रेस के दिग्गज नेता और तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे के.कामराज ने वर्ष 1962 के बाद कमजोर हुई कांग्रेस को मजबूत करने के लिए एक प्लान दिया था। उन्होंने उस वक्त के केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों से इस्तीफे दिलवाकर उन्हें कांग्रेस संगठन में काम करने का सुझाव दिया था। यह प्रयोग काफ़ी सफल भी रहा था। बाद में यह प्रयोग ‘कामराज-प्लान’ के नाम से मशहूर हुआ । उस वक्त स्वयं के.कामराज ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और कई केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे भी हुए थे। राजनीति में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की कामराज प्लान की चर्चा समय-समय पर चलती रहती है।

राजस्थान का कामराज प्लान

इस क्रम में इन दिनों कांग्रेस हाई कमान की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट के बीच चल रहें विवाद को समाप्त करने के लिए कामराज फार्मूले को प्रभावी ढंग से लागू करने की योजना पर काम चल रहा है।

बताते है कि राजस्थान में कांग्रेस संगठन को ब्लॉक से प्रदेश स्तर पर फिर से सुदृढ़ बनाने और उसे सक्रिय करने के लिए हाईकमान कुछ अहम फैसले लेने जा रहा है। उन फैसले के क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विभिन्न स्तर से संदेश दे कर हाईकमान मनाने की कोशिश में जुटा हुआ है।

राजनैतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान द्वारा राजस्थान में कामराज फार्मूले को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए गहलोत मंत्रिपरिषद के आधा दर्जन मंत्रियों का इस्तीफा दिलाकर उन्हें संगठन की जिम्मेदारी देने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने प्रदेश के विधायकों और पदाधिकारियों से राय शुमारी के बाद इस सन्दर्भ में पहलें ही संकेत दे दिए थे।

गत रविवार को हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष और सोनिया गांधी की बहुत करीबी माने जाने वाली दूत कुमारी शैलजा सीएम अशोक गहलोत से मिलकर दिल्ली रवाना हुई हैं। इसीप्रकार खबर है कि कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी के शिव कुमार ने सोमवार को चार्टर प्लेन से जयपुर पहुँच कर मुख्यमंत्री गहलोत से मुलाक़ात की है। राजनीतिक जानकार इसे हाईकमान के स्पष्ट संदेश के रूप में देख रहे हैं।कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बाबत शीघ्र ही तस्वीर साफ हो जायेगी।

राजस्थान में कामराज फ़ार्मूले को लागू करने के बारे में समन्वय समिति के मुखिया अहमद पटेल के निधन के बाद शेष दो सदस्य राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी महामंत्री अजय माकन कांग्रेस हाईकमान के शीर्ष नेताओं सोनिया गांधी, प्रियंकागांधी और राहुल गांधी से कई बार विस्तार से चर्चा कर चुके हैं।

प्रभारी अजय माकन ने पिछले सप्ताह तीन दिनों तक जयपुर में विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ व्यक्तिगत मंथनकिया हैं। इस बारे में विस्तार से एक रिपोर्ट भी तैयार की गई है ।और उसे हाईकमान को सौंप दिया गया है। उस रिपोर्ट के आधार पर ही अब शीघ्र ही प्रदेश में मंत्रिमंडल में व्यापक बदलाव के साथ-साथ संगठन और राजनीतिक नियुक्तियां देखने को मिलेंगी। हाईकमान वर्ष 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा के चुनाव और वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा आम चुनाव को लेकर समुचित निर्णय लेने की योजना बनाई जा रही है।

बक़ौल माकन यूपीए की सरकार के दौरान भी आंशिक तौर पर कामराज फार्मूला काम में लिया गया था। उस समय अजय माकन सहित कुछ नेताओं ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा लेकर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बताया जा रहा है कि तदनुरूप राजस्थान में भी कामराज फार्मूले को लागू करने के लिए जनाधार वाले कुछ मंत्रियों से इस्तीफा दिलाकर, उन्हें कांग्रेस संगठन की जिम्मेदारी देने की कार्य योजना बनाई गई है।

प्रभारी अजय माकन ने पिछले दिनों मीडिया से कहा था कि कुछ मंत्रियों ने संगठन में काम करने की इच्छा जताई है।

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान को मिले फीडबैक के बाद प्रदेश के आठ मंत्रियों को कामराज फार्मूले के दायरे में लाया जा सकता है। इसके तहत सचिन पायलट को हटा कर बनाए गए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और गहलोत केबिनेट में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास,कृषि मंत्री लालचंद कटारिया खान मंत्री प्रमोद जैन भाया महिला बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश और खेल राज्यमंत्री अशोक चांदना आदि के नाम चर्चा में हैं। नगरीय विकास मंत्री शान्ति शान्ति धारीवाल और जल संसाधन मंत्री बी डी कल्ला के नाम इस सूची में शामिल हो सकते है।

शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के आधार पर मंत्रिपरिषद से हटा कर प्रदेशाध्यक्ष के रूप में फुल टाइम संगठन पर ही फोकस करने का टास्क दिया जाएगा। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी: खुद संगठन में काम करने की इच्छा जता चुके हैं। वे कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव रहते हुए पंजाब के प्रभारी रहे है ऐसे में अब भी उन्हें किसी राज्य के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास जयपुर शहर जिला अध्यक्ष और जनाधार वाले नेता है उन्हें संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

बहु चर्चित स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा को मौजूदा विवादों और शिकायतों के बावजूद संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव है। वे यूथ कांग्रेस से लेकर प्रदेश कांग्रेस में लगातार संगठन का काम करते रहे हैं। कृषि मंत्री लालचंद कटारिया पहले सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री रहने के साथ जयपुर देहात के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। कटारिया ने पहले भी संगठन में काम करने की इच्छा जताई थी । खान मंत्री प्रमोद जैन भाया विवादों में रहने के बावजूद बारां ज़िले की कांग्रेस राजनीति में सबसे मज़बूत नेता है। वे बारां-झालावाड़ में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को टक्कर देने वाले एकमात्र कांग्रेस नेता माने जाते है । उनकी संगठन पर भी अच्छी पकड़ है। महिला बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश एक दलित महिला चेहरा है और महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुकी हैं। उन्हें अब प्रदेश के संगठन में जिम्मेदारी देने पर विचार चल रहा है।

खेल राज्यमंत्री अशोक चांदना सात वर्षों तक यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। इन मंत्रियों में पायलट कोटे में बने मंत्री भी शामिल है जो कि मौका देखकर सीएम गहलोत के गुट में चले। पायलट अब उन्हें हटाए जाने और अपने समर्थक विधायकों को मंत्री बनाने के लिए अड़े हुए हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि पायलट समर्थित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, रमेश मीणा को कैबिनेट मंत्री बृजेंद्र ओला और मुरारी लाल मीणा को मंत्री बनाया जा सकता है।इसके अलावा पहली बार विधायक बने विधायकों को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है। इसमें वेद प्रकाश सोलंकी, मुकेश कुमार भाकर, रामनिवास गावड़िया,जीआर खटाना और इंद्राज सिंह गुर्जर नाम चर्चा में शामिल है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राय से वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी सरकारी मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी, विश्वस्त और विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में है। इनके अलावा जुझारू आदिवासी विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालविया, पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री महादेव सिंह खंडेला और संयम लोढ़ा, कांग्रेस विधायक मीठालाल जैन आदि को मन्त्री बनाया जा सकता है।

दरअसल गहलोत कांग्रेस से बग़ावत करने वाले सचिन समर्थक विधायकों के मुक़ाबले अपने 102 वफ़ादार विधायकों जिसमें 11 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायक भी शामिल है को अधिक तरजीह देने के पक्ष में है। हालाँकि बे विधायकों के डीनर और कई बार सार्वजनिक रुप से कह चुके है कि आलाकमान का निर्णय ही अन्तिम निर्णय है । दोनों ग्रुपों के मध्य टकराव इसी बात को लेकर है सत्ता एवं संगठन के शह मात के खेल में कौन किसको मात देता है? लेकिन दिनों दिन बढ़ती इस टक्कर के बाद अब गेन्द कांग्रेस हाई कमान के पाले में है। उम्मीद है आज़ादी के जश्न से पहलें राजस्थान में भरोसे का बिगुल बजेगा।

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