उप्र में रहस्यमय बीमारी का निदान क्या है?

उत्तर प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े के दौरान ‘रहस्यमय बीमारी’ के कारण हुई 50 से अधिक लोगों की मौतों, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं, के पीछे अधिकारी डेंगू का अंदेशा जता रहे हैं; हालाँकि वे स्क्रब टाइफस या मानसून के समय होने वाले दूसरे संक्रमण की आशंका को भी पूरी तरह खारिज नहीं कर रहे।

राज्य के सूचना प्रभारी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी नवनीत सहगल ने 03 सितंबर को राजधानी लखनऊ में एक प्रेस वार्ता में कहा “फिरोजाबाद समेत कुछ जिलों से डेंगू और मौसमी बीमारियों की रिपोर्टें सामने आयी हैं।” उन्होंने कहा कि राज्य में एक विशेष स्वछता
अभियान शुरू किया जायेगा।

बाल रोग विशेषज्ञ यूनिसेफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुये इन मौतों और इनके कारण का पता लगाने में विफलता के लिए 20 करोड़ की आबादी वाले राज्य की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं और अस्वछता को जिम्मेदार बता रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की मूल निवासी और जानी-मानी बाल रोग विशेषज्ञ सुम्बुल वारसी ने कहा “हर बार मानसून के मौसम में वायरल बुखार के मामले बढ़ जाते हैं। इस बार इसके साथ कोविड-19 भी है। बच्चों में बीमारी की रोकथाम के लिए स्वच्छता में सुधार, मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण और उचित पोषण के महत्त्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन यह सब राज्य प्रशासन पर निर्भर करता है।”

यूनिसेफ के अनुसार, उत्तर प्रदेश में हर दूसरे बच्चे का सही शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। वैश्विक संस्था ने वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के आधार पर बताया कि राज्य में “बच्चों का लिंगानुपात लगातार कम हो रहा है और बाल श्रम के लिए मजबूर बच्चों की
संख्या बढ़ी है।”

श्रीमती वारसी कहती हैं “इस बीमारी और मौतों के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए नियमित रूप से सिस्टेमेटिक निगरानी, विश्वसनीय जाँच और जीनोम विश्लेषण की जरूरत है। इसके लक्षण डेंगू, स्क्रब टाइफस (जो संक्रमित लार्वा माइट्स के जरिये एक जीवाणु के कारण फैलता है) और कोविड-19 की तरह ही हैं। पूरी तरह जाँच करने पर ही बीमारी की पहचान और इलाज में मदद मिल सकती है।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले दिनों फिरोजाबाद जिले के दौरे पर गये थे जहाँ वे उन अस्पतालों में गये जहाँ रहस्यमयी बुखार से पीड़ित बच्चे भर्ती थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि बीमार बच्चों के खून के नमूने लखनऊ स्थित किंग जॉर्जस मेडिकल यूनिवर्सिटी और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे जा रहे हैं।

नयी दिल्ली के हॉली फैमिली अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ दिनेश राज ने बताया कि इस रहस्यमयी बीमारी को फैलने से रोकना राज्य की क्षमता से बाहर का काम हो सकता है। उन्होंने कहा “चिकित्सा और जन स्वास्थ्य के कमजोर ढाँचे वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लिए इस रहस्यमयी बुखार का संक्रमण कठिन चुनौती हो सकता है जिसने 40 से अधिक बच्चों की जान ले ली है।”

डॉ. राज ने कहा कि इनमें से कुछ बच्चों का डेंगू टेस्ट पॉजिटिव आया है, लेकिन कई अन्य बच्चों में डेंगू नहीं पाया गया है। इससे संकेत मिलता है कि यह स्क्रब टाइफस जैसी कोई असामान्य बीमारी या डेंगू के साथ किसी दूसरी बीमारी का संक्रमण हो सकता है। उनके
अनुसार, “बच्चों में डेंगू काफी अलग तरीके से व्यवहार करती है और यह संभव है कि एनएस1 एंटीजेन (खून में डेंगू वायरस के नॉन- स्ट्रक्चरल प्रोटीन की उपस्थिति) या आईजीएम (इम्यूनोग्लोबुलीन एम) जैसे मानक जाँच की सुविधा के अभाव में लक्षण के आधार पर या
आसानी से उपलब्ध लैब टेस्ट में डेंगू होने की पुष्टि हो जाये। इस रहस्यमयी बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी जैसे विषाणु अनुसंधान संस्थान के संयुक्त प्रयास की जरूरत है।”

अमृता यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसीन में बाल रोग के प्रोफेसर मनू राज का कहना है कि उत्तर प्रदेश में मानसून के मौसम में हर साल बुखार के मामले देखे जाते हैं जो “सतत रहस्य है” जिसकी देश या विदेश के अच्छे से अच्छे संस्थान द्वारा पूरी तरह जाँच होनी चाहिये।

उन्होंने कहा “हर साल मानसूनी बारिश के बाद बच्चों की मौत के मामले बढ़ जाते हैं जो अधिकतर मौकों पर वायरल इनसेफलाइटिस से मिलते-जुलते हैं – इन पर कई अध्ययन किये गये हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रहे हैं।”

उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि अगले साल फरवरी-मार्च में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनावों से पहले पारदर्शिता के अभाव में इस बीमारी की गहन जाँच नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा “मुख्यमंत्री सरकार के खिलाफ
किसी तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करते और आलोचकों को जेल में बंद करने से नहीं हिचकिचाते। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में अगस्त 2017 में अक्यूट इनसेफलाइटिस सिन्ड्रॉम (एईएस), जिसे जापानी बुखार भी कहते हैं, से 175 बच्चों की मौत हो गई थी। अधिकतर बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई थी। मुख्यमंत्री ने ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति में
लापरवाही बरतने के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने वाले कई लोगों की गिरफ्तारी के आदेश दिये थे जिनमें एक वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल थे।”

इसी प्रकार, इस साल मार्च में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा में तैरती सैकड़ों लाशों के दृश्यों को लेकर आदित्यनाथ सरकार के महामारी से निपटने के तरीकों की ट्विटर तथा दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आलोचना करने वाले कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

उत्तर प्रदेश राजनीतिक रूप से देश का सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य है। लोकसभा के 543 में से 80 सदस्य उत्तर प्रदेश से चुनकर आते हैं।

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