भारत के चुनाव आयोग ने शनिवार को देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होगा। वहीं मणिपुर में दो चरणों 27 फरवरी और 3 मार्च को चुनाव कराए जाएँगे।उत्तराखंड और पंजाब एवं गोवा में 14 फरवरी को एक ही राउंड में मतदान होगा।
चुनाव आयोग ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहले राउंड की वोटिंग 10 फरवरी को होगी। इसके बाद दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को होना है। 20 फरवरी को तीसरे और 23 तारीख को चौथे राउंड की वोटिंग होगी। 27 फरवरी को 5 वें, 3 मार्च को छठे और 7 मार्च को सातवें राउंड का मतदान होगा।
*दस मार्च को आयेंगे चुनाव परिणाम*
लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल कहे जा रहे उत्तर प्रदेश समेत सभी पाँच प्रदेशों के नतीजों का ऐलान 10 मार्च को किया जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 403, पंजाब में 117, उत्तराखंड में 70, मणिपुर में 60 और गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई हैं।
*कोविड -19 की तीसरी लहर की आहट के मध्य चुनाव किसी चुनौती से कम नही*
कोरोना के नए वेरिएंट ओमोक्रोंन के साये और कोविड -19 की तीसरी लहर की आहट के मध्य होने वाले यह चुनाव किसी चुनौती से कम नही है। पिछली बार भी पश्चिम बंगाल,केरल तमिलनाडू और अन्य प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद देश में कोरोना की दूसरी ज़बर्दस्त लहर से चारों ओर कोहराम मच गया था और देश विदेश में इन चुनावों के लिए हुई चुनावी रैलियों की भारी निन्दा हुई थी और देश के विभिन्न न्यायालयों ने भी इसे कोरोना के फ़ैलाव का बड़ा कारण बता नाराज़गी व्यक्त की थी।
इस बार भी इस बात पर बहस हो रही है कि देश में आ रही कोरोना की तीसरी लहर के मध्य चुनावी रैलियों का आयोजन उचित होगा? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह सुझाव दिया है कि इस बार की भिन्न परिस्थितियों को देखते हुए राजनीतिक दलों को टीवी और आकाशवाणी पर टाइम स्लॉट जारी कर चुनावी रैलियां वर्चुअल रुप से आयोजित की जानी चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत में कोरोना की तीसरी ज़बर्दस्त लहर आने की चेतावनी दी है।
इस परिप्रेक्ष्य में हालाँकि चुनाव आयोग ने पन्द्रह जनवरी तक बड़ी रेलियों, रोड शो आदि पर प्रतिबंध लगाया है और अन्य उपाय भी सुनिश्चित करने की बात कहीं है लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के बढ़ते मामलों और पहली एवं दूसरी लहर के मुक़ाबले तेजी से ऊपर उढते ग्रॉफ़ को देखते हुए यह एक बड़ी अग्नि परीक्षा होंगी।
*रैलियों पर रोक,पोलिंग कर्मचारियों को तीसरी डोज*
चुनाव आयोग ने कहा कि ये चुनाव कोविड-19 से सुरक्षा को देखते हुए बड़ी तैयारी के साथ कराए जाएँगे। चुनाव आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ सभी राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ भी बैठकें की हैं। जमीनी परिस्थिति को जानने-समझने के बाद चुनाव के तारीखों का ऐलान किया गया। इन चुनावों में बूथों की संख्या बढ़ेगी। वहाँ मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध रहेंगे। साथ ही बड़ी चुनाव रैलियों पर रोक और रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कोई चुनाव प्रचार नहीं होगा।
सभी विधानसभाओं में एक ऐसा पोलिंग बूथ होगा, जो केवल महिलाओं के लिए होगा। इन 5 राज्यों में 24.9 लाख युवा ऐसे हैं, जो पहली बार वोट देंगे। कुल 18.34 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 8.55 करोड़ महिलाएँ हैं। 80 की उम्र से ऊपर के बुजुर्गों, दिव्यांगों और कोरोना मरीजों के लिए पोस्टल बैलेट्स की सुविधा होगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा वोटर भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को ऑनलाइन नामांकन भरने की सुविधा भी दी जाएगी। चुनाव में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत के लिए ‘cVIGIL’ एप के जरिए लोग शिकायत कर सकते हैं। आयोग ने घोषणा की है कि शिकायत के 100 मिनट के भीतर चुनाव आयोग के अधिकारी वहाँ पहुँच जाएँगे।
सभी पोलिंग बूथों पर ईवीएम एवं वीवीपेट का इस्तेमाल होगा। सभी चुनाव अधिकारियों/कर्मचारियों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ के रूप में गिना जाएगा और उन्हें एहतियात स्वरूप कोरोना की तीसरी डोज भी दी जाएगी।
*चुनावों में प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा में सुरक्षा चुक,किसान आंदोलन आदि दिखायेंगे अपना असर*
इधर जानकारों का मानना हैकि इन चुनावों में प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा में हुई सुरक्षा चुक और एक वर्ष से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन आदि प्रकरण भी अपना रंग दिखायेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल ही पंजाब में फ़िरोज़पुर यात्रा पर जाने के मार्ग में सुरक्षा में हुई ज़बर्दस्त चुक के बाद देश भर में हुई निन्दा और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री को निर्देश और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इस चूक की ज़िम्मेदारी तय करने की माँग के बाद पंजाब सरकार ने अपने डीजीपी को बदल दिया है और राजस्थान मूल के वीकेश कुमार भावरा को पंजाब का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी ) बनाया गया है लेकिन इस प्रकरण में देश भर में प्रधानमंत्री को मिली सहानुभूति का असर चुनाव में दिखाई दे सकता है। कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ मिलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री केप्टिन अमरेन्द्र सिंह और एनडीए की पुरानी सहयोगी अकाली दल के रुख़ के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की मुफ़्त योजनाओं की घोषणा तथा हाल ही स्थानीय निकाय चुनावों में उन्हें मिली बिजय चुनाव समीकरणों को किस दिशा में के जायेंगे यह देखना होगा।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में योगी भाजपा के लिए कितने उपयोगी रहेंगे?उसकी परीक्षा होनी है। बीजेपी ने यहाँ राम मंदिर और पीएम नरेन्द्र मोदी ने निर्वाचन क्षेत्र बनारस में काशी विश्वनाथ कोरिडोर्स और विकास की गंगा प्रवाहित कर हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण का पक्का इन्तजाम कर लिया है। यहाँ समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और कांग्रेस की प्रियंका गांधी अपना अपना दम लगा रही है लेकिन उन्हें जातीय वोटों के विभाजन और किसान आंदोलन का किस हद तक नफ़ा नुक़सान होगा यह देखने वाला होगा। उधर उत्तराखंड में बीजेपी को अपने तीन मुख्यमंत्री बदलने का कितना लाभ होगा और गोवा ने ममता और शरद पंवार क्या गुल खिलाएँगे यह भी देखने लायक़ होगा।
इसी प्रकार पूर्वोत्तर राज्यों की मणि कहा जाने वाले और दलबदल, फेरबदल और करिश्माई समीकरण वाले मणिपुर प्रांत के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। यहाँ केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह हाल ही दौरा कर राजनीतिक वातावरण गर्म कर चुके है।