28 जून, 2021
नई दिल्ली : भारत में आधिकारिक तौर पर 3,90,000 से ज्यादा कोरोनोवायरस मौतें दर्ज की गई हैं। हालांकि, अपने प्रियजनों को खोने वाले लोगों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सांख्यिकीविदों का कहना है कि यह वास्तविक आंकड़ों से बहुत कम है। ये जानकारी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने साझा की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकीविदों के अनुसार, 3,90,000 की आधिकारिक मृत्यु संख्या महामारी के वास्तविक संख्या से बहुत कम है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन का मानना है कि भारत में मरने वालों की संख्या 10.10 लाख से ज्यादा हो सकती है, जो रिपोर्ट की गई संख्या का लगभग तीन गुना है।
भारत के डेल्टा संस्करण के प्रभाव को लेकर भी चिंताएं जाहिर की गई हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा मामले सामने आएष भारत सबसे पहले अत्यधिक संक्रामक रूप का पता लगाने वाला था, जिसने दुनिया भर में धूम मचा दी है। यह यूके में तेजी से बढ़ रहा है और अमेरिका में भी इसके प्रमुख वेरिएंट बनने की आशंका है।
डब्ल्यूएसजे में उद्धृत वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के निदेशक क्रिस्टोफर मुरे ने कहा, कोविड-19 संक्रमण और मौतों की एक सटीक गणना “यह समझने का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है कि नए संस्करण कितने बड़ा खतरा हैं।”
जैसे ही अप्रैल में पूरे भारत में कोरोनोवायरस के मामले तेजी से बढ़ने लगे, उसी दौरान पूर्वी राज्य बिहार में एक 70 वर्षीय महिला की उसके घर पर मौत हो गई। कोविड के लिए एक रैपिड एंटीजन परीक्षण पॉजिटिव रहा था, और एक फेफड़े के स्कैन में वायरल निमोनिया और ‘कोविड संक्रमण की संभावना’ का संकेत मिला था।
लेकिन शीला सिंह की मौत को भारत के कोविड से होने वाली मौतों में नहीं गिना गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीमती सिंह जैसे परिवारों को मुआवजा पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है, जिसे कुछ राज्यों ने कोविड -19 पीड़ितों के लिए स्थापित किया है। – आईएएनएस