नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे के उस बयान को लेकर उन पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बजट के जरिए बीजेपी ने एक या दो नहीं, बल्कि कई राज्यों की उपेक्षा की है।
खरगे ने कहा था कि बीजेपी ने उन राज्यों के लोगों को दरकिनार किया है, जहां बीजेपी की हार हुई है। बीजेपी ने एक तरह से बजट के जरिए बदला लेने का प्रयास किया है।
वहीं, अब खरगे पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि मैंने अपने बजट संबोधन के दौरान कई राज्यों का नाम नहीं लिया। वो कुल मिलाकर यह कहने का प्रयास कर रहे हैं कि मैंने कई राज्यों के हितों की अनदेखी की। उनका ऐसा मानना है कि मैंने अपने बजट संबोधन के दौरान महज दो ही राज्यों को तवज्जो दी। मुझे लगता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को मेरा संबोधन एक बार फिर से सुनना चाहिए। इसके बाद ही उन्हें किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए। मुझे ऐसा लगता है कि उन्होंने मेरा संबोधन सुनने में जल्दबाजी की है, जिसका नतीजा है कि उन्होंने इस तरह का बयान दिया है। मुझे लगता है कि कांग्रेस को इस बात को समझने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रही है। कांग्रेस को यह पता होना चाहिए कि जब संसद में बजट पेश किया जाता है, तो बहुत सारी चीजें ऐसी होती हैं, जिनसे सदन के सभी सदस्यों को अवगत कराना अनिवार्य होता है। इसके अलावा, हमें बजट के विभिन्न कारकों को भी सदन के समक्ष रखना होता है और इन सब चीजों में बहुत समय लगता है। मुझे लगता है कि इतने लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस को इस बारे में पता ही होगा कि बजट पेश करने के दौरान आपके पास इतना समय नहीं होता कि आप इस देश के सभी राज्यों का नाम ले सकें। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि आप कई राज्यों का नाम लेने से चूक जाएं, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे को लेकर राजनीति कर रहे हैं, वो निंदनीय है। इसकी जितनी भत्सर्ना करें, वो कम ही है।”
वित्त मंत्री ने आगे कहा, “मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि जब फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था और अब जब कल इस पूर्ण बजट पेश किया गया, तो इस बीच कई राज्य ऐसे रहे, जिनका नाम मैं नहीं ले सकी। ऐसा फरवरी में भी हुआ था और अब भी हुआ है। लेकिन, जिस तरह विपक्ष इसे लेकर राजनीति करने पर आमादा हो चुका है, वो मेरी समझ से परे है। मैं आपको मिसाल के तौर पर समझाती हूं कि मैंने कल अपने बजट संबोधन के दौरान महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी सरकार ने महाराष्ट्र को निराश किया हो या उसकी हितों की अनदेखी की हो। हमने ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया, लेकिन मैं आपको बता दूं कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र में एक बड़ा पोर्ट स्थापित करने का फैसला किया गया, जिससे प्रदेश के विकास को नई गति मिलेगी। क्या अब आप यह कहेंगे कि मैंने महाराष्ट्र को इग्नोर किया। मैंने महाराष्ट्र के हितों की अनदेखी की? मैंने महाराष्ट्र के लोगों की पीड़ा को अनदेखा किया? मुझे लगता है कि ये सारी बातें ही बेतुकी हैं।”
वित्त मंत्री ने कहा, “मैं सदन को बताना चाहती हूं कि 75 हजार करोड़ महाराष्ट्र में उस पोर्ट को स्थापित करने के लिए आवंटित किए गए हैं, ऐसी स्थिति में अगर आप कहते हैं कि मैं बतौर वित्त मंत्री किसी राज्य की अनदेखी कर रही हूं, तो आप राजनीति कर रहे हैं, लेकिन आप यह भी जान लीजिए कि ऐसा कर आपको कोई खास फायदा होने वाला नहीं है, क्योंकि देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। यह उसी साथ का नतीजा है कि आज बीजेपी तीसरी बार अपनी सरकार बना चुकी है। अब आप लोग कुछ भी कहें, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैंने बतौर वित्त मंत्री ना ही अंतरिम बजट के दौरान महाराष्ट्र का नाम लिया था और ना ही कल लिया था, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि मैंने अपने देश के किसी राज्य के हितों पर कुठाराघात करने का प्रयास किया है। मेरे लिए इस देश का राज्य सर्वोपरि है। हर राज्य का हित ही मेरी प्राथमिकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने इस बयान के जरिए आम लोगों के बीच बजट को लेकर गलत सूचना प्रसारित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि पूरी तरह अनुचित है। मैं इसकी निंदा करती हूं। मैं कहूंगी कि यह विपक्ष द्वारा लगाया गया बेबुनियादी आरोप है, जिसका अपना कोई आधार नहीं है। मैं अंत में एक बार फिर से दोहराना चाहती हूं कि बतौर वित्त मंत्री मेरे लिए हमेशा ही हिंदुस्तान का हर राज्य सर्वोपरि रहा है और आगे भी रहेगा।”
–आईएएनएस