यूरेनियम संवर्धन बंद करने की शर्त पर अमेरिका से कोई समझौता नहीं: ईरानी विदेश मंत्री

अराघची ने रोम में ईरानी और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडलों के बीच अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता के पांचवें दौर से पहले गुरुवार को आईआरआईबी टीवी को दिए एक साक्षात्कार में अपनी बात रखी।

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, “हमारे बीच अभी भी बुनियादी मतभेद हैं। अमेरिका ईरान में यूरेनियम संवर्धन में विश्वास नहीं करता है। यदि उनका यही उद्देश्य है, तो कोई समझौता नहीं होगा।” अराघची का यह बयान अमेरिकी अधिकारियों की उस ‘मांग’ के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि तेहरान अपनी धरती पर यूरेनियम संवर्धन को पूरी तरह से रोक दे।

हालांकि उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका चाहता है कि ईरान परमाणु हथियारों की ओर न बढ़े, तो ऐसा हो सकता है। हम भी परमाणु हथियार नहीं चाहते हैं।”

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि “2015 में ईरान और कई अन्य देशों के बीच हुआ परमाणु समझौता अब प्रभावी नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि समझौता खत्म हो गया है। इसे औपचारिक रूप से संयुक्त व्यापक कार्य योजना के रूप में जाना जाता है और इसे पुनर्जीवित किया जा सकता है।”

अराघची ने इस बात पर जोर दिया कि ईरान यूरेनियम संवर्धन सहित अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं छोड़ेगा।

ईरान और अमेरिका ने अप्रैल से तेहरान के परमाणु कार्यक्रम और अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने पर चार दौर की अप्रत्यक्ष वार्ता की है। इन बैठकों के दौरान अमेरिकी अधिकारियों ने ईरान से उसके यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों को पूरी तरह से बंद करने की मांग की है, जिसे ईरान ने ठुकरा दिया है।

इससे पहले, व्हाइट हाउस की तरफ से आई खबर के मुताबिक, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ‘ईरान के साथ एक संभावित सौदे पर चर्चा की’, जिसके बारे में राष्ट्रपति का मानना है कि यह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।”

व्हाइट हाउस के मीडिया विभाग की सचिन लेविट ने कहा, “जैसा कि राष्ट्रपति ने मुझे बताया, और उन्होंने आप सभी को बताया है, ईरान के साथ यह सौदा दो तरह से समाप्त हो सकता है। यह एक बहुत ही सकारात्मक कूटनीतिक समाधान में समाप्त हो सकता है, या यह ईरान के लिए बहुत ही नकारात्मक स्थिति में समाप्त हो सकता है। इसी वजह से वार्ता सप्ताह के अंत में हो रही है।”

2018 में, अपने पहले कार्यकाल के दौरान, राष्ट्रपति ट्रंप ईरान और छह विश्व शक्तियों के बीच हुए 2015 के परमाणु समझौते से पीछे हट गए थे।

इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने ईरान को “बेहतर” सौदे के लिए शर्तों पर फिर से बातचीत करने के लिए मजबूर करने के लिए “अधिकतम दबाव” बनाया। हालांकि ट्रंप का प्रयास उनके पहले कार्यकाल में कारगर साबित नहीं हुआ था।

दूसरे कार्यकाल में पदभार संभालने के बाद, ट्रंप एक नया समझौता करने की बेताबी से कोशिश कर रहे हैं।

ट्रंप ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह रचनात्मक रूप से जुड़ने से इनकार करता है, तो उसे सैन्य परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

–आईएएनएस

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