जानिए हिन्दी प्रकाशन जगत की युवा महिला प्रकाशक के संघर्ष की कहानी

मात्र 14 साल की उम्र में अपने दादा द्वारा शुरू किए गए प्रकाशन समूह में छोटी से छोटी- छोटी ज़िम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाने वाली अदिति माहेश्वरी को भला कहाँ पता था कि शब्दों और किताबों के इर्द- गिर्द बुनी यह राह एक दिन उन्हें हिन्दी प्रकाशन की सबसे विश्वसनीय ब्रांड- वाणी प्रकाशन ग्रुप की मंज़िल तक ले जाएगी।
छोटी उम्र में ही कागज़ की सफ़ेदी पर स्याही से उकेरे अक्षरों की ताक़त का अंदाज़ा लगा लेने वाली अदिति माहेश्वरी हैं और 1964 में स्थापित वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक हैं। हिंदी साहित्य या यूँ कहें कि हिन्दी पुस्तक संसार से जुड़ा ऐसा कोई विरला ही होगा, जो वाणी प्रकाशन के नाम से परिचित न हो। अब यह प्रकाशन ग्रुप 1943 में स्थापित हुए भारतीय ज्ञानपीठ की पुस्तकों को भी प्रकाशित करता है।
इंटरनेट और मोबाइल के इस युग में भी साहित्यकारों की पहली पसन्द बने हुए इस प्रकाशन ग्रुप को शिखर तक पहुंचाने और बदलते दौर के साथ कदम ताल मिलाकर प्रासंगिक बनाए रखने का श्रेय पूरी तरह से माहेश्वरी परिवार को जाता है। अदिति के दादा डॉ. प्रेमचन्द महेश व दादी श्रीमति शिरोमणि देवी द्वारा 1964 में शुरू किए गए वाणी प्रकाशन को बाद में उनके बेटे और अदिति के पिता अरुण माहेश्वरी ने और उनकी जीवन संगिनी अमिता माहेश्वरी ने संभाला। जुलाई 2013 में अदिति ने औपचारिक रूप से बतौर कार्यकारी निदेशक वाणी प्रकाशन की बागडोर संभाली और अपने दादा-दादी, पिता-माँ के विज़न को धरातल पर उतारने के काम में जुट गईं। अब उनके साथ उनकी छोटी बहन दामिनी भी कंधे से कंधा मिला कर काम करती हैं।
तब से लेकर अब तक हिन्दी पाठक वर्ग के पठन-पाठन की आदतों में बदलाव, प्रकाशन उद्योग पर डिजिटल क्रांति के प्रभाव और समय की मांग को देखते हुए अदिति ने वाणी प्रकाशन में कई आमूलचूल बदलाव किये। इसी का परिणाम है कि समय की मांग और डिजिटल दौर को देखते हुए इस प्रकाशन समूह द्वारा ऑडियो-बुक्स, ई-बुक्स भी बाजार में लाई गई हैं।
अदिति बताती हैं कि उन्हें कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही ये समझ में आने लगा था कि युवा पीढ़ी अपनी ही मातृभाषा से कितनी दूर होती जा रही है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को फिर से हिंदी भाषा से जोड़ना था। एक ऐसा दौर जब कई स्कूलों में हिंदी बोलने पर बच्चों को सजा दी जा रही हो, ऐसे में उनका अपनी भाषा से दूरी और अंग्रेजी सीखने का दबाव होना स्वाभाविक ही है। वह बताती हैं कि किताबों से भरे दफ्तर में रोज कुछ नया करने और ज्यादा से ज्यादा लोगों में हिंदी को लेकर उत्साह पैदा करने की चुनौती तो होती ही थी, लेकिन कुछ नया करने का जुनून उनमें जोश पैदा कर देता था।
पढ़ना हो या पढ़ाना, हमेशा रही हैं आगे
वाणी प्रकाशन में कार्यकारी निदेशक और वाणी फाउंडेशन में मैनेजिंग ट्रस्टी अदिति दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रकाशन और संपादन विषय पढ़ाती रहीं हैं। उन्होंने हंस राज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य और स्ट्रैथक्लाइड बिजनेस स्कूल, स्कॉटलैंड से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। इसके साथ ही सामाजिक विज्ञान में प्री-डाक्टरल एम.फिल डिग्री (टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई ) भी उनके पास हैं। अदिति ने पब्लिक रिलेशन और विज्ञापन में डिप्लोमा भी किया है।
शादी से दो दिन पहले तक किया काम
अदिति बताती हैं कि किसी काम को अधूरा न छोड़ने और उसे अंजाम तक पहुंचाने का गुण मुझे मेरे पिता से ही मिला। मुझे बुखार हो या कितना भी ज़रूरी कोई और काम हो, मैं अपने दफ्तर ज़रूर जाती हैं। मैंने शादी से दो दिन पहले तक काम किया था और शादी के बाद छठवें दिन मैं वापस अपने काम पर लौट आई थी। अच्छे साहित्य को सुन्दर प्रस्तुतिकरण के साथ पाठकों तक पहुँचाने में मुझे अपार संतुष्टि मिलती है। जब आप अपने कर्म में डूब जाते हैं, तो छुट्टी की आवश्यकता ही नहीं पढ़ती।
पहली पांच कक्षाओं में भारतीय भाषाओं को शामिल करना अच्छा फैसला
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बनी भारत सरकार की नई शिक्षा नीति का समर्थन करते हुए अदिति का कहना है कि पहली पांच कक्षाओं में भारतीय भाषाओं को जोड़ने से युवा पीढ़ी में अपनी मातृभाषा के प्रति सकारात्मक बदलाव आएगा। इससे अपनी भाषा को एक सम्मानित स्थान मिल पाएगा, जो कहीं न कहीं अंग्रेजी के दबाव में कम होता दिखाई देता है।
12 से 15 प्रतिशत बढ़ा है युवाओं का रुझान
कॉलेज में देखे अपने सपने (युवाओं में हिंदी भाषा के प्रति प्यार और सम्मान का भाव पैदा करना) को पूरा करने के लिए अदिति दिन- रात मेहनत कर रही हैं। वह बताती हैं कि पांच सालों में युवा पाठकों का हिंदी के प्रति रुझान बढ़ा है। पिछले साल वाणी प्रकाशन द्वारा पुस्तक मेले में किए सर्वे में 12 से 15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का आंकड़ा सामने आया है।
हिंदी ही नहीं महिला सशक्तीकरण को भी बढ़ावा दे रहीं
हिंदी भाषा को पहचान दिलाने को लेकर अदिति का काम किसी से छिपा नहीं हैं। हिंदी के प्रचार को लेकर वह देश ही नहीं विदेशों में भी सहभागिता करती रहतीं हैं। मगर एक खास बात यह है कि अदिति की टीम में 50 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही हैं। इससे यह जाहिर होता है कि अदिति अकेले आगे बढ़ने नहीं बल्कि अन्य महिलाओं के विकास की सोच को लेकर आगे बढ़ने में विश्वास रखने वाली शख्सियत हैं।


इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम

विश्व रेडियो दिवस:बेहद रोमांचक है वायरलेस दुनिया

बीजिंग । 3 नवंबर, 2011 को यूनेस्को ने हर साल 13 फरवरी को "विश्व रेडियो दिवस" ​​के रूप में नामित करने का निर्णय लिया। 13 फरवरी 1946 को संयुक्त राष्ट्र...

पटना में गंगा नदी के तट पर लगेगी राजेंद्र प्रसाद की 243 मीटर ऊंची प्रतिमा

पटना । बिहार की राजधानी पटना में गंगा तट पर देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की 243 मीटर ऊंची प्रतिमा लगेगी। यह प्रतिमा गुजरात में नर्मदा के किनारे बने...

भारतीय कला विरासत की अनोखी झांकी लाल किले में

नई दिल्ली । विश्व के प्रसिद्ध "आर्ट बिनाले" की तर्ज़ पर अब देश में पहला "बिनाले "8 दिसम्बर से राजधानी के ऐतिहासिक लाल किले में होगा।31 मार्च तक चलने वाले...

तेजी बच्चन ने लेडी मैकेबेथ की भूमिका निभाई थी

नई दिल्ली। प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवम भारत छोड़ो आंदोलन में जेल जानेवाले प्रसिद्ध रंगकर्मी एवम लेखक वीरेन्द्र नारायण द्वारा निर्देशित नाटकों में तेजी बच्चन ने ही नहीं बल्कि देवानंद की...

खेलों के माध्यम से भी पूरे प्रदेश में मनाया गया आजादी का जश्न

लखनऊ : प्रदेश में आजादी के जश्न का समारोह ध्वजारोहण के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रदेश के खेल विभाग...

समाज में तनाव पैदा करने वाले दृश्य हटाना सेंसर बोर्ड की ज़िम्मेदारी: अनिल दुबे 

अगर फ़िल्म में ऐसे दृश्य या कहानी है जो समाज में तनाव को जन्म देता हो, तो फ़िल्म सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन, (सेंसर बोर्ड) को उसे तुरंत हटा देना...

अमृत महोत्सव में हुए दो लाख कार्यक्रम
अब समापन 30 अगस्त को कर्तव्य पथ पर होगा।

नई दिल्ली 4 अगस्त । आज़ादी के अमृत महोत्सव में दोलाख कार्यक्रम होने ने के बाद इसका समापन समारोह 30 अगस्त को होगाजिसमें देश भर की मिट्टी को दिल्ली लाया...

राष्ट्रपति ने किया एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव “उन्मेष “का शुभारंभ

साहित्यकार का सत्य इतिहासकारों के तथ्य से ज़्यादा विश्वसनीय है - श्रीमती द्रौपदी मुर्मु नई दिल्ली 4अगस्त । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल भोपाल में एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय...

श्रीलंका गृह युद्ध पर उपन्यास के लिए ऑस्ट्रेलियाई-तमिल को शीर्ष साहित्यिक पुरस्कार

मेलबर्न : ऑस्ट्रेलियाई-तमिल वकील शंकरी चंद्रन ने अपने उपन्यास 'चाय टाइम एट सिनामन गार्डन्स' के लिए 60,000 डॉलर का प्रतिष्ठित माइल्स फ्रैंकलिन साहित्य पुरस्कार जीता है। पुरस्कार की घोषणा मंगलवार...

हिंदी के लिए अतुल कुमार राय को युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार
सूर्यनाथ सिंह को बाल साहित्य अकादमी पुरस्कार

नई दिल्ली : हिंदी के लिए युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार अतुल कुमार राय के उपन्यास "चाँदपुर की चंदा" को प्रदान किया गया है.अंग्रेज़ी के लिए अनिरुद्ध कानिसेट्टी की पुस्तक "लॉडर््स...

सुभद्रा कुमारी चौहान पर नाटक से एनएसडी के फेस्टिवल का होगा उद्घटान

नई दिल्ली : "खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी "जैसी अमर पंक्तियां लिखनेवाली महान कवयित्री एवम स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान पर आधारित नाटक से 28 जून...

एनएसडी अपने सिलेबस में बदलाव कर रहा है।

नयी दिल्ली : देश में रंगमंच की शीर्ष संस्था राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी)रंगमंच की नई चुनौतियों को देखते हुए अगले शैक्षणिक सत्र से अपना सिलेबस( पाठ्यक्रम )बदलने जा रहा है।यह...

admin

Read Previous

पूर्व मंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी

Read Next

दिल्ली : लापता बच्चा मिला, पुलिस से बोला-पीएम मोदी से मिलने जा रहा हूं

Leave a Reply

Your email address will not be published.

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com