नई दिल्ली: देश में पाईरेसी फ़िल्मों की बाढ़ को देखते हुए सरकार ने आज से इंटरनेट पर पाई रेटेड फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है।
इस समय देश में पाइरेटेड फिल्मों का सालाना कारोबार बीस हज़ार करोड़ रुपए का है।
अब तक पाइरेसी के मामले में कॉपी राइट कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत अदालत के आदेश के बाद पाइरेटेड फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगती थी लेकिन पिछले दिनों दिनों नया सिनेमेट्रोग्राफ एक्ट के ससद में पारित होने के बाद सरकार ने पाइरेटेड फिल्मों को दिखाने वाले लिंकों को फ़िल्म निर्माताओं की शिकायत पर बैन करने का फैसला किया है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज पत्र कारों को बताया कि सरकार ने13 नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया है।अगर किसी फिल्म निर्माता को शिकायत है कि उसकी फ़िल्म का पाइरेटेड एडिशन इंटरनेट पर किसी वेबसाइट , यूट्यूब , इंस्टाग्राम टेलीग्राम आदि पर दिखाई जा रही है तो उस के लिंक को बैन कर दिया जाएगा जिससे कोई व्यक्ति उसे देख नहीं सकेगा।
उन्होंने बताया कि यह नियम 60 साल से अधिक पुरानी फिल्मों पर लागू नहीं होगा क्योंकि उन पर कॉपी राइट नियम लागू नहीं होता ।कापी राइट की अवधि 60 साल की होती है।
सरकार ने आज इसके लिए एक शिकायत का प्रारूप भी जारी किया जिसमें पाइरेसी की शिकायत ऑनलाइन या ऑफलांइन की जा सकती है।इसे मंत्रालय के संयुक्त सचिव पृथुल कुमार् निदेशक आर्मस्ट्रॉन्ग पेम ,सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफिकेशन के सी ई ओ रविन्द्र भास्कर के अलावा सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफिकेशन के सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को शिकायत की जा सकती है।शिकायत सही होने पर 48 घण्टे के भीतर इंटरनेट पर उस फिल्म के लिंक को ब्लॉक कर दिया जाएगा।5 या 6 घण्टे के भीतर भी करवाई हो सकती है।
नए सिनेमेट्रोग्राफ के तहत कम से कम 3 माह जेल तथा 3 लाख रुपये हर्जाने तथा अधिकतम 3 साल जेल और फिल्म निर्माण की लागत का पांच प्रतिशत हर्जाने का प्रावधान है। लेकिन अदालत के आदेश आने में बहुत अधिक समय लगता था और मुकदमा लंबा खींचता था तब तक लोग पाइरेटेड फ़िल्म देखते थे।
–इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम