नई दिल्भ्रली: ष्ट व्यवस्था से वर्षों से लड़ाई लड़ रहे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने माने ” विहसिल ब्लोअर” संजीव चतुर्वेदी के मामले में डीओपीटी विभाग के अधिकारियों द्वारा कथित धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।
श्री चतुर्वेदी ने कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य की नियुक्ति के सम्बंध में अपने आवेदन को खारिज होने के बाद उत्तराखंड उच्च न्यायलय में दायर अपनी याचिका में इस मामले की जांच सी बी आई से कराने की मांग की है।
श्री चतुर्वेदी ने गत वर्ष कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य पद के लिए आवेदन किया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन डीओ पीटी विभाग ने उस आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि यह तीन माह देर से प्राप्त हुआ है जबकि डाक विभाग ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में कहां है कि उसने श्री चतुर्वेदी के स्पीड पोस्ट को समय सीमा के भीतर तीन दिन पहले ही डीओपीटी विभाग में पहुंचा दिया था।
श्री चतुर्वेदी की याचिका में आरोप लगाया है कि न केवल उनके आवेदन पत्र को खारिज कर दिया गया है बल्कि उन्हें आयोग ठहराने के लिए उनकी जन्म तिथि को भी बदल दिया गया और उनकी डिग्री को अमान्य बता कर उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य करार दिया गया । याचिका में कहा गया है कि श्री चतुर्वेदी ने फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से डिप्लोमा किया है जो वानिकी विभाग के एम ए की डिग्री के बराबर है लेकिन सरकार ने श्री चतुर्वेदी के आवेदन के मामले में उसे मान्यता नहीं दी और उनकी पात्रता को खारिज कर दिया।
श्री चतुर्वेदी की याचिका में उच्च न्यायालय से मांग की गयी है कर्मचारी चयन आयोग की नियुक्ति की फिर से प्रक्रिया शुरू करने और इस धोखाधड़ी की सी बी आई से जांच कराने की मांग की है।
गौरतलब है कि श्री चतुर्वेदी के आवेदन को खारिज किए जाने के बाद श्री अशोक कुमार को कर्मचारी चयन आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया।
डाक विभाग के इस हलफनामे से सरकार फंस गई है क्योंकि डीओपीटी विभाग ने अदालत में अपने हलफनामे में कहा है कि श्री चतुर्वेदी का आवेदन निर्धारित समय सीमा के बाद प्राप्त हुआ।अब देखना है कि क्या अदालत इस मामले की जांच कराने के बारे में सरकार को निर्देश देती है।
—इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम