उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश की झांकी 75 वर्ष की उपल्ब्धियों पर आधारित है। झांकी में प्रदेश सरकार की नई सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम नीति एवं औद्योगिक विकास नीति पर आधारित एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) के माध्यम से कौशल विकास एवं रोजगार के जरिए प्राप्त उपलब्धियों के साथ ही, विश्व विख्यात काशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर में हुए विकास को प्रदर्शित किया गया है। झांकी के अग्रभाग पर प्रदेश के प्रत्येक जनपद के उत्पादों को दर्शाया गया है, जो प्रदेश की पारम्परिक शिल्प, बुनकर एवं हस्तशिल्प के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था की तेज गति को भी दिखाता है। झांकी के पिछले भाग मे श्री काशी विश्वनाथ धाम को प्रदर्शित किया गया है, जो अपने गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है। वाराणसी शहर वरूणा और अस्सी दो नदियों से मिलकर बना है। मोक्षदायिनी माँ गंगा के पश्चिम तट पर बसी इस नगरी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ धाम में भगवान विश्वेश्वर का ज्योर्तिलिंग प्रतिष्ठित है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से तत्वज्ञान एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन् 1780 मे कराया गया था।
झांकी के मध्य भाग में श्री काशी विश्वनाथ धाम में स्थित विभिन्न घाटों पर साधू-संतों द्वारा पूजा-अर्चना के साथ ही सूर्य को अर्ध दिये जाने की परम्परा को प्रदर्शित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन किया। यह अनूठी परियोजना, काशी जैसे सभ्यता के प्रतीक शहर और ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए सर्वथा उपयुक्त है। काशी के महत्व और प्राचीनता के बारे में मार्क ट्वेन ने लिखा था, “बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, पौराणिक कथाओं से भी पुराना है और इन सभी को मिलाने से जितनी प्राचीनता हो सकती है, यह शहर उससे भी दोगुना प्राचीन है।”
परियोजना के उद्घाटन के साथ, प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व के सबसे प्राचीन जीवित शहरों में से एक और हिंदू धर्म तथा सदियों पुरानी हमारी सभ्यता के केंद्र, काशी या वाराणसी को दुनिया को फिर से समर्पित किया। प्राचीनता और निरंतरता का अद्भुत मिश्रण, काशी पूरी मानवता की धरोहर है।