मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से भी एक बड़ा राज्य है। इस कारण प्रदेश में आपदा से सम्बन्धित चुनौतियां भी बड़ी हैं। समय से प्रशिक्षण और जागरूकता के कार्यक्रम चलाने तथा बचाव के उचित उपाय किये जाएं, तो आपदा से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने में सफलता प्राप्त हो सकती है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश की मेजबानी में राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरणों के तृतीय क्षेत्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि इस सम्मेलन में असम, उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, राजस्थान तथा हरियाणा प्रतिभाग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने नेशनल रिमोट सेन्सिंग सेन्टर, हैदराबाद द्वारा तैयार किये गये, उत्तर प्रदेश फ्लड हेजार्ड एटलस का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन0डी0एम0ए0) के मार्गदर्शन में 09 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों का क्षेत्रीय सम्मेलन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हो रहा है। उन्होंने विभिन्न राज्यों से आये हुए राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एस0डी0एम0ए0) के पदाधिकारियों एवं अन्य उच्चाधिकारियों का उत्तर प्रदेश शासन की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि दो दिवसीय यह क्षेत्रीय सम्मेलन अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा। हम सभी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आभारी हैं, जिन्होंने आपदा जैसे संवेदनशील विषय को ध्यान में रखकर एन0डी0एम0ए0 को और अधिक सक्रिय करते हुए उनके अच्छे प्रशिक्षण तथा जनपद स्तर पर आपदा मित्रों की तैनाती की अच्छी शुरूआत की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बहुत से विषयों पर कार्य किया जा सकता है। आपदा के कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित होते हैं। इसे नियंत्रित किया जा सकता है। ईमानदारी के साथ आपदा पर नियंत्रण करने के लिए कार्यक्रम प्रारम्भ किये जाएं, तो यह सम्भव है। उत्तर प्रदेश प्रकृति और परमात्मा की कृपा का प्रदेश है। प्रदेश में दो महीने के अन्तराल में अलग-अलग क्षेत्रों में बाढ़ आती है। विगत वर्ष राज्य के नेपाल से सटे जनपदों में पहले बाढ़ आयी थी। उसके बाद गंगा व यमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ देखने को मिली थी। इस वर्ष इसके विपरीत स्थिति दिखायी दी। पहले गंगा व यमुना से सटे जनपदों में, फिर उसके बाद नेपाल से सटे जनपदों मंे बाढ़ आयी। नेपाल से सटे जनपदों में हिमालय से आने वाली नदियों के कारण बाढ़ आती है।
मुख्यमंत्री जी ने सरयू नदी में एल्गिन ब्रिज से सम्बन्धित घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले एल्गिन ब्रिज में बाढ़ के नाम पर प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते थे। वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस क्षेत्र का दौरा किया और एल्गिन ब्रिज से सम्बन्धित प्रस्ताव पर विचार किया। उन्होंने नदी के बीच ड्रेजिंग कर नदी को चैनेलाइज्ड करने के निर्देश दिए। नदी के बीच 12 से 15 किलोमीटर लम्बा चैनल बनाया गया। नदी को चैनेलाइज्ड करने के बाद प्रथम वर्ष में मात्र 05 करोड़ रुपये के खर्च से बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान हो गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2017 से पूर्व 38 जनपद बाढ़ से प्रभावित थे। प्रबन्धन, नेक नीयती और समय पर किये प्रबन्धन प्रयासांे से यह आपदा मात्र 04-05 जनपदों तक सीमित रह गई है। जनपद वाराणसी तथा गाजियाबाद में एन0डी0आर0एफ0 कार्य कर रही है। प्रदेश मंे एस0डी0आर0एफ0 की तीन बटालियन वर्ष 2017 में गठित की गई थी। उनको अच्छे प्रशिक्षण के कार्यक्रम से जोड़ा गया। राज्य में पी0ए0सी0 की 17 कम्पनियां गठित की गई हैं, जो फ्लड यूनिट या आपदा के समय कहीं भी राहत कार्य के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले आपदा से सम्बन्धित विषय स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा होता था। भूकम्प, आग लगने तथा बाढ़ के समय किये जाने वाले उपाय आदि विषयों पर काफी चर्चाएं होती थी और इनके सम्बन्ध में कक्षाओं में बताया भी जाता था। आपदा मित्रों की तैनाती और उनके प्रशिक्षण के कार्यक्रम एक अच्छी शुरूआत है। इसे बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने के साथ-साथ स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने और बच्चों की ट्रेनिंग तथा ग्राम पंचायतों को इसके साथ जोड़ना चाहिए।