नई दिल्ली। संसद में कोविड -19 की दूसरी लहर में ओक्सीजन की कमी से किसी की भी मृत्यु नहीं होने के केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री मनसुख भाई मंड़ाविया के सरकारी बयान से उपजा विवाद अभी शान्त भी नहीं हुआ था कि राजस्थान सरकार द्वारा दो अगस्त से सरकारी स्कूलों को खोलने के फ़ैसलें से एक नया ज़बर्दस्त विवाद खड़ा हो गया है।
प्रदेश में प्रतिपक्ष की भूमिका अदा कर रही भाजपा के साथ-साथ बच्चों के पेरेंट्स ने भी इस फ़ैसले को अव्यवहारिक बताते हुए इसके विरोध में आवाज़ उठाना शुरु कर दिया है।
सभी ओर से उठे असंतोष के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तिथि और एसओपी के संबंध में निर्णय लेने के लिए पांच मंत्रियों की एक समिति गठित कर दी है।
सीएम गहलोत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई बैठक में कहा कि इस समिति में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी तथा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग शामिल होंगे। यह समिति शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख एवं इसके लिए विस्तृत एसओपी तैयार करने पर निर्णय करेगी।
सीएम गहलोत ने कहा कि कोविड-19 महामारी की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत शिक्षण संस्थाओं को खोलने की एसओपी के संबंध में गहन विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जाना चाहिए। इसके लिए मंत्रियों की समिति भारत सरकार के स्वास्थ्य तथा मानव संसाधन मंत्रालयों, आईसीएमआर एवं अन्य राज्य जहां शैक्षणिक संस्थान प्रारम्भ किए गए हैं, उनके साथ संपर्क कर उनके अनुभव और फीडबैक पर चर्चा करेगी। साथ ही, भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी लेकर शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख एवं एसओपी के संबंध में निर्णय करेगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में गुरूवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में शिक्षण संस्थाओं को पुनः प्रारम्भ करने के लिए हुए सैद्धांतिक निर्णय लिया गया । इसके के बाद सूबे में असन्तोष के स्वर उठ खड़े हुए थे और कोरोना काल में बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सवाल किए जा रहे थे।