भारतीय क्रिकेट टीम की टी-20 विश्व कप टीम की विदाई तो उसी दिन लगभग तय हो गई थी, जब न्यूजीलैंड ने उसे आठ विकेट से मात दी थी. बाकी तो दिल को बहलाने के लिए गालिब यह खयाल अच्छा है वाली बात थी. दूसरी टीम हारेगी या हम इतने रनों से जीतेंगे तो सेमीफाइनल में जगह बना लेंगे जैसी काल्पनिक जोड़, गुणा, घटाव. चैनलों पर क्रिकेट के दिग्गज ऐंकरों के साथ गुणा-भाग करते रहते. टीआरपी का खेल भी था. टीआरपी का खेल नहीं होता तो पाकिस्तानी क्रिकेटर चैनल पर खेलते नजर नहीं आते.
भारत-पाकिस्तान मैच से पहले चैनलों ने उत्तेजना फैलाई. हर चैनल ने पाकिस्तानी क्रिकेटरों को बतौर मेहमान बुलाया. इस खेल में वे भी शामिल थे जो राग पाकिस्तान गाते रहते थे और पाकिस्तान के खिलाफ अघोषित युद्ध चैनलों पर ही छेड़ रखा था. लेकिन टीआरपी के लिए इन चैनलों ने अपनी देशभक्ति को किनारे किया और पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों को न्यौता, उन्हें सर-आंखों पर बैठाया और मैच से पहले एक आडंबर रचा. लेकिन भारतीय टीम को मिली हार ने चैनलों को मायूस किया. देशवासियों को भी कम मायूसी नहीं हुई. फिर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा और हम पिट गए. इसी के साथ कहानी खत्म-सी हो गई थी. लेकिन चैनलों ने उम्मीद बनाए रखी थी और गुणा-भाग कर दर्शकों को भी भ्रमाया और क्रिकेट प्रेमियों को भी. लेकिन दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ने में वे नाकाम रहे. नतीजा सामने है.
भारतीय टीम ने अफगानिस्तान, नामीबिया और स्कॉटलैंड को हराया जरूर लेकिन यह सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए जरूरी नहीं था. विश्व कप से टीम की विदाई इसलिए भी साल रही है क्योंकि बतौर कोच रवि शास्त्री का यह अंतिम अभियान था, तो बतौर कप्तान टी-20 प्रारूप में विराट कोहली भी भारत की अगुआई आखिरी बार कर रहे थे. हालांकि कोहली और शास्त्री की विदाई जीत के साथ हुई लेकिन टूर्नामेंट से विदाई निराशाजनक रही,
कोहली की अगुआई वाली भारतीय टीम ने टी20 विश्व कप में नामीबिया को नौ विकेट से हरा कर अपने अभियान का अंत किया. कोहली और शास्त्री ने यूं तो कामयाबी की कई बेहतरीन इबारत लिखी लेकिन यह जोड़ी किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट में चैंपियन बनने का गौरव नहीं पा सकी और यह बात कोहली को भी सालती रहेगी और शास्त्री को भी.
शास्त्री ने टीम इंडिया के लिए कई कामयाब विदेशी दौरे किए, लेकिन आइसीसी टूर्नामेंट में उन्हें नाकामी ही मिली. आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज जीतने का कमाल तो उन्होंने किया लेकिन भारत को अपने कार्यकाल में आइसीसी ट्राफी नहीं दिला सके. दिलचस्प यह है कि हर बार कोहली और शास्त्री की राह में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड ही आ खड़े होते रहे.
कोहली की कप्तानी में भारत 2017 में चैंपियंस ट्राफी के फाइनल में पहुंचा था. लेकिन पाकिस्तान ने कोहली की सेना को हरा कर खिताब जीतने से महरूम कर दिया. फिर 2019 में रवि शास्त्री और कोहली की जोड़ी ने कमाल किया और विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी. लेकिन सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार कर भारत बाहर हो गया. इस साल टेस्ट चैंपियनशिप में भी न्यूजीलैंड ने फाइनल में भारत को हरा कर
कोहली और कोच शास्त्री के सपने को तोड़ डाला. कोहली की टीम ने मैच के आखिरी दिन घुटने टेक दिए. भारत की बल्लेबाजी चरमराई और न्यूजीलैंड ने लक्ष्य का पीछा करते हुए विश्व टेस्ट चैंपियन बनने का गौरव पाया. अब टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड की टीमों ने ही भारत की राह रोकी. दोनों ने भारतीय टीम को एक तरह से बौना साबित किया और शानदार जीत दर्ज कर भारत को सेमीफाइनल में जाने से रोक दिया.
भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठने लाजिमी हैं. दरअसल हाल के कुछ सालों में बीसीसीआई ने आईपीएल को ही अपना लक्ष्य मान लिया. खिलाड़ियों ने भी आईपीएल को तरजीह दी. यह अलग बात है कि आईपीएल में क्रिकेट के अलावा और भी कई खेल समानांतर चलते रहते हैं. फिर भी बोर्ड का सारा जोर आईपीएल पर ही रहता है.
कोई भी टीम एक दिन मे कमजोर या ताकतवर नहीं हो जाती. विश्व कप से निराशाजनक विदाई के लिए भारतीय टीम से ज्यादा जिम्मेदार बीसीसीआई है. टी-20 विश्व कप की मेजबान बीसीसीआई है, जिसने ओस की अहम भूमिका को दरकिनार कर दुबई में शाम साढ़े सात बजे से मैच रखा ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा राजस्व मिल सके. जबकि आईपीएल के दौरान दुबई में मुकाबले की हार-जीत खेल नहीं सिक्के की उछाल तय कर दे रहा था. फिर सट्टेबाजी और जुआ का मामला भी जोर पकड़ता रहा. इस पर किसी का ध्यान नहीं है न बोर्ड का और न ही आईसीसी का. क्योंकि आईसीसी भारतीय बाजार की मुहताज है और सफेद-स्याह के इस खेल में परोक्ष रूप से उसका भी समर्थन मिला हुआ है.
क्रिकेट बोर्ड के लिए टीम की हार-जीत से ज्यादा महत्त्वपूर्ण अपनी तिजौरी भरना है. इसलिए भारत की हार से उसके माथे पर न तो शिकन है और न ही मलाल. हो सकता है कि कुछ खिलाड़ियों की छुट्टी हो, कुछ स्पोर्ट स्टाफ हटाए जाए. लेकिन सच तो यह है कि अब क्रिकेट खालिस धंधा बन गया है. क्रिकेट बाजार के लिए पैसे कमाने की मशीन बन चुका है. जिस खेल को लेकर कभी हम जैसे लोगों में अलग तरह की दीवानगी थी वह अब पैसे की चकाचौंध में गुम होकर रह गई है. आईपीएल में अगले सत्र से दो और टीमें नजर आएंगी यानी और पैसा, और कालिख.
इंडिया न्यूज स्ट्रीम