नई दिल्ली । कांग्रेस के राज्यसभा के पूर्व सांसद राजमणि पटेल ने रविवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के आधार कार्ड जारी करने के फैसले की आलोचना की। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के कदम से समुदाय के भीतर दुश्मनी बढ़ सकती है।
असम के मुख्यमंत्री की ओर से अवैध इमिग्रेशन (अप्रवास) के मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्य सरकार की घोषणा से राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर विभाजनकारी नीतियां लागू करने का आरोप लगाया है।
राजमणि पटेल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री का निर्णय खराब इरादे से लिया गया प्रतीत होता है। हमारे पास एक संविधान है, जो हमारे लोकतंत्र के कामकाज को नियंत्रित करता है। संविधान में नागरिकता कानून स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।”
उन्होंने कहा, “यदि उसके बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि कानून में संशोधन की जरूरत होती है, तो संसद इसे ध्यान में रखती है। सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर कानूनों में संशोधन करने का प्रयास सामाजिक अशांति का कारण बन सकता है। ऐसे संवेदनशील मामलों को केंद्र और संसद दोनों को उचित विचार-विमर्श के माध्यम से हल करना चाहिए।”
असम के मुख्यमंत्री ने शनिवार को घोषणा की कि सरकार उन लोगों को आधार कार्ड जारी नहीं करेगी, जिन्होंने 2014 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में शामिल होने के लिए आवेदन नहीं किया था।
सीएम सरमा ने धुबरी, बारपेटा और मोरीगांव जैसे जिलों का उदाहरण दिया, जहां जारी किए गए आधार कार्डों की संख्या अनुमानित जनसंख्या के आंकड़ों से ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि इसके कारण, असम सरकार ने एक मानक संचालन प्रोटोकॉल लागू करने का निर्णय लिया, इसके तहत आधार कार्ड जारी करने के लिए एनआरसी के आवेदन संख्या की जरूरत होगी।
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को यह निर्णय लेने का अधिकार दिया है कि किसी व्यक्ति को आधार कार्ड मिलना चाहिए या नहीं।
–आईएएनएस