शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर देशभर के शिक्षकों ने नई शिक्षा नीति को खारिज कर दिया और उन्होंने कल आंदोलन छेड़ने का आह्वान किया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (फेड्कुटा) से जुड़े शिक्षक नेताओं ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह ऐलान किया। फेडकुटा के अध्यक्ष राजीव रे औ सचिव मिलाप सी शर्मा ने पत्रकारों से ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति न केवल देश में निजीकरण को बढ़ावा देगी और शिक्षा को महंगी बनाएगी बल्कि इससे देश में शिक्षकों की नौकरी भी कम होगी तथा छात्रों के साथ शिक्षकों का संबंध भी कमजोर होगा।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रामसेवक दुबे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की मौसमी बसु, दिल्ली विश्विद्यालय की आभा देव हबीब ,राजेन्द सिंह नेहू यूनिवर्सिटी के प्रसनजीत विश्वास ने भी पत्रकारों को संबोधित किया। इन शिक्षक नेताओं ने कहा कि 29 जुलाई 2020 को मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी थी लेकिन उसके बाद से लेकर अब तक संसद में न तो नई शिक्षा नीति को पेश किया गया और नहीं इस पर चर्चा हुई।
उनका यह भी कहना था कि विश्वविद्यालयों में भी कुलपतियों ने शिक्षकों और छात्रों से नई शिक्षा नीति के बारे में कोई विचार-विमर्श नहीं किया और उसे सीधे लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू तो कर दिया लेकिन देश भर के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालय में 10000 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और राज्यों के विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली हैं उन्हें पहले भरने के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति को सरकार ने लागू कर दिया और 2030 तक दाखिला दर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा लेकिन शिक्षा के बजट को बढ़ाने के बारे में कोई कदम नहीं उठाया और उल्टे शिक्षा को निजी करण के रास्ते पर ढकेल दिया तथा कई स्व पोषित कोर्सों को लागू कर दिया जिससे शिक्षा और महंगी होगी ।इतना ही नहीं विश्वविद्यालयों के अनुदान में कटौती की एवं विश्वविद्यालयों को अपना अपना संसाधन खुद मिटाने का निर्देश दिया।
इन शिक्षक नेताओं ने कहा कि कल शिक्षक दिवस के मौके पर देशभर के शिक्षक आंदोलन करेंगे क्योंकि नई शिक्षा नीति से शिक्षकों की भूमिककम होगी। मूक्स और ऑनलाइन क्लास से शिक्षकों की नौकरी कम होगी।