नई दिल्ली। कट्टर हिंदुत्ववादियों के नफरत भरे धर्म संसद के जवाब में धर्मनिरपेक्ष नागरिकों ने आगामी 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्यस्मृति में सर्व धर्म संसद आयोजित किए जाने की लोगों से अपील की है।
गौरतलब है कि गोड़सेवादियों द्वारा धर्म संसद का आयोजन कर देश का माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे समय में गांधीजी का सर्वधर्म समभाव का विचार देश में एकजुटता कायम रखने के लिए आवश्यक बन गया है।
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम के अनुसार संघ परिवार की विभाजनकारी ,संंकीर्णतावादी एवं हिंसक विचारों के विरोध में यह अपील की जारी की गई है। राष्ट्रीय एकता, सांप्रदायिक सद्भाव, अहिंसा और शांति के लिए 30 जनवरी को महात्मा गांधी के 74 वें शहादत दिवस पर “सर्वधर्म संसद” और “राष्ट्रीय एकता मार्च” का आयोजन होगा।
गांधी के खिलाफ अपमानजनक और घृणित भाषण और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार की खुली धमकी दी जा रही है। यह उन सभी भारतीयों के लिए बड़ी चिंता का कारण है जो एक लोकतांत्रिक संवैधानिक गणराज्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा साम्प्रदायिक नफरत फैलायी जा रही है, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और हमारे समाज के सभी उत्पीड़ित और शोषित वर्गों को अलग-थलग और आतंकित करते हुए समाज का ध्रुवीकरण और विभाजन करना है।
विज्ञप्ति में राष्ट्रीय कार्यक्रम की अपील की गई जो इस प्रकार है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 11 बजे और शाम 5.17 बजे दो मिनट का मौन हो।यह कन्याकुमारी से कश्मीर तक और कच्छ से कोहिमा तक हमारे देश भर में आयोजित किया जाना चाहिए। 11.00 बजे का कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर आयोजित किया जाना चाहिए,। हम हर राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह सुबह 11.00 बजे सायरन बजाएँ, जैसा कि शुरुवाती समय मे होता आया है। फिर शाम 5.17 बजे, जिस समय गांधीजी की हत्या हुई थी, देश भर के हर शहर, कस्बे और गांव में केंद्रीय रूप से कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिये।
देश भर के हर शहर, कस्बे और गाँव में राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव मार्चऔर सर्व धर्म संसद का आयोजन किया जाए।
सद्भाव और शांति के लिए सर्व धर्म प्रार्थना हो। गांधीजी ने इस कार्यक्रम की पहल की थी जिसके तहत विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ आ सकते थे और विभिन्न धर्मों के प्रार्थना और गीत गा सकते थे। इस प्रकार गांधीजी ने लोगों के लिए परमात्मा की विविधता को समझने, उसकी सराहना करने और अपने अनुभव कथन के लिए एक सामान्य सामाजिक स्थान बनाया था।
30 जनवरी को इस कार्यक्रम में सुबह 11 बजे, अपने स्कूलों और कॉलेजों में, अपने घरों और कार्यालयों में, अपने कारखानों और खेतों में, बसों और ट्रेनों में, अपने पूजा स्थलों में, या जहाँ भी हम हों, मौन में खड़े हों जाएँ। ठीक 5.17 बजे, जब बापू की हत्या हुई थी, हम मौन में खड़े हो जाएँ। राष्ट्र को एक साथ, एक समय पर मौन में खड़े होने का आव्हान करें।