भारतीय टेस्ट टीम की दहलीज पर खड़े सरफ़राज़ खान

मध्यप्रदेश ने घरेलू क्रिकेट में अपना दबदबा साबित किया और चैंपियन बना. मध्यप्रदेश ने पहली बार रणजी ट्राफी का खिताब जीता है. हालांकि एक बार और उनके पास मौका था लेकिन तब मध्यप्रदेश खिताब से चूक गया था लेकिन इस बार उसने मुंबई को फाइनल में फतह कर चैंपियन बनने का गौरव पाया. यूं तो रणजी ट्राफी में कई खिलाड़ियों ने अपनी चमक बिखेरी लेकिन चर्चा कें केंद्र में मुंबई के मध्यक्रम के बल्लेबाज सरफराज़ खान हैं. उनके बल्ले से रणजी ट्राफी में रनों का प्रवाह फूटा और उन्होंने जम कर रन कूटे. सरफराज़ की उम्र अभी 24 साल है और सामने लंबा करिअर. फाइनल में सरफ़राज़ ने पहली पारी में 134 रन बना कर मुंबई की टीम का स्कोर 374 तक पहुंचाया था. यह बात दीगर है कि मध्यप्रदेश के बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाजी की और इस स्कोर को भी छोटा साबित कर दिया. लेकिन बात तो सरफ़राज़ खान की हो रही है. जिनका बल्ला रणजी ट्राफी में बोलता रहा. पूरे सीजन में वे लय में दिखे. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका औसत 82.83 है. सरफ़राज़ से बेहतर रिकॉर्ड दुनिया में सिर्फ एक बल्लेबाज का है और वै बल्लेबाज हैं डॉन ब्रैडमैन. ब्रैडमैन ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 95.14 क4 औसत से रन बनाए थे. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 2000 से ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में सरफ़राज़ ख़ान, ब्रैडमैन के बाद दूसरे स्थान पर हैं.

सच कहा जाए तो करिअर के शुरुआत दिनों में ऐसी उपलब्धि हासिल करना किसी परीकथा जैसी ही है.

रणजी ट्राफी के इस सत्र में भी सरफ़राज़ ने शानदार प्रदर्शन किया. क्वार्टरफ़ाइनल में उत्तराखंड के ख़िलाफ़ उन्होंने 153 रनों की पारी खेली. तब उन्होंने चौथे विकेट के लिए डेब्यू कर रहे क्रिकेटर सुवेद पारकर के साथ 267 रनों की साझेदारी निभाई थी. सुवेद ने अपने डेब्यू मैच में दोहरा शतक जमाया था. सिर्फ छह मैचों में 937 रनों के साथ सरफ़राज़ इस सीज़न सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं और उन्हें इस प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार से भी नवाजा गया है. दिलचस्प यह है कि पिछले सीज़न में भी उन्होंने 928 रन बनाए थे. दो सीज़न में 900 से ज्यादा रन बनाने की उपलब्धि रणजी इतिहास में अब तक महज दो बल्लेबाजों के नाम थी. दिल्ली के बल्लेबाज़ अजय शर्मा ने 1991-92 में 933 और 1996-97 में 1033 रन और मुंबई के पूर्व कप्तान वसीम जाफ़र ने 2008-09 में 1260 और 2018-19 में 1037 रन बनाए थे.

लगातार दो सत्र में सरफ़राज़ ख़ान ने जिस तरह की बल्लेबाज़ी की है, उससे लोग उनकी प्रतिभा के कायल हुए हैं. पिछले सत्र में उनके 928 रन को बेहतरीन वापसी के तौर पर देखा गया था क्योंकि सरफ़राज़ को कुछ सीज़न मुंबई की टीम से नहीं खेल पाए थे.

सरफ़राज़ ख़ान आज जिस तरह की करिश्माई बल्लेबाज़ी कर रहे हैं तो इसका श्रेय सिर्फ उनके पिता नौशाद ख़ान को जाता है. नौशाद अपने बेटे के कोच भी हैं. वे हर दिन नेट्स पर सरफ़राज़ ख़ान को वे 400 गेंद यानी 65 से भी ज़्यादा ओवर की बल्लेबाज़ी कराते हैं. यही वजह है कि सरफ़राज़ अब कहीं ज़्यादा अनुशासित, बेहतर और भरोसेमंद बल्लेबाज़ के तौर पर सामने आए हैं.

मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ फ़ाइनल मुक़ाबले की पहली पारी में उन्होंने अधिकांश रन निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ बनाए थे. उन्होंने चौका उड़ाने के लिए कमजोर गेंदों का इंतजार किया और मुंबई के टॉप ऑर्डर के पवेलियन लौटने के बाद भी रन बनाने का सिलसिला जारी रखा.

सरफ़राज़ स्कूली क्रिकेट के दिनों से ही अपनी प्रतिभा से लोगों को कायल करते रहे हैं. उनकी बल्लेबाजी की चर्चा उन दिनों भी खूब होती थी. बारह साल की उम्र में ही हैरिस शील्ड अंतर स्कूल टूर्नामेंट में सरफ़राज़ ने 439 रनों की पारी खेली थी और सचिन तेंदुलकर के बनाए रनों को बहुत पीछे छोड़ दिया था. मुंबई में क्रिकेट को जानने-समझने वाले शायद ही कोई होगा जिसे यह पारी याद नहीं हो. फिर अंडर -16 और अंडर-19 क्रिकेट में भी सरफ़राज़ ने खूब रन बटोरे. उन्हें 2014 में जब अंडर-19 विश्व कप में खेलने का मौका मिला तो उन्होंने छह मैचों में 70 से ज़्यादा की औसत से 211 रन बनाए थे.

इन प्रदर्शनों ने सरफ़राज़ के लिए आईपीएल के दरवाजे भी खोल दिए. सरफ़राज़ रॉयल चैलेंजर्स बंगलूर के प्रबंधन की नज़र में आए और 2015 में टीम ने 50 लाख रुपए में सरफ़राज़ ख़ान को अनुबंधित कर लिया. तब उनकी उम्र महज सत्रह साल थी. जाहिर है कि सरफराज़ के सपनों को तब पंख लगे और मनोबल भी बढ़ा. 2016 में उन्हें अंडर-19 विश्व कप में फिर से खेलने का मौका मिला और सरफ़राज़ ने मौके को हाथ से जाने नहीं दिया और छह मैचों में 355 रन बनाए.

यहां तक तो सरफ़राज़ के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था. वे आईपीएल की टीम में थे और घरेलू क्रिकेट में लगातार रन रहे थे. तब यह लगा था कि भारतीय टीम का दरवाजा उनसे बहुत दूर नहीं है. लेकिन अचानक वक्त ने करवट लिया और फिर उनका करिअर सवालों में घिर गया. सरफ़राज़ को 2014 में मुंबई की रणजी टीम से खेलने का मौका तो मिला लेकिन टीम में उनकी जगह पक्की नहीं बन पा रही थी. वे टीम से अंदर और बाहर हो रहे थे. ऐसा लंबे समय तक चलता रहा तो उनके पिता और कोच नौशाद ख़ान ने उन्हें उत्तर प्रदेश से खिलाने का फ़ैसला लिया.

सरफराज का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ से है लिहाजा नौशाद को लगा कि उनके बेटे को उत्तर प्रदेश की टीम से खेलने के ज़्यादा मौके मिल सकते हैं. उन्होंने अगले साल ही सरफराज को उत्तर प्रदेश के लिए रजिस्ट्र करा दिया. सरफ़राज़ के लिए यह फ़ैसला ठीक नहीं रहा. वे यूपी से दो सीज़न खेले लेकिन यहां भी टीम में उनकी जगह पक्की नहीं बन सकी. चोट की वजह से वे यूपी वनडे टीम में जगह नबीं बना पाए. हलांकि जब उन्हें ड्रॉप किया गया था तब 2016 के अंडर 19 विश्व कप में उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाज़ी की थी और आईपीएल में आरसीबी के के लिए उपयोगी पारियां खेलीं थीं. जाहिर है कि इन सबकी वजह से उनका खेल प्रभावित हुआ. आरसीबी के तत्कालीन कप्तान विराट कोहली ने भी सरफ़राज़ को वजन कम करने की सलाह दी थी. टीम ने अनफ़िट होने की वजह से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. वे अपनी पीठ और घुटने में की तकलीफ से परेशान रहने लगे. लेकिन इन सबके बीच ही सरफराज ने मुंबई लौटने का फैसला किया. उन्हें यह लगने लगा था कि मुंबई के रास्ते ही भारतीय टीम के दरवाजे उन पर खुल सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने अपनी फिटनेस पर भी खुद को केंद्रित रखा. मुंबई से खेलने के लिए उन्होंने एक सीज़न कूलिंग पीरियड के तौर पर निकाला. हालांकि उसके बाद उनके सामने मुंबई टीम में वापसी की चुनौती थी. 2018-19 में उन्होंने मुंबई के प्रीमियर क्लब टूर्नामेंट कांचा लीग के ए डिविजन में सबसे ज्यादा रन बनाए. मुंबई के श्रेयस अय्यर और शिवम दुबे को भारतीय टीम में मौका मिला तो 2019-20 में सरफ़राज़ को मुंबई टीम में वापसी का मौका मिला. इस सीज़न में मुंबई का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा लेकिन 11 पारियों में करीब 80 की स्ट्राइक रेट से सरफ़राज़ ने रन बना कर खुद को साबित किया. उन्होंने 8, नॉटआउट 71, 36, नॉटआउट 301, नॉटआउट 226, 78, 25, 177 और 6 रनों की पारी खेली. वापसी के बाद सरफ़राज़ टीम की ओर से रन बनाने वाले बल्लेबाजों में पांचवें स्थान पर रहे लेकिन क्रिकेट के जानकारों ने सरफराज को खूब सराहा.

सरफ़राज़ की बल्लेबाज़ी की सबसे बड़ी खूबी उनकी टाइमिंग है. वे अपनी बल्लेबाज़ी से लोगों का चौंकाते रहे हैं. लगातार दो सत्र से रणजी ट्राफी में रनों का ढेर लगाने वाले सरफ़राज़ का करिअर फिर पटरियों पर आता दिख रहा है. रणजी फाइनल में अपनी शतकीय पारी से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को भी उन्होंने प्रभावित किया होगा हो सकता है कि नवंबर में बांग्लादेश में दो टेस्ट खेलने के लिए दौरा करने वाली भारतीय टीम में उनका नाम भी हो. इंतजार करें सरफराज का सपना कब सच होता है.

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