कोलकाता । ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने कोलकाता में एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले का पर्दाफाश किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत ट्रेड-बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग (टीबीएमएल) सिंडिकेट के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में एक शिकायत दर्ज करवाई है।
यह कार्रवाई 28 नवंबर 2025 को की गई, जिसमें मेसर्स येकनेल एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी कई एंटिटीज को आरोपी बनाया गया है।
ईडी की जांच में सामने आया कि इन कंपनियों ने गलत तरीके से सैकड़ों करोड़ रुपए विदेश भेजे। उन्होंने सस्ते पत्थरों को कीमती पत्थर बताकर फर्जी दस्तावेज बनाए और ज्यादा कीमत दिखाकर पैसा बाहर भेजा। इसके लिए उन्होंने सरकारी मान्यता प्राप्त वैल्यूअर और कस्टम हाउस एजेंट की मदद ली, जिन्होंने फर्जी रिपोर्ट और ओवर-इनवॉइस्ड कागज तैयार किए।
ईडी ने पाया कि इस धोखाधड़ी में सरकारी मंजूरशुदा वैल्यूअर और कस्टम हाउस एजेंट (सीएचए) की भी मिलीभगत थी, जिन्होंने ओवर-इनवॉइस्ड इंपोर्ट डॉक्यूमेंट और फर्जी वैल्यूएशन रिपोर्ट तैयार की। इसके आधार पर कंपनियों ने अपराधों से उत्पन्न क्राइम की कमाई (पीओसी) को विदेशों में भेजा।
जांच से यह भी सामने आया कि भारत में पहले कई शेल कंपनियों के माध्यम से बड़ी मात्रा में धनराशि जमा की गई, जिसे बाद में कथित इंपोर्ट पेमेंट के नाम पर विदेश भेज दिया गया। इस तरीके से सिंडिकेट ने वैध व्यापार की आड़ में देश से बाहर अवैध रूप से फंड निकालने का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर रखा था।
ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए लगभग 3.98 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियों पर अस्थायी कुर्की जारी की है। इसमें एक रेजिडेंशियल फ्लैट भी शामिल है। इन संपत्तियों को उस धनराशि के बराबर माना गया है, जो टीबीएमएल ऑपरेशन के तहत शेल कंपनियों के माध्यम से भेजी गई थी।
एजेंसी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क में शामिल अन्य एंटिटीज और व्यक्तियों की पहचान करने के लिए जांच जारी है। साथ ही, भारत और विदेश में क्राइम की कमाई (पीओसी) के अंतिम उपयोग और उसके प्रवाह का पता लगाने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है।
–आईएएनएस











