नई दिल्ली। महिला अधिकारों से जुड़े दस संगठनों ने कर्नाटक में एक कॉलेज में हिजाब पहनने से उठे विवाद की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति को अपनी मनपसंद पोशाक पहनना उसका संवैधानिक अधिकार और आज़ादी है।
आल इंडिया डेमोक्रेटिक वोमेन्स एसोसिएशन के नेतृत्व में इन महिला संगठनों ने आज यहां जारी एक बयान में यह बात कही है। बयान पर आल इंडिया प्रोग्रेसिव वोमेन्स एसोसिएशन, नेशन फेडेराशन्स ऑफ इंडियन वीमेन नेशनल अलैन्स ऑफ पीपल मूवमेंट सहेली पी यू सी एल जैसी अनेक संस्थाओं के नाम हैं।
यहां जारी एक विज्ञपति मे कहा गया है कि सिखों और हिंदुओं कोस्कूलों क्लास रूम और कॉलेज परिसर में पगड़ी और तिलक तथा बिंदी लगाकर आने की आज़ादी है उसी तरह एक मुस्लिम को भी हिजाब पहनकर कालेज में आने की स्वतंत्रता है।
बयान में कहा गया है कि संविधान के अनुसार भारत एक बहुलतावादी संस्कृति वाला एक देश है, वहां किसी एक संस्कृति या वेशभूषा को थोपा नहीं जा सकता है।
बयान में कहा गया है कि देश में अल्पसंखयस्कों विशेषकर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा हैं। इसलिए शाकाहारी गो मांस नमाज़ और हिजाब तथा लव जिहाद का मुद्दा बारबार उठाया जाता है और मुसलमानों को आतंकवादी बताया जाता है तथा झूठे मुकदमे में उनको फंसाया जाता है। बयान में कर्नाटक की मुस्लिम लड़की मुस्कान के साहस की तारीफ की गई है जिसने भगवा धारी गमछे लेकर हंगामा करनेवाले छात्रों का मुंहतोड़ जवाब दिया।
बयान में इस घटना की मूक गवाह बनी कर्नाटक पुलिस के ढीले ढाले रवैये पर चिंता व्यक्त की गई है और दोषी के खिलाफ करवाई की मांग कर गयी है। बयान पर आवाज़ ए निशान बेबाक कलेक्टिव तथा अन्य संगठनों के नाम हैं।इसके अलावा उच्चत्तम न्यायलय की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर जफूर सरगर चयनिका शाह नंदिनी राव जैसे कई महिला कार्यकर्ता भी शामिल हैं।