नई दिल्ली 23 मार्च।(अरविंद कुमार) नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा विश्व थिएटर दिवस के मौके पर हिंदी के ऐतिहासिक एवम कालजयी नाटक “अंधायुग ” का मंचन करेगा।
महाभारत के युद्ध पर आधारित यह नाटक ऐसे समय मे हो रहा जब रूस और यूक्रेन के युद्ध एक साल से चल रहा है और दुनिया तमाशा देख रही है।
इस नाटक का पहला प्रदर्शन 1962 में मुंबई में सत्यदेव दुबे के निर्देशन में हुआ था जबकि एन एस डी के संस्थापक निदेशक इब्राहम अलका जी ने 8 अक्टूबर 1963 को फिरोजशाह कोटला में इसे किया था जिसे देखने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू देखने आए थे।
एनएसडी रंगमंडल 26 27 और 28 मार्च को यह नाटक कर रहा।2002 में रंगमंडल के लिए श्री बजाज ने इस नाटक को किया था।रंगमंडल अगले साल अपनी स्थापना के 60 वर्ष पूरे करेगा।
हिंदी के प्रख्यात लेखक तथा “धर्मयुग” के संपादक स्व धर्मवीर भारती द्वारा 1954 में लिखित इस नाटक का निर्देशन सुप्रसिद्ध अभिनेता एवम एनएसडी के पूर्व निर्देशक राम गोपाल बजाज कर रहे हैं।उन्होंने 1982 में भी इस नाटक का निर्देशन किया था।
“मिर्च मसाला” ” मासूम चांदनी” और “परज़ानिया” जैसे फिल्मों में काम कर चुके श्री बजाज ने आज पत्रकारों से कहा कि सतयुग, द्वापर युग और कल युग के बाद यह अंधायुग चल रहा है और जब तक दुनिया में युद्ध अशांति और मानवीय संकट बना रहेगा विवेक की हार होगी यह नाटक खेला जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक अभिनय राजनीति में हो रहा है।यह राजनीति के अंधायुग का समय है और भारतीय मीडिया को भी दवाब में काम करना पड़ रहा है।वहः भी पाबंदियों और मजबूरियों का शिकार है।पत्रकार जो कहना चाहते हैं नहीं कह पाते ।यह सूचना का अंधायुग है।
उन्होंने कहा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता नाटककार अभिनेता गिरीश कर्नाड इस नाटक को शूद्रक के नाटक के बाद देश का सर्वश्रेष्ठ नाटक मानते थे।